17वीं लोकसभा का पहला सत्र, विपक्ष की हैसियत हुई और कम
देश की 17वीं लोकसभा का पहला सत्र शुरु हो गया है. लोकसभा चुनाव में जीते सांसदों के शपथग्रहण के साथ शुरु हए सत्र में पहले दो दिन सांसद शपथ लेंगे. पहले दिन सबसे पहले नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री और सदन के नेता के रूप में शपथ ली. उनके बाद गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शपथ ली.
17वीं लोकसभा का पहला सत्र शुरु हुआ है. और इस बार ना के बराबर है. लोकतंत्र में विपक्ष की बड़ी भूमिका होती है लेकिन इस बार विपक्ष की ना सिर्फ संख्या कम है बल्कि हैसियत भी कम है. हालांकि सत्र शुरु होने से पहले नरेंद्र मोदी ने कहा है कि संसदीय लोकतंत्र में सक्रिय विपक्ष महत्वपूर्ण होता है और उसे अपनी संख्या के बारे में परेशान होने की जरूरत नहीं है.
प्रधानमंत्री प्रेस से बात करते हुए ये भी कहा है कि विपक्ष को सक्रियता से बोलने और सदन की कार्यवाही में भागीदारी करने की जरूरत है और उन्होंने ये उम्मीद की है कि ये सत्र साथर्क होगा. आपको बता दें कि ये सत्र 40 दिन चलेगा जिसमें 30 बैठकें होगीं. 19 जून को लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा. और पांच जुलाई को नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश होगा.
विपक्ष की हैसियत घटी
ये प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का दूसरा कार्यकाल है जिसमें उनकी पार्टी को 303 सीटें मिलीं हैं जो 2014 से भी ज्यादा हैं. भाजपा नेतृत्व ने 2014 की तरह इस बार भी एनडीए का बैनर बरकरार रखने का फैसला किया. 17वीं लोकसभा में बीजेपी काफी मजबूत है और ऐसे में विपक्ष के पास मौके कम ही हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि कई बड़े नेता चुनाव हार गए हैं.
बात विपक्ष की करें तो उसकी हालत और ज्यादा खराब हुई है. कांग्रेस ने पिछले चुनाव में 44 सीटें जीतीं थे लेकिन इस बार उसके 52 सांसद ही हो पाए हैं. तीसरे नंबर पर द्रमुक है, जिसके पास 23 सीटें हैं, फिर टीएससी और वाईएसआर कांग्रेस का नंबर है जिनको 22-22 सीटें मिली हैं. विपक्ष के दायरे में सिर्फ तीन ही दल हैं जिनके पास 20 से ज्यादा सीटें हैं.