सावरकर के नाम के आगे नहीं लगेगा ‘वीर’, गहलोत सरकार का फैसला
राजस्थान की गहलोत सरकार ने स्कूल के पाठ्यक्रम में बदलाव किया है. अब राजस्थान बोर्ड ऑफ सेकेंडरी की किताबों में सावरकर के नाम के आगे ‘वीर’ शब्द नहीं लिखा जाएगा. ये संशोधन 12वीं कक्षा की किताबों की भूमिका में किया गया है.
दिसंबर 2018 में राजस्थान की सरकार बदली थी और अब यहां के सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्र में भी बदलाव किया गया है. राजस्थान की गहलोत सरकार ने राज्य बोर्ड के बाद के छात्रों के लिए स्कूल पाठ्य पुस्तकों में कई बदलाव किए हैं. इसमें ऐतिहासिक घटनाओं, व्यक्तित्वों और एनडीए सरकार द्वारा अपने पहले कार्यकाल में लिए गए निर्णयों से संबंधित जो चीजें थीं उनको हटाया गया है.
ख़बर ये भी है कि राजस्थान बोर्ड ऑफ सेकेंडरी कि किताबों में अब वीडी सावरकर ने नाम के आगे से वीर शब्द हटा दिया गया है. 12वीं कक्षा की इतिहास की किताब की भूमिका में ये संशोधन किया गया है. आपको बता दें कि राजस्थान बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (RBSE) के लिए लिए जो किताबें छापी जाती हैं वो राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक बोर्ड (RSTB) ही बाजार में बांटता है.
बताया जा रहा सावरकर के नाम के आगे से ‘वीर’ हटाने की सिफारिश 13 फरवरी को गठित पाठ्यपुस्तक समीक्षा समिति ने की थी. राजस्थान बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (RBSE) के लिए छपी किताबें राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक बोर्ड (RSTB) ने बाजार में बांट दी हैं और इन किताबों में सावरकर के नाम के आगे ‘वीर’ शब्द नहीं है.
वीडी सावरकर को लेकर गर्मा सकती है राजनीति
सावरकर का पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर था. उनसे जुड़ा हुआ जो पाठ्यक्रम स्कूलों में पढ़ाया जाता है उसमें बताया गया है कि कैसे जेल में बंद होने के दौरान सावरकर ने अंग्रेजों को चार बार दया याचिका के लिए पत्र लिखा. यही नहीं दूसरी दया याचिका में उन्होंने खुद को पुर्तगाली बताया और सावरकर ने भारत को हिंदू देश बनाने की दिशा में काम किया. जो नई किताब आई है उसमें लिखा है कि सावरकर ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया और पाकिस्तान के गठन का भी विरोध किया था. गहलोत सरकार में जो नई किताब आई है उसमें लिखा है कि 30 जनवरी 1948 में गांधी की हत्या के बाद गोडसे को उनकी हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया और उनपर केस चला, बाद में उन्हें इस मामले से बरी कर दिया गया. इन परिवर्तनों के बाद राजनीति गर्मा सकती है.