मंदी के चलते लोग अंडरवियर-बनियान भी नहीं खरीद रहे
त्योहारी सीजन में भले ही कपड़े की बिक्री बढ़ी हो लेकिन अंडरवियर बनियान बनाने वाली कंपनियों को फायदा नहीं हुआ. मंदी के चलते अंडरवियर बनियान के उद्योग में खासी गिरावट आई है. लगभग सभी सेगमेंट में बिक्री में गिरावट दर्ज की गई.
मैन्युफैक्चरर्स और इंडस्ट्री के जानकारों के मुताबिक रिटेल की दुकानें नोटबंदी और जीएसटी से बहुत प्रभावित हुई हैं, वे स्टॉक नहीं खरीद रहे हैं और भुगतान में देरी कर रहे हैं. इस त्योहारी सीजन में अंडरवियर बनियान के लगभग सभी सेगमेंट में बिक्री कम हुई है. टॉप ब्रांड हैं मसलन लक्स कोज़ी, डॉलर और रूपा सभी का कहना है कि त्यौहारों के सीज़न में जिस तरह की बिक्री होनी चाहिए वैसी नहीं रही.
अंडरवियर बनियान बनाने वाली कंपनियों का कहना है कि दुकानदार उतना स्टॉक नहीं खरीद रहे जितना पहले खरीदते थे. और जो स्टॉक खरीद रहे हैं उसका भुगतान भी समय पर नहीं कर रहे हैं ऐसी हालत नोटबंदी के बाद से ही चली आ रही है. सही समय पर भुगतान ना होने के चलते उत्पादकों के वर्किंग कैपिटल पर भी असर पड़ा है.
देश की एक लाख से ज्यादा एमबीओ जो कि देश का 60 प्रतिशत अंडरवियर बेचते हैं, बाकी बिक्री मॉल और ऑनलाइन से होती है.
2014 की कंसल्टेंसी कंपनी टेक्नोपैक की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में अंडरवियर बाज़ार का कुल मूल्य 19,950 करोड़ है और इसके 2024 तक 13 प्रतिशत सालाना बढ़ कर 68, 270 करोड़ होने की संभावना है.
मंदी का इनरवियर सेक्टर पर असर
भारत के शीर्ष फैशन खुदरा विक्रेताओं, जैसे कि पैंटालून, शॉपर्स स्टॉप और सेंट्रल ने भी मंदी झेली है. जून की खत्म तिमाही में स्टोर की बिक्री वृद्धि (एसएसजी) लगभग 2-7 प्रतिशत पर बनी रही, जो पिछले वित्त वर्ष के चौथी तिमाही में 3-9 प्रतिशत से कम थी.
हालांकि, वे सभी फिर से बढ़ने लगे हैं. एक अन्य इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, फैशन और परिधान ब्रांडों की बिक्री में त्यौहारी सीजन में औसतन 10-14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पिछले साल इसी अवधि में नवरात्रि पर फ्यूचर ग्रुप, स्पेंसर रिटेल, अरविंद लाइफस्टाइल, रिलायंस डिजिटल, विजय सेल्स और ग्रेट ईस्टर्न सहित कई खुदरा विक्रेताओं ने कहा कि उनकी बिक्री फैशन और परिधान, स्मार्टफोन और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी श्रेणियों में दोहरे अंकों से ज्यादा हुई है.