ईराक और सीरिया में दहशतगर्दी की इंतहा पार करने के बाद बगदादी के गुर्गों ने अपना ठिकाना बदल दिया है. अब आतंकवाद को नए रूप में ये दशहतगर्द दक्षिण पूर्वी एशिया में अंजाम दे रहा है. इन आतंकियों का नया ठिकाना इंडोनेशिया, अफगानिस्तान और फिलीपींस जैसे देश हैं.
श्रीलंका में ईस्टर पर बम धमाके, अफगानिस्तान में हो रहे बम धमाके और इंडोनेशिया में मंत्री पर हमला इस तरह की तमाम घटनाओं में आईएस का हाथ है. ये घटनाएं एशियाई मुल्कों के लिए खतरे की घंटी बजा रही हैं क्योंकि बगदादी के गुर्गों ने ईराक और सीरिया के बाद अब अपना ठिकाना बदल दिया है. पिछले हफ्ते की ही बात है जब इंडोनेशिया के सुरक्षा मंत्री वीरांतो के ऊपर कार से उतरते समय हमला किया गया. वीरांतो पर चाकूओं से एक के बाद एक कई वार किए गए. गनीमत ये रही कि वो बच गए और उनका इलाज अभी जकार्ता के सैनिक अस्पताल में इलाज चल रहा है.
वीरांतो पर जिस शख्स ने हमला करने वाला स्याहरिल 31 साल का है और आतंकवादी संगठन जमाह अंशहारुत दौलाह (जेएडी) से जुड़ा हुआ है. जेएडी दक्षिण पूर्वी एशिया में सक्रिय एक आतंकवादी संगठन है जिसके इस्लामिक स्टेट के साथ संबंध हैं. सिर्फ इंडोनेशिया ही नहीं बल्कि फिलीपींस के अबु सयफ और माउते समूह के साथ थाइलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया और सिंगापुर में दर्जनों आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं. ये सभी अलग अलग हमलों को अंजाम देते हैं लेकिन कहीं न कहीं इनके तार आईएस से जुड़े हैं.
इंडोनेशिया में सक्रिय आंतकी संगठ जेआई यानी जिमाह इस्लामियाह 2002 में बाली द्वीप पर धमाकों को अंजाम दे चुका है. इन धमाकों में 200 से ज्यादा लोगों की जाने गई थीं. इस धमाकों के बाद जेआई पर नकेल कसी गई थी लेकिन अभ एक बार फिर से ये सक्रिय हो गया है. यह संगठन अब अपनी क्षमताओं को फिर से बढ़ा रहा है. इस तरह के और भी संगठन हैं जो भी से एक्टिव हो गए हैं. दक्षिण पूर्वी एशिया में आतंकी संगठनों को सक्रिय होने विश्व शांति के लिए खतरा है.
आकंड़े बताते हैं कि दक्षिण पूर्वी एशिया कैसे चरमपंथी संगठनों के विस्तार के लिए एक नया इलाका हो सकता है. मार्च 2019 में जब इस्लामिक स्टेट ने सीरिया और इराक में अपना नियंत्रण खोया है तब से इस संगठन ने काम करने का तरीका बदल लिया है. अब आईएस ने अपने आप को विकेंद्रित कर लिया है. आईएस के चरमपंथी अब अलग अलग जगह बिखर गए हैं. ये दक्षिण पूर्वी एशिया के कई द्वीपों पर भी चले गए हैं. ऐसे में हजारों द्वीपों पर फैले इन देशों में इन आतंकवादियों को तलाश पाना मुश्किल होगा.
दक्षिण पूर्वी एशिया में आईएस ने हमलों को अंजाम देने का पैटर्न बदलदिया है. पिछले कुछ दिनों में हुए धमाकों पर गौर करें तो इनमें ज्यादातक धमाके ऐसे हैं जिनका कनेक्शन आईएस से है. अप्रैल 2019 में श्रीलंका में हुए बम धमाकों के बाद हुए शोध में पता चला है कि जिहादी समूह दक्षिण और दक्षिण पूर्वी एशिया में सभी जगह सक्रिय हैं. दक्षिण पूर्वी एशिया के आतंकी समूह 2014 के बाद से आईएस से जुड़ने लगे थे. 2016 से आईएस द्वारा निकाली जाने वाली मैगजीन अल फतिहिन हर सप्ताह मलय और इंडोनेशियाई भाषा में भी निकाली जाने गई. 2018 से इंडोनेशिया में 11 और फिलीपींस में छह आत्मघाती हमले हो चुके हैं. इसके ये लगता है कि आईएस की विचारधारा इस इलाके में फलफूल रही है. इसके अलावा मलेशिया में पिछले छह साल में 500 से ज्यादा लोगों को आंतकवादी गतिविधियों में शामिल होने के चलते गिरफ्तार किया जा चुका है. क्योंकि जब ईराक और सीरिया में बगदादी सक्रिय था उस वक्त मलेशिया, इंडोनेशिया और फिलीपींस जैसे मुल्कों से सैकड़ों युवा उससे जुड़े थे.
2014 के बाद से ही लगातार बगदादी ने दक्षिण पूर्वी देशों में अपने पैर पसारने के प्रयास किए हैं. 2017 में फिलीपींस के मरावी शहर में हिंसा हुई तो उसमें भी आईएस का हाथ था. 2017 में आतंकियों ने दो लाख की आबादी वाले शहर को अपने कब्जे में ले लिया था. फिलीपींस की सेना को महीनों तक उनके साथ लड़ाई लड़नी पड़ी. इस सब में वो पूरा शहर बर्बाद हो गया. उस जंग का नतीजा ये है कि मरावी के 50 हजार लोग आज भी अस्थाई कैंपों में रह रहे हैं.
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फिलीपींस की तरह इंडोनेशिया में 2018 में बने कानूनों के बाद सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया गया. लेकिन अब इंडोनेशियाई मंत्री वीरांतो पर हमले के बाद वहां मुश्किल फिर बढ़ गई है. दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में फिलीपींस, इंडोनेशिया जैसे देश आईएस का पसंदीदा ठिकाना हैं. यहां जो लोग आतंकी बने वो अपनी सरकारों से संतुष्ट नहीं थे और वो जिहादियों द्वारा चलाए गए प्रोपेगैंडा का शिकार हो गए हैं. इस इलाके में सामाजिक समस्याएं हैं जिसकी वजह से युवाओं का झुकाव कट्टर इस्लाम की तरफ ज्यादा हो गया है.