‘फिल्मी’ बयान देकर फंसे रविशंकर प्रसाद बैकफुट पर क्यों आ गए ?
अर्थव्यवस्था को लेकर मोदी सरकार की लगातार खिंचाई हो रही हैं. ऐसे में उनकी मुश्किल बढ़ाई केंद्रीय क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने, प्रसाद ने बयान दिया कि जब बीते हफ्ते आईं तीन फिल्मों ने 120 करोड़ कमा लिए तो मंदी कहां हैं?इस बयान के बाद उनकी आलोचना शुरु हो गईं. रविशंकर प्रसाद ने अब अपना बयान वापस ले लिया है.
रविशंकर प्रसाद अच्छे वक्ता है और पटना साहिब से बड़ी जीत दर्ज करके मोदी कैबिनेट का हिस्सा बने हैं. वो पीएम मोदी के करीबियों में गिने जाते हैं. लेकिन अर्थव्यवस्था को लेकर दिया गया उनका फिल्मी बयान उनके और मोदी सरकार के लिए मुसीबत बन गया था. इसके बाद अर्थव्यवस्था में लगातार जारी गिरावट को ख़ारिज करते हुए फ़िल्मों की कमाई पर जो टिप्पणी उन्होंने की थी उस पर खेद जताते हुए वापस ले लिया है. रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि तीन फ़िल्मों की कमाई एक दिन में 120 करोड़ हो रही है तो मंदी कहां है? रविशंकर प्रसाद की इस टिप्पणी की चौतरफा आलोचना हो रही थी. रविशंकर प्रसाद ने ट्विटर पर अपनी टिप्पणी की सफ़ाई में एक प्रेस स्टेटमेंट जारी किया. इसमें उन्होंने लिखा है,
”मैंने शनिवार को मुंबई में तीन फ़िल्मों की एक दिन में 120 करोड़ कमाई की बात कही थी, जो कि अब तक की सबसे बड़ी कमाई है. यह तथ्यात्मक रूप से सही है. मुंबई फ़िल्मों की राजधानी है और मैंने वहीं ये बात कही थी. हमें अपनी फ़िल्म इंडस्ट्री पर बहुत गर्व है जिससे लाखों लोगों को रोज़गार मिला हुआ है. टैक्स कलेक्शन में भी इस इंडस्ट्री का बड़ा योगदान है. मैंने अर्थव्यवस्था को मज़बूती देने के लिए सरकार की ओर से उठाए जा रहे क़दमों की बात भी कही थी. नरेंद्र मोदी की सरकार हमेशा आम लोगों की फ़िक्र करती है. मीडिया से बातचीत का पूरा वीडियो मेरे सोशल मीडिया पर मौजूद है. मुझे दुख है कि मेरे बयान के एक हिस्से को संदर्भों से काटकर दिखाया गया. एक संवेदनशील व्यक्ति होने के नाते मैं अपना बयान वापस लेता हूं.”
ये स्टेटमेंट उनके फिल्मी बयान से एक दम अलग है. इससे पहले रविशंकर प्रसाद ने शनिवार को कहा था कि एनएसएसओ (नेशनल सैंपल सर्वे ऑफ़िस) के बेरोज़गारी से जुड़े आंकड़े पूरी तरह गलत बताया था. मुंबई में वो प्रेस से बात कर रहे थे जब उन्होंने ये बयान दिया. उन्होंने ये भी कहा था कि अगर फ़िल्में करोड़ों कमा रही हैं तो देश में मंदी कहां हैं. उन्होंने कहा,
“मैं एनएसएसओ की रिपोर्ट को ग़लत कहता हूं और पूरी ज़िम्मेदारी के साथ कहता हूं. उस रिपोर्ट में इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफ़ैक्चरिंग, आईटी क्षेत्र, मुद्रा लोन और कॉमन सर्विस सेंटर का ज़िक्र नहीं है. क्यों नहीं है? हमने कभी नहीं कहा था कि हम सबको सरकारी नौकरी देंगे. हम ये अभी भी नहीं कह रहे हैं. कुछ लोगों ने आंकड़ों को योजनाबद्ध तरीके से ग़लत ढंग से पेश किया. मैं ये दिल्ली में भी कह चुका हूं.”
केंद्रीय मंत्री ने अपने बयान में अर्थव्यवस्था की सुस्ती को फिल्मों से जोड़ दिया और कहा कि “दो अक्टूबर को तीन फ़िल्में रिलीज़ हुई थीं: वॉर, जोकर और सायरा. बॉक्स ऑफ़िस के कारोबार पर नज़र रखने वाले विशेषज्ञ कोमल नहाटा के मुताब़िक उस दिन इन फ़िल्मों ने 120 करोड़ रुपये से भी ज़्यादा की कमाई की थी. यानी देश की अर्थव्यवस्था ठीक है. तभी तो फ़िल्में इतना अच्छा बिज़नस कर रही हैं.” एक देश के महत्वपूर्ण व्यक्ति के द्वारा दिया गया ये बयान लोगों को नागवार गुजरा और सोशल मीडिया पर प्रसाद की आलोचना होने लगी. बात में मजबूरन उन्हें अपने बयान पर खेद व्यक्त करना पड़ा.
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने अपने बयान में एनएसएसओ पर भी सवाल खड़े किए हैं. ये इसलिए भी गंभीर है क्योंकि सरकारी की कई योजनाएं इस संस्था के सर्वे से जुटाए गए आंकड़ों के हिसाब से संचालित होती हैं. और अगर ये संस्था ही विश्वसनीय नहीं है तो फिर प्रसाद क्या कहना चाह रहे थे ये समझ से परे हैं. इसलिए अलावा फिल्मों की कमाई को अर्थव्यवस्था से जोड़ देना इसलिए भी बचकाना है क्योंकि लोग भले ही कितने भी मंदी में हों मनोरंजन के लिए पैसा निकाल ही लेते हैं. और भारत जैसे विशाल अर्थव्यवस्था में 120 करोड़ की कमाई कोई माएने नहीं रखती. शायद ये बातें रविशंकर प्रसाद को समझ आई होंगी और उन्होंने अपना बयान वापस ले लिया.