महिला सुरक्षा का ढिढोंरा पीट रहे माननीय कितने पाक साफ?
संसद में हैदराबाद में महिला डॉक्टर के साथ हुए अमानवीय कृत्य को लेकर खुब हो हल्ला हो रहा है. लेकिन आफको जानकर हैरानी होगी की लोकसभा में चुनकर आए माननीय कितने पाक साफ हैं. जो राजनीतिक पार्टियां महिला सुरक्षा की बात करती हैं उन्हें एडीआर के ये आंकड़े जरूर देखने चाहिए.
2019 के लोकसभा चुनाव में राजनीति पार्टियों ने 88 ऐसे लोगों को उम्मीदवार बनाया था जिनके ऊपर महिला के खिलाफ अपराध के मामले चल रहे थे. इन 88 उम्मीदवारों में 19 उम्मीदवार जीतकर संसद पहुंचे. इन 19 में से 3 सांसद ऐसे हैं जिनके ऊपर दुष्कर्म के आरोप भी लगे हैं. लोकसभा चुनाव में भाजपा ने ऐसे सबसे ज्यादा 15 उम्मीदवार उतारे थे जिनके ऊपर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले थे. दूसरे नंबर पर कांग्रेस थी जिसने 9 ऐसे उम्मीवार बनाए थे जो महिला अपराधों से घिरे थे. 2014 से 2019 के बीच हुए विधानसभा चुनावों में 63 ऐसे विधायक चुने गए, जिन पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज हैं.
अपने गिरेबां में झांके बीजेपी
अब आप इन आंकड़ो को देखकर खुद समझिए कि इन सांसदों को या इन पार्टियों को महिला सुरक्षा का ढोंग करने की क्या जरूरत है. हैदराबाद में वेटरनरी डॉक्टर से सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मुद्दे पर संसद में नेताओं ने घंटों बहस की. निर्भया मामले के 7 साल बीत जाने के बाद भी गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सख्त कानून की कमी बताई और कहा कि सब साथ आएं तो और कठोर कानून बनाने को तैयार हैं. लेकिन मंत्री जी भूल गए कि इसी साल हुए लोकसभा चुनाव के वक्त सबका रुख एक जैसा था. पार्टियों ने 88 ऐसे उम्मीदवार उतारे, जिन पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मुकदमे चल रहे थे. भाजपा इसमें भी अव्वल रही.
केंद्र से राज्यों तक एक जैसे हालात
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में 15 ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया, इनमें से 10 जीतकर संसद में ही बैठे हैं. दूसरे पायदान पर कांग्रेस थी, जिसने 9 ऐसे नेताओं को टिकट दिया, उनमें से 5 जीत गए. महिलाओं के खिलाफ अपराध के आरोपी 88 उम्मीदवारों में से 19 अभी लोकसभा में हैं. इनमें से तीन पर दुष्कर्म के आरोप हैं. 38 निर्दलीय उम्मीदवारों पर भी ऐसे मामले थे, लेकिन सब के सब चुनाव हार गए. ये आंकड़े 7928 उम्मीदवारों के शपथपत्रों के आधार पर तैयार हुई एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक हैं. सिर्फ लोकसभा में ही नहीं 31 विधानसभा चुनाव में भी 443 उम्मीदवारों पर महिलाओं से अपराध के मामले थे. इन 443 उम्मीदवारों में से सबसे ज्यादा 49 उम्मीदवार बीजेपी के थे. अब आप खुद सोचिए मोदी सरकार को महिला सुरक्षा की बात करने का अधिकार है?