लोकसभा चुनाव 2019 : आखिरी चरण में मोदी समेत कई दिग्गजों की किस्मत दांव पर

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लोकसभा चुनाव का सांतवा और आखिरी चरण बाकी है और इस चरण में 59 सीटों पर 19 मई को वोटिंग होगी. सातवें चरण में उत्तर प्रदेश की 13 सीटों के लिए मतदान रविवार को होगा. ये वो 13 सीटों हैं जिनपर बीजेपी ने 2014 में कमाल किया था. ये वो सीटें हैं जहां बीजेपी के दिग्गज नेता मैदान में हैं.

आखिरी चरण में यूपी की बची हुई 13 सीटों पर वोटिंग होनी है. इस चरण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय मंत्रियों में मनोज सिन्हा, अनुप्रिया पटेल, और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, पूर्व मंत्री आरपीएन सिंह और भोजपुरी फिल्म अभिनेता रवि किशन सहित कई दिग्गजों की राजनीतिक किस्मत का फैसला होगा. आखिरी चरण में प्रधानमंत्री मोदी समेत दो केंद्रीय मंत्रियों मनोज सिन्हा और अनुप्रिया पटेल के भी भाग्य का फैसला होना है.

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मनोज सिन्हा गाