कर्नाटक : येदियुरप्पा पर क्यों नहीं लागू हुआ मोदी-शाह का फॉर्मूला ?
कर्नाटक में गठबंधन सरकार गिरने के बाद मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने विश्वासमत हासिल कर लिया है. कांग्रेस-जेडीएस के 17 विधायकों के अयोग्य घोषित होने के बाद बहुमत का आंकड़ा 105 रह गया था. विश्वासमत जीतने के बाद बाद येदियुरप्पा चौथी बार सीएम बन गए हैं.
पीटीआई की खबर के मुताबिक कांग्रेस-जेडीएस के 17 विधायकों के अयोग्य घोषित होने के बाद विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 105 रह गया था. जिसे बीजेपी ने आसानी से जीत लिया और अपनी सरकार बना ली. विपक्ष ने मत विभाजन के लिए दबाव नहीं बनाया. इसके बाद अध्यक्ष केआर रमेश ने घोषणा की कि प्रस्ताव ध्वनि मत से पारित किया जाता है. विश्वासमत हासिल करने के बाद बीएस येदियुरप्पा ने कहा,
‘वे बदले की राजनीति नहीं करेंगे. उनका कहना था, ‘मैं अपना विरोध करने वालों को भी पसंद करता हूं.’
17 विधायकों की बगावत के बाद कुमारस्वामी सरकार गिर गई थी और शुक्रवार को ही भाजपा की कर्नाटक इकाई के मुखिया बीएस येदियुरप्पा ने सरकार बनाने का दावा पेश किया. येदियुरप्पा ने उसी दिन शाम को चौथी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली थी. कर्नाटक के खेल में अभी भी स्थिरता की गारंटी नहीं दी जा सकती क्योंकि अभी भी कई रास्ते खुले हुए हैं.
येदियुरप्पा 75 प्लस है लेकिन मोदी-शाह की जोड़ी ने उनके ऊपर भरोसा किया है. येदियुरप्पा ने भारत की सबसे ताकतवर जोड़ी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को अपने पक्ष में करने में कामयाबी हासिल की है. क्योंकि मोदी शाह की जोड़ी ने 75 साल पूरे होने पर लाल कृष्ण आडवाणी को मार्गदर्शक मंडल का रास्ता दिखा दिया. लेकिन 76 साल के येदियुरप्पा को दरकिनार कर ऐसा नहीं किया जा सकता.
बीजेपी के लिए क्योंकि जरूरी है येदियुरप्पा?
चुंकि येदियुरप्पा कर्नाटक में बीजेपी के सबसे बड़े नेता हैं और मोदी-शाह के लिए उन्हें नकारना आसान नहीं है. बीजेपी के पास येदियुरप्पा पूरे राज्य में एकमात्र नेता हैं जिनकी पहुंच हर जगह है. येदियुरप्पा के समर्थन का आधार काफी हद तक उनका लिंगायत समुदाय है. मोदी-शाह जानते हैं कि लिंगायत समुदाय का प्रभाव पूरे कर्नाटक में है और उसे नाराज नहीं किया जा सकता. ये संयोग ही कहा जाएगा कि येदियुरप्पा सिर्फ़ एक बार नहीं बल्कि दो बार कुमारस्वामी की ख़ाली की गई कुर्सी पर बैठेंगे. पहली बार, 2006 में कुमारस्वामी ने जेडीएस-बीजेपी गठबंधन के समझौते के तहत उन्हें मुख्यमंत्री पद से वंचित कर दिया था.