देश की अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है. आर्थिक सुस्ती के चलते एसबीआई ने मौजूदा वित्त वर्ष (2019-20) में जीडीपी की सालाना ग्रोथ का अनुमान 6.1% से घटाकर 5% कर दिया.
एसबीआई की ईकोरैप रिपोर्ट में जुलाई-सितंबर में विकास दर सिर्फ 4.2% रहने के आसार हैं. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ‘ग्रोथ को रफ्तार देने के लिए आरबीआई दिसंबर में रेपो रेट में बड़ी कटौती कर सकता है’ एसबीआई के रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई-सितंबर तिमाही में ग्रोथ सिर्फ 4.2% रह सकती है. एसबीआई ने मंगलवार को जारी ईकोरैप रिपोर्ट में कहा है कि वाहन बिक्री में कमी, एयर ट्रैफिक में गिरावट, कोर सेक्टर की ग्रोथ में सुस्ती और कंस्ट्रक्शन-इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश घटने की वजह से सितंबर तिमाही में विकास दर घट सकती है.
औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े सतर्क करने वाले
इकोरैप रिपोर्ट में बताया गया है कि भले ही 2019-20 में देश की अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही हो लेकिन 2020-21 से आर्थिक विकास दर रफ्तार पकड़ेगी, तब जीडीपी ग्रोथ 6.2% रहने की उम्मीद है. साथ ही कहा कि ग्रोथ को रफ्तार देने के लिए आरबीआई दिसंबर में ब्याज दरों में बड़ी कटौती कर सकता है. एसबीआई ने कहा है कि हालात सुधारने के लिए सरकार को बड़े स्तर पर कदम उठाने होंगे रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर में औद्योगिक उत्पादन में 4.3% गिरावट काफी सतर्क करने वाला आंकड़ा है.
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देश के सबसे बड़े बैंक की रिपोर्ट कहती है कि 2019 20 में देश की ग्रोथ को वैश्विक सुस्ती के नजरिए से देखना चाहिए, भारत इससे अछूता नहीं रह सकता. भारत आर्थिक अनिश्चितताओं के इंडेक्स में दूसरे देशों के मुकाबले काफी नीचे है . एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने कहा- हम मानते हैं कि मूडीज द्वारा देश का आउटलुक स्टेबल से नेगेटिव करने का खास असर नहीं होगा. एसबीआई नहीं आंकड़े ऐसे समय में जारी किए हैं जब जीडीपी लगातार नीचे जा रही है आठ कोर सेक्टर देश के अच्छे दौड़ से नहीं गुजर रहे हैं और लगभग सभी सेक्टर में मंदी का असर देखने को मिल रहा है.