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राम मंदिर निर्माण को लेकर फिर से क्यों सक्रिय हुई शिवसेना ?

राम मंदिर निर्माण को लेकर शिवसेना फिर से सक्रिय हो गई है.

राम मंदिर निर्माण को लेकर शिवसेना लोकसभा चुनाव से पहले सक्रिय हुई थी. उद्धव ठाकरे अपनी पत्नी के साथ अयोध्या गए थे और बीजेपी पर उन्होंने तीखे हमले किए थे. लोकसभा चुनाव के बाद फिर से शिवसेना ने अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में बयान देने शुरू कर दिए हैं.

सवाल ये है कि आखिर क्यों शिवसेना राम मंदिर निर्माण को लेकर फिर सक्रिय हो गई है. शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने ट्वीट किया है,

बीजेपी के पास 303 सांसद, शिवसेना के 18 सांसद. राम मंदिर निर्माण के लिए और क्या चाहिए?”

यहां आपको बता दें कि इस बाद शिवसेना प्रमुख जीतने के बाद एकवीरा देवी के दर्शन न करके अयोध्या में भगवान राम के दर्शन करने के लिए जा रहे हैं. कहीं न कहीं वो इसके जरिए एक राजनीतिक संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं. क्योंकि राम मंदिर को मुद्दा बीजेपी के लिए फायदे का सौदा रहा है और इसके लिए शिवसेना बीजेपी पर बढ़त बनना चाहती है. राम मंदिर को लेकर शिवसेना ही नहीं सुब्रमण्यम स्वामी ने भी ट्वीट करके मंदिर निर्माण की वकालत की थी. उन्होंने ट्विटर पर लिखा,

यह सही समय है जब नमो सरकार को रामजन्मभूमि न्यास समिति या विश्व हिंदू परिषद के ज़रिये राम मंदिर के निर्माण की शुरुआत कर देनी चाहिए. 67.703 एकड़ की पूरी ज़मीन केंद्र सरकार की है. जब सुप्रीम कोर्ट फैसले देगा तो जीतने वालों को मुआवज़ा दिया जा सकता है, पर ज़मीन नहीं. इस बीच निर्माण शुरू किया जा सकता है.”

25 नवंबर 2018 को उद्धव ठाकरे ने अयोध्या जाकर मोदी सरकार पर तीखे हमले किए थे. उनकी इस यात्रा को ‘ग़ैर-राजनीतिक यात्रा’ बताया गया था लेकिन इसका मकसद ये था ये किसी से छिपा नहीं था. हालाकिं अभ उद्धव ठाकरे कि अयोध्या यात्रा को लेकर संजय राउत कहा कहना है कि ,

चुनाव से पहले हम सब उद्धव ठाकरे के साथ अयोध्या गए. चुनाव के बाद भी हमने कहा कि हम फिर से आएंगे. चुनाव खत्म हो जाएं हमें बहुमत मिल जाए तो क्या हम रामलला और अयोध्या को भूल जाएंगे? यही हमारी प्रतिबद्धता है?”

जानकारों का मानना है कि शिवसेना की राम मंदिर को लेकर रणनीति से साफ हो जाता है कि वो बीजेपी पर हर हालत में दवाब बना कर रखना चाहती है. शिवसेना सरकार का हिस्सा है पर मनचाहा मंत्री पद न मिलने से पार्टी में एक नाराज़गी भी है. बीजेपी को जैसा प्रचंड बहुमत मिला है, उसके बाद शिवसेना उसका विरोध तो नहीं कर सकती लेकिन राम मंदिर जैसा मुद्दा छेड़कर उस पर दवाब नाने की रणनीति पर काम कर सकती है. महाराष्ट्र में इस साल के आखिर में चुनाव भी होने हैं और शिवसेना जानती है अगर उसके बीजेपी से वार्निंग करनी है तो अपनी गोटियां सही जगह बिछानी होंगी.

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