असम में NRC की आखिरी सूची आने के बाद इसको लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. जानकारी ये है कि इस फैसले ने सरकार के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है और दूसरे राज्यों में सरकार इसे लागू करने का जोखिम नहीं उठाएगी.
NRC की आखिरी सूची जारी होने के बाद असम में काफी उहापोह की स्थिति बन गई है. जिन लोगों का नाम इस सूची में नहीं है वो अपनी नागरिकता साबित करने में लगे हैं. वहीं केंद्र सरकार का कहना है कि जिन लोगों का नाम इस सूची में नहीं है उन्हें डिपोर्ट नहीं किया जाएगा. ये भी खबर है कि इस कवायद को अब दूसरे राज्यों में शुरू करने की कोशिश नहीं की जाएगी.
National Register of Citizens (NRC) की आखिरी सूची में 19 लाख से ज्यादा लोगों को जगह नहीं मिली. इसके जो नतीजे आए हैं उसने बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. इस अभूतपूर्व कोशिश से निकले नतीजे बीजेपी के ऐतिहासिक दावों से काफी दूर है. इस वजह से पार्टी की असम यूनिट में खासी नाराजगी है. इस प्रक्रिया से जुड़े एक अधिकारी ने कहा है,
‘इस कवायद और इसके नतीजों को देखते हुए, यह मान लेना सही होगा कि एनआरसी को देश के दूसरे हिस्सों में नहीं लागू करने की कोशिश नहीं की जाएगी। यह समस्या भरा, खर्चीला और निरर्थक प्रयास है।’
यहां आपको ये जान लेना चाहिए कि बीजेपी बांग्लादेश के अवैध प्रवासियों की समस्या बीते दो दशकों से उठाती रही है. 2003 के बाद से पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पास प्रस्तावों में कम से कम 17 बार इस मुद्दे को जगह मिली है. पार्टी ने इसे अपने दूसरे कोर एजेंडे मसलन आर्टिकल 370 को खत्म करने, राम मंदिर निर्माण और यूनिफॉर्म सिविल कोड के जैसे ही अहमियत दी है.
लेकिन असम में NRC के जो आंकड़े आए हैं उनमे काफी खामी है. असम के वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि सूची में और अवैध प्रवासियों के नाम होने चाहिए थे. यहां आपको ये भी बता दें कि जो सूची जारी हुई है उससे असम बीजेपी के नेता ही खुश नहीं है. ये तब है जब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह अवैध प्रवासियों को ‘दीमक’ बता चुके हैं.
अप्रवासी की संख्या को लेकर भी सवाल
एक तरफ बीजेपी के वरिष्ठ बीजेपी नेता और पूर्व डिप्टी पीएम लालकृष्ण आडवाणी ने 2003 में देश में अवैध प्रवासियों की संख्या करीब 10 लाख बताई, नवंबर 2016 में तत्कालीन गृह राज्य मंत्री किरण रिजीजू ने राज्यसभा में भारत में अवैध ढंग से करीब 2 करोड़ बांग्लादेशियों के देश में रहने की बात कही. लेकिन जब असम में जारी हुई आखिरी सूची में ही खामी है तो फिर क्या किया जाए. क्योंकि बीजेपी कई बार ये कहती आई है कि जिन लोगों का सूची में नाम नहीं होगा उन्हें डिपोर्ट किया जाएगा.
ये भी पढ़ें:
- सिलिकॉन वैली पहुँचा JOIST, वैश्विक संबंधों को विस्तार देने की कोशिश!
- क्या खत्म हो गई है पीएम मोदी और ट्रम्प की दोस्ती?
- मुश्किल में बीजेपी नेता विकास गर्ग, गाज़ियाबाद कोर्ट ने कहा- “दोबारा जाँच करके रिपोर्ट पेश करे पुलिस” जानिए क्या है पूरा मामला?
- क्या है लॉकबिट जिसने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है?
- शिवपाल सिंह यादव को अखिलेश ने दी मुश्किल मोर्चे की जिम्मेदारी, जानिए बदायूं से क्यों लाड़वा रहे हैं लोकसभा चुनाव?
लेकिन अब डिपोर्ट की बात नहीं की जा रही है. वहीं 4 अगस्त 2018 को तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने बांग्लादेशी समकक्ष से बातचीत के दौरान आश्वासन दिया था कि डिपोर्टेशन कोई मुद्दा नहीं है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपनी हालिया ढाका यात्रा के दौरान कहा कि एनआरसी एक आंतरिक मामला है. इससे इस बात के संकेत मिले कि अवैध प्रवासियों को प्रत्यर्पित करने की योजना नहीं है
अब NRC की जो आखिरी सूची आई है उसमें 3.29 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था लेकिन NRC के अधिकारियों ने जो लिस्ट जारी की है उसमें 40 लाख लोगों का नाम नहीं आया है. ऐसे में सरमा ने कहा कि अभी खेल खत्म नहीं हुआ और पार्टी अंत तक यह सुनिश्चित करेगी कि एक भी सही शख्स लिस्ट से बाहर न हो जबकि किसी भी विदेशी को इसमें जगह न मिले.