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टीएन शेषन : राजनीतिज्ञों को नाश्ते में खाने वाले नहीं रहे!

भारत में जब चुनाव आयोग पर सवाल खड़े होते थे लोग पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन को याद करते थे. जब थी चुनाव सुधार की बात होती तब भी १ोषन साहब याद आते हैं. लेकिन अब हमारे बीच नहीं हैं. रविवार रात चेन्नई में निधन हो गया वे 87 साल के थे.

शेषन साहब 1990 से 1996 तक मुख्य चुनाव आयुक्त रहे थे. उन पर कांग्रेसी होने का ठप्पा भी लगा था. पर कांग्रेस खुद उनके फैसलों से परेशान थी. शेषन अक्सर मजाक में कहते थे कि ‘मैं नाश्ते में राजनीतिज्ञों को खाता हूं’.

मध्यप्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश में भाजपा सरकारों को भंग करने के बाद पूर्व मंत्री अर्जुन सिंह ने कहा था कि इन राज्यों में चुनाव सालभर बाद होंगे. शेषन ने तुरंत प्रेस विज्ञप्ति जारी की, याद दिलाया कि चुनाव की तारीख मंत्रिगण नहीं, चुनाव आयोग तय करता है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव पर भी शेषन सख्त रहे. लालू, शेषन को जमकर लानतें भेजते. कहते किशेषनवा को भैंसिया पे चढ़ाकर गंगाजी में हेला देंगे बिहार में 1995 में 4 चरणों में चुनाव हुए थे.

शेषन के बारे में इस तरह के तमाम किस्से हैं. शेषन के आयुक्त बनने की कहानी बेहद रोचक है. दिसंबर 1990 की रात करीब 1 बजे तत्कालीन केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी शेषन के घर पहुंचे. उन्होंने पूछा था, क्या आप अगला मुख्य चुनाव आयुक्त बनना पसंद करेंगे? करीब 2 घंटे तक स्वामी उन्हें मनाते रहे पर राजीव गांधी से मिलने के बाद ही शेषन ने सहमति दी. उम्मीदवारों के खर्च पर लगाम हो या फिर सरकारी हेलिकॉप्टर से चुनाव प्रचार के लिए जाने पर रोक शेषन ने ही लगाई. दीवारों पर नारे, पोस्टर चिपकाना, लाउडस्पीकरों से शोर, प्रचार के नाम पर सांप्रदायिक तनाव पैदा करने वाले भाषण देना, उन्होंने सब पर सख्ती की राज्य चुनाव आयोग राजनीतिक पार्टियों के आगे अपन मालूम पड़ता है तब उनकी याद आती है.

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कैबिनेट सचिव रहे शेषन ने एक बार राजीव गांधी के मुंह से यह कहते हुए बिस्किट खींच लिया कि प्रधानमंत्री को वो चीज नहीं खानी चाहिए, जिसका पहले परीक्षण न किया गया हो. इस तरह के तमाम किस्से उनसे जुड़े हुए हैं और अब जब इस दुनिया में नहीं रहे तो उनके किए हुए काम जरूर हमारे सिस्टम को प्रेरित करते रहेंगे.

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