रफाल लड़ाकू विमान वायुसेना दिवस यानी 8 अक्टूबर को भारतीय सैन्य बेड़े का हिस्सा बन जाएगा. डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह फ्रांस पहुंच गए हैं जहां उन्होंने देशवासियों को ट्वीट करके जानकारी दी है कि रफाल भारत को मिल रहा है. इस लड़ाकू विमान में बहुत कुछ है जिससे दुश्मन खेमे में डर का महौल है.
भारतीय वायु सेना में शामिल हो रहे रफ़ाल में जबरदस्त क्षमताएं हैं. ये एक बेहतरीन लड़ाकू विमान है जिसकी खासियत ये है कि ये फोर्स मल्टीप्लायर है. रफाल की फ्लाइंग रेंज आम युद्धक विमानों और हथियारों के मुकाबलें कहीं ज्यादा है. इसकी ताकत का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है कि इसकी मिसाइल 300 किलोमीटर की दूर से फायर करके अपने टारगेट को हिट करने की क्षमता रखती है.
रफाल लड़ाकू विमान की ऑपरेशनल उपलब्धता 65 से 70 प्रतिशत है जो सुखोई जैसे विमानों से कहीं ज्यादा है. रफाल के बारे में कहा जाता है कि ये मल्टी रोल नहीं बल्कि ओमनी रोल वाला लड़ाकू विमान है. ये आसानी से पहाड़ी और छोटी जगहों पर उतर सकता है और चलती हुई एयरक्राफ़्ट कैरियर पर समुद्र में उतर सकता है. इस विमान के आने से भारतीय वायुसेना की सैन्य दक्षता काफी बढ़ जाएगी.
वो खूबियों को रफाल को खास बनाती हैं?
- रफ़ाल विमान परमाणु मिसाइल डिलीवर करने में सक्षम.
- दुनिया के सबसे सुविधाजनक हथियारों को इस्तेमाल करने की क्षमता.
- इसमें दो तरह की मिसाइलें हैं. एक की रेंज डेढ़ सौ किलोमीटर है तो दूसरी की रेंज क़रीब तीन सौ किलोमीटर की है.
- परमाणु हथियारों से लैस रफ़ाल हवा से हवा में 150 किलोमीटर तक मिसाइल दाग सकता है और हवा से ज़मीन तक इसकी मारक क्षमता 300 किलोमीटर है.
- रफ़ाल जैसा विमान चीन और पाकिस्तान के पास भी नहीं है.
- ये भारतीय वायुसेना के इस्तेमाल किए जाने वाले मिराज 2000 का एडवांस वर्जन है.
- भारतीय एयरफ़ोर्स के पास 51 मिराज 2000 हैं.
- दासॉ एविएशन के मुताबिक, रफ़ाल की स्पीड मैक 1.8 है. यानी क़रीब 2020 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार.
- ऊंचाई 5.30 मीटर, लंबाई 15.30 मीटर. रफ़ाल में हवा में तेल भरा जा सकता है.
- रफ़ाल लड़ाकू विमानों का अब तक अफ़ग़ानिस्तान, लीबिया, माली, इराक़ और सीरिया जैसे देशों में हुई लड़ाइयों में इस्तेमाल हुआ है.
- पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि रफ़ाल का टारगेट अचूक होगा. रफ़ाल ऊपर-नीचे, अगल-बगल यानी हर तरफ़ निगरानी रखने में सक्षम है. मतलब इसकी विजिबिलिटी 360 डिग्री होगी. पायलट को बस विरोधी को देखना है और बटन दबा देना है और बाक़ी काम कंप्यूटर कर लेगा.
- कई खूबियों से लैस जो रफ़ाल फ़्रांस से ख़रीदा जा रहा है उसे आधिकारिक रूप से परमाणु हथियारों से लैस नहीं किया गया है. ऐसा अंतरराष्ट्रीय संधियों के कारण किया गया है.
- हालांकि कई विशेषज्ञों का मानना है कि भारत मिराज 2000 की तरह इसे भी अपने हिसाब से विकसित कर लेगा.
