महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना के बीच तल्खी और ज्यादा बढ़ गई है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना के 50-50 फार्मूले को नकार दिया है देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि बीजेपी और शिवसेना के बीच ऐसा कोई भी फार्मूला तय नहीं हुआ था. ऐसे में शिवसेना और कांग्रेस गठबंधन के सरकार बनने की संभावना बढ़ गई है.
महाराष्ट्र में 24 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही सरकार बनाने को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच खींचतान लगातार मची हुई है. शिवसेना और बीजेपी गठबंधन को बहुमत प्राप्त हुआ है लेकिन शिवसेना 50-50 के फार्मूले पर सरकार बनाना चाहती है. शिवसेना का कहना है कि चुनाव से पहले यह तय हुआ था कि दोनों ही पार्टियों का मुख्यमंत्री ढाई ढाई साल तक सत्ता संभालेगा. शिवसेना किस रुख के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि चुनाव से पहले ऐसा कोई भी फार्मूला तय नहीं हुआ था और वहीं पूरे 5 साल तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहेंगे इसमें कोई भ्रम नहीं है.
उधर शिवसेना नेता संजय राउत ने फडणवीस के इस बयान के बाद प्रतिक्रिया दी है. हालांकि राउत ने यह भी कहा, “शिवसेना सत्य और नीति की राजनीति हमेशा से करती आयी है. सत्ता के हम भूखे नहीं हैं. सत्ता के लिए कुछ भी करना लोकतंत्र की हत्या करने जैसा है. यहां कोई दुष्यंत नहीं हैं जिनके पिताजी जेल में थे. यहां हम हैं जो नीति और धर्म की राजनीति करते हैं. सत्य की राजनीति करते हैं. यहां शरद पवार जी हैं जिन्होंने भाजपा के ख़िलाफ़ माहौल खड़ा कर दिया और चुनाव लड़े. यहां कांग्रेस पार्टी है जिनके पास एक आंकड़ा है जो भाजपा के साथ कभी नहीं जायेगी.”
शिवसेना के विधायक बीजेपी के संपर्क में
वहीं भाजपा के राज्य सभा से सांसद संजय काकडे ने पत्रकारों से बात करते हुए दावा किया है कि उनके संपर्क में शिवसेना के 40 से 45 विधायक हैं. पूर्ण बहुमत के बावजूद महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना में सत्ता को लेकर संघर्ष जारी है और भाजपा ने संकेत दिए हैं कि अगले पांच सालों तक राज्य में उसी का मुख्यमंत्री होगा. महाराष्ट्र में एक ही स्थान इसलिए भी चल रही है क्योंकि सरकार बनाने में अभी 10 दिनों का वक्त बाकी है. इन 10 दिनों में दोनों घटक दल एक दूसरे पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं अब यह देखना बहुत अहम होगा कि शिवसेना उप मुख्यमंत्री के पद को लेकर मान जाएगी या फिर वह कांग्रेस के साथ जाना पसंद करेगी. सोमवार को दोनों ही पार्टियों ने राज्य के राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी से अलग-अलग मुलाकात की थी और मंगलवार को शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने बीजेपी विधायकों के साथ होने वाली संयुक्त बैठक में जाने का फैसला रद्द कर दिया.
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महाराष्ट्र में हो रहा है यह घटनाक्रम बताता है कि ऐसे वक्त में जब शिवसेना के तेवर तल्ख हैं तब कांग्रेस और एनसीपी मिलकर राज्य में बीजेपी को सरकार बनाने से रोकने की कोशिश करेंगे. शिवसेना को एनसीपी और कांग्रेस अगर समर्थन देते हैं तो बाकी निर्दलीय विधायकों के समर्थन से शिवसेना सरकार बनाने के नंबर जुटा लेगी इससे पहले 2014 में हुए विधानसभा चुनावों में शिवसेना और बीजेपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था और बाद में गठबंधन की सरकार बनाई थी लेकिन इस बार समीकरण बदले हुए हैं इस बार पहली बार ठाकरे परिवार का कोई सदस्य चुनाव में उतरा था उत्तर ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने वर्ली से चुनाव लड़ा और रिकॉर्ड मतों से जीते थे. ऐसे में शिवसेना अपना मुख्यमंत्री बनाने का कोई मौका छोड़ना नहीं चाहती . अब यह देखना अहम होगा कि क्या महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस का गठबंधन होगा या फिर बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब होगी?