पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खास 2018 में मलेशिया के दौरा पर गए थे और उन्होंने 92 साल के महातिर मोहम्मद से मुलाकात की थी. दोनों ने ही चुनाव के दौरान भ्रष्टाचार को सबसे बड़ा मुद्दा बनाया था. दोनों देशों पर एक बात और समान है कि दोनों पर चीन का बेशुमार कर्ज चढ़ा हुआ है. शायद यही वजह है मलेशिया कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ खड़ा है.
मलेशिया के सर्वेसर्वा महातिर राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं. वो 1981 से 2003 तक इससे पहले सत्ता में रह चुके थे. पाकिस्तान के पीएम इमरान खान इससे पहले केवल क्रिकेट के खिलाड़ी थे. महातिर ने आते ही चीन के 22 अरब डॉलर की परियोजना को रोक दिया और कहा कि यह बिल्कुल बेमतलब की परियोजना है. दूसरी तरफ़ इमरान ने वन बेल्ट वन रोड के तहत पाकिस्तान में चीन की 60 अरब डॉलर की परियोजना को लेकर उतनी ही बेक़रारी दिखाई जैसी बेक़रारी नवाज़ शरीफ़ की थी. 2018 में जब इमरान मलेशिया की राजधानी क्वालालंपुर में गए गए थे तो उनका जोरदार स्वागत किया गया था और अपने दौरे पर उन्होंने कहा था कि मलेशिया और पाकिस्तान दोनों एक पथ पर खड़े हैं.
”मुझे और महातिर दोनों को जनता ने भ्रष्टाचार से आजिज आकर सत्ता सौंपी है. हम दोनों क़र्ज़ की समस्या से जूझ रहे हैं. हम अपनी समस्याओं से एक साथ आकर निपट सकते हैं. महातिर ने मलेशिया को तरक्की के पथ पर लाया है. हमें उम्मीद है कि महातिर के अनुभव से हम सीखेंगे.”
मलेशिया और पाकिस्तान दोनों मुस्लिम बहुल देश हैं. कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान को मलेशिया का सपोर्ट है क्योंकि जब भारत पाकिस्तान के बीच तल्खी बढ़ी थी तो मलेशिया एकमात्र ऐसा देश था जिसमें पाकिस्तान से क्ज नहीं मांगा था. महातिर की सरकार में ही मलेशिया पाकिस्तान के करीब आया है. पाकिस्तान और मलेशिया के बीच 2007 में इकनॉमिक पार्टनर्शिप एग्रीमेंट हुआ था. पाँच अगस्त को जब भारत ने जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को ख़त्म करने की घोषणा की तो महातिर उन राष्ट्र प्रमुखों में शामिल थे जिन्हें इमरान ख़ान ने फ़ोन कर समर्थन मांगा और समर्थन मिला भी.
जब कश्मीर का मामला संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में गया तब भी मलेशिया पाकिस्तान के साथ था. यहां तक पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में भी मलेशियाई प्रधानमंत्री ने कश्मीर का मुद्दा उठाया और भारत को घेरा. भारत के लिए यह किसी झटके से कम नहीं था. मलशिया ये इसलिए भी कर रहा है कि दोंने देशों के बीच लंबे समय से रिश्ते हैं. 1957 में मलेशिया की आज़ादी के बाद पाकिस्तान उन देशों में शामिल था जिन्होंने सबसे पहले संप्रभु देश के रूप में मान्यता दी.
पाकिस्तान की वजह से ही महातिर मोहम्मद ने कहा है कि उनकी सरकार भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करेगी. भारत मलेशिया से पाम तेल के आयात को सीमित कर सकता है. इसके साथ ही मलेशिया से भारत अन्यु वस्तुओं के आयात पर भी फिर से विचार कर सकता है. महातिर ने यूएन की आम सभा में कहा था कि भारत ने कश्मीर को अपने क़ब्ज़े में रखा है.
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महातिर के रुख का व्यापार पर असर
भारत में खाने में इस्तेमाल किए जाने वाले तेलों में पाम तेल का हिस्सा दो तिहाई है. भारत हर साल 90 लाख टन पाम तेल आयात करता है और मुख्य रूप से मलेशिया और इंडोनेशिया से होता है. 2019 के पहले नौ महीनों में भारत ने मलेशिया से 30.9 लाख टन पाम तेल का आयात किया. मलेशियाई पाम ऑइल बोर्ड के डेटा के अनुसार भारत का मलेशिया से मासिक आयात चार लाख 33 हज़ार टन है. भारत खाने में इस्तेमाल होने वाले तेलों का सबसे बड़ा निर्यातक देश है. अगर मलेशिया का रुख बदलता है तो व्यापार पर असप पड़ने की पूरी संभावना है.