रफाल की खरीद में काफी विवाद रहा
भारत फ्रांस की हथियार निर्माता कंपनी दासॉ से ये विमान खरीद रहा है. इसकी ख़रीद को लेकर बहुत विवाद भी हुए थे. 2010 में जब यूपीए सरकार ने ख़रीद की प्रक्रिया शुरु की थी उस वक्त 2012 से 2015 तक को दोनों देशों के बीच बातचीत ही चलती रही. 2014 में यूपीए की जगह मोदी सरकार सत्ता में आई. और सितंबर 2016 में भारत ने फ़्रांस के साथ 36 रफ़ाल विमानों के लिए करीब 59 हज़ार करोड़ रुपए के सौदे पर हस्ताक्षर किए. इस डील को करने के बाद पीएम मोदी ने कहा था,
”रक्षा सहयोग के संदर्भ में 36 रफ़ाल लड़ाकू विमानों की ख़रीद को लेकर ये खुशी की बात है कि दोनों पक्षों के बीच कुछ वित्तीय पहलुओं को छोड़कर समझौता हुआ है.”
यहां सब ठीक था लेकिन उसके बाद मोदी सरकार की सितंबर 2016 वाली डील पर कांग्रेस ने सवाल खड़े कर दिए. कांग्रेस ने दावा किया कि यूपीए सरकार के दौरान एक रफ़ाल फाइटर जेट की कीमत 600 करोड़ रुपये तय की गई थी लेकिन मोदी सरकार के दौरान जब डील को अंतिम रूप दिया गया तो उसके मुताबिक प्रत्येक रफ़ाल करीब 1600 करोड़ रुपये का पड़ेगा. इतना ही नहीं रफाल को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा के अलावा वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने भी सुप्रीम कोर्ट में इस डील की स्वतंत्र याचिकाएं दायर कीं थीं.
दिसंबर 2018 में इस डील से संबंधित दायर सभी याचिकाओं को कोर्ट ने ख़ारिज करते हुए कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग ठुकरा दी थी. इसके बाद इन्होंने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की और कहा कि कोर्ट के फैसले में कई तथ्यात्मक खामियां हैं. याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला सरकार से मिले एक सीलबंद लिफाफे में दी गई ग़लत जानकारी पर आधारित है जिस पर किसी व्यक्ति के हस्ताक्षर भी नहीं हैं. दरअसल विवाद रफाल की कीमत, उसकी संख्या और अन्य अनियमितता को लेकर था जिसको लेकरम मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा था,
“कोर्ट का ये काम नहीं है कि वो निर्धारित की गई रफ़ाल कीमत की तुलना करे. हमने मामले की अध्ययन किया, रक्षा अधिकारियों के साथ बातचीत की, हम निर्णय लेने की प्रक्रिया से संतुष्ट हैं.हम इस फ़ैसले की जांच नहीं कर सकते कि 126 रफ़ाल की जगह 36 विमान की डील ही क्यों की गई. हम सरकार से ये नहीं कह सकते कि आप 126 रफ़ाल ख़रीदें.”
अब जब रफाल भारत आ गया है तो कहा जा रहा है कि रफाल भारत को मिला सबसे बेहतरीन विमान है. रफाल के मुक़ाबले का कोई युद्धक विमान पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में ही नहीं है. चाहे चीन हो या पाकिस्तान या अन्य कोई देश. यही वजह है कि इसे लेकर बहुत प्रोपगैंडा भी हुआ. साथ ही उसकी ख़रीद को लेकर बहुत विवाद हुआ लेकिन कोई भी अब तक साबित नहीं हो सका. हां ये जरूर है कि इसकी संख्या ज्यादा होनी चाहिए. फ्रांस से भारत 16-16 विमानों के दो स्क्वाड्रन ख़रीद रहा है लेकिन जरूरत ज्यादा की है.
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जो विमान खरीदे जा रहे हैं वो 36 रफाल अंबाला और पश्चिम बंगाल के हासीमारा स्क्वाड्रन में तैनात होंगे. इसके बाद भारतीय वायु सेना की 42 स्क्वाड्रन आवंटित हैं और अभी 32 ही हैं. जितने स्क्वाड्रन हैं उस हिसाब से तो लड़ाकू विमान ही नहीं हैं. हमें गुणवत्ता तो चाहिए ही, लेकिन साथ में संख्या भी चाहिए. इसलिए रफाल के आने के बाद ये उम्मीद की जा सकती है कि भारत सरकार सभी 42 स्क्वाड्रन को मजबूत करने के लिए और विमानों की खरीद करे.