कैसी थीं पैगंबर मोहम्मद की पहली बीवी ?
इस्लाम में महिलाओं के अधिकारों की बात कम ही होती है. लेकिन पैगंबर मोहम्मद की पहली बीवी खदीजा बिंत ख्वालिद ने महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई खूब लड़ी थी. कहा जाता है कि उन्होंने इस्लाम धर्म में महिलाओं के अधिकार तय करवाने में अहम भूमिका निभाई और वो इस्लाम में पहली पहली फेमिनिस्ट महिला थीं.
पैगंबर मोहम्मद पहली बीवी का नाम था खदीजा. शादी के वक्त खदीजा की उम्र 40 थी तो वहीं मोहम्मद सिर्फ 25 साल के थे. खदीजा ने पैगंबर मोहम्मद को खुद शादी के लिए संदेश भिजवाया था. और फिर शादी के बाद 25 सालों तक दोनों केवल एक दूसरे के ही साथ रहे. जब खदीजा की मौत हो गई तो फिर पैगंबर मोहम्मद ने 10 और शादियां कीं. उनकी आखिरी बीवी का नाम था आयशा. आयशा को हमेशा इस बात की जलन रही कि सालों बाद तक पैगंबर अपनी मरहूम बीवी खदीजा को याद करते रहे.
कहते हैं कि पैगंबर मोहम्मद और खदीजा मैं बहुत गहरा प्यार था. कहते हैं कि हजरत खदीजा को पैगंबर से प्यार हो गया था और तभी उन्होंने शादी का मन बनाया. जीवन भर पैगंबर पर भरोसा रखने वाली खदीजा ने मुश्किल से मुश्किल वक्त में उनका पूरा साथ दिया. कहते हैं कि उनके साथ के दौरान ही पैगंबर पर अल्लाह ने पहली बार खुलासा किया. खदीजा बहुत अच्छे परिवार से थीं और उनके पिता मक्का के रहने वाले एक सफल कारोबारी थी. कुराइश कबीले के पुरुष प्रधान समाज में खदीजा को उस वक्त हुनर, ईमानदारी और भलाई अपने पिता से विरासत में मिला था.
खदीजा के पिता फर्नीचर से लेकर बर्तनों और रेशम तक का व्यापार करते थे. उनका कारोबार उस समय के प्रमुख व्यापारिक केंद्रों मक्का से लेकर सीरिया और यमन तक फैला था. यहां आपको ये भी बता दें कि पैगंबर मोहम्मद से पहले खदीजा की दो बार शादी हो चुकी थी और उनके कई बच्चे भी थे. दूसरी बार विधवा होने के बाद वो शादी नहीं करना चाहती थी. इसलिए उन्होंने अकेले बच्चों की परवरिश की. इस बीच वे एक बेहद सफल व्यवसायी बन चुकी थीं, जिसका नाम दूर दूर तक फैला. हजरत खदीजा को इस्लाम में विश्वास करने वालों की मां का दर्जा मिला हुआ है.
माना जाता है कि खदीजा पहली इंसान थीं जिन्होंने मोहम्मद को ईश्वर के आखिरी पैगंबर के रूप में स्वीकारा और जिन पर सबसे पहले कुरान नाजिल हुई. खदीजा को खुद अल्लाह और उसके फरिश्ते गाब्रियाल ने आशीर्वाद दिया. अपनी सारी दौलत की वसीयत कर उन्होंने इस्लाम की स्थापना में पैगंबर मोहम्मद की मदद की थी. खरीजा को उनके व्यापार से जो कुछ भी हासिल हुआ उससे उन्होंने गरीब, अनाथ, विधवा और बीमारों की मदद की वो बेहद नेक और सबकी मदद करने वाली महिला के रूप में इस्लाम ही नहीं पूरे विश्व के इतिहास में मशहूर हैं.