इंसान कैसे इतना शक्तिशाली हो गया ?
इंसान पृथ्वी का सबसे अक्लमंद और शक्तिशाली प्राणी है. पृथ्वी पर इंसान की बनाई हुई तमाम चीजें हैं जिंदगी आसान करती हैं. आज वो अपनी अक्ल से प्रकृति को चुनौती दे रहा है. लेकिन ऐसा हुआ कैसे? चलिए ये समझते हैं.
बात करीब 19 लाख साल पहले की है. ये वो वक्त था जब पृथ्वी पर पहली बार पके हुए खाना मिलने के सबूत मिले थे. यानी उससे पहले इंसान आग पर काबू करना सीख चुका था. आग ने इंसान को शक्तिशाली बनाया और आग से ही इंसान ने अपनी जिंदगी की कई महत्वपूर्ण जरूरतों को पूरा किया. आग के बाद मानव ने जो महत्वपूर्ण खोज की वो थी पहिए की खोज, करीब 3500 सौ ईसा पूर्व में पहिए की खोज हुई थी. शुरु में लकड़ी के गोल गुटकों के पहिए बने औज आज हम जो पहिए देखते हैं ये उसी खोज की आधुनिक शक्ल है. इंसान के विकास की प्रक्रिया इन्हीं पहियों पर सवार होकर आगे बढ़ी है. इन पहिओं ने ही इंसान को ताकतवर बनाने का भी काम किया.
इंसान ने आग और पहिए के अलावा एक और जो महत्वपूर्ण खोज की वो है कंपास की खोज. कंपास से इंसान ने दिशा का ज्ञान प्राप्त किया. 9वीं से 11वीं शताब्दी के बीच चीन में इसका आविष्कार हुआ और इंसान को महाबली बनाने में कंपास का बड़ा योगदान रहा है क्योंकि इसकी मदद से ही उसने लंबी लंबी यात्राएं कीं थीं. एक और आविष्कार है जो इंसान को ताकतवर बनाने में मददगार रहा और वो है अबाकस. अबाकस आधुनिक गणित के महत्वपूर्ण सूत्रों की बुनियाद है. इतिहास में इसका पहली बार जिक्र 2700-2300 ईसापूर्व में मेसोपोटामिया की सभ्यता में मिलता है.
जब इंसान के पास उसकी जरूरत का काफी सामान हो गया तो उसे छपाई की जरूरत महसूस हुई. और इसी जरूरत को देखते हुए चीन में सांग राजवंश के समय कीरब 12वीं शताब्दी में प्रिटिंग प्रेस का आविष्कार हुआ. इसके बाद जर्मनी के योहानस गुटनबर्ग ने 1440 के करीब इसका और परिष्कृत रूप बनाया. इस खोज की मदद से इंसानों ने काफी तरक्की की. विकास के लिए जरूरी है सफर. सफर के लिए जरूरी है गाड़ी और गाड़ी ऐसी जिसमें रफ्तार हो. 1712 में इसी जरूरत को समझते हुए थॉमस न्यूकोमेन ने पिस्टन का इस्तेमाल करके एट्मॉस्फैरिक इंजन बनाया जो पहला भाप इंजन था. इसके बाद 1781 में जेम्स वॉट ने 10 हॉर्सपावर का इंजन बनाया जो कि लगातार काम कर सकता था.
इंसान को बाहुबली बनाने में एक और आविष्कार को मील का पत्थर साबित हुआ वो है बल्ब. रोशनी देने वाले बल्ब की खोज 1879 में थॉमस अल्वा एडिसन ने की थी. ये कार्बन फिलामेंट वाला बल्ब था. इस बल्ब की मदद से उन्होंने पूरी तरह प्रकाश पैदा कर सकने वाला सिस्टम बनाया. आज के दौर की सबसे बड़ी ताकत है संचार. लेकिन इसकी शुरुआत होती है 1876 से जब अलेक्जेंडर ग्राहम बेल ने पहली बार अमेरिका में ऐसी मशीन का पेटेंट करवाया जो कि बहुत दूर तक आदमी की आवाज ले जा सकती थी. इसी खोज का नतीजा है कि आज मोबाइल घर घर हैं और संवाद के दम पर दुनिया बहुत सिमट सी गई है.
एक और खोज जो 19वीं सदी में हुई वो है हवाई जहाज की खोज. 1903 में हवाई जहाज के जरिए सफर बहुत आसान हो गया. हजारों किलोमीटर का सफ घंटों में सिमट गया और इंसान के महाबली बनने का रिश्ता इससे भी है कि वो आसानी से एक जगह से दूसरी जगह पर जा सकता है. ये तो वो खोज थीं जिन्होंने इंसानों को ताकत दी उनकी जिंदगी को आसान किया. लेकिन इसके बाद अंग्रेज मैकेनिकल इंजीनियर चार्ल्स बावेज ने बनाया कंप्यूटर. जीहां एक ऐसी खोज जिसने मानव सभ्यता को ही बदल दिया. 1822 में उन्होंने पहला मैकेनिकल कंप्यूटर बनाया था जिसका आधुनिक रूप इंसानों की सबसे बड़ी जरूरत बन गया है. कम्प्यूटर से ही जुड़ा है इंटरनेट जिसकी शुरुआत 1960 में हुई. अमेरिकी रक्षा विभाग की अडवांस रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी के लिए लॉरेंस रॉबर्टस् के नेतृत्व में ऐजेंसी के कंप्यूटरों को जोड़ने के मकसद से एक नेटवर्क बनाया गया. जिसे बाद में इंटरनेट कहा गया.
इंसानी सभ्यता के विकास में इस खोजों के जरिए वो पढ़ाव पार किए गए जिसने उसे अपार ताकत दी. आज की दुनिया में इंसान की ताकत इतनी बढ़ चुकी है कि वो प्रकृति को चुनौती दे रहा है. यही वो खोज हैं जिसने उसे पृथ्वी का सबसे शक्तिशाली प्राणी बना दिया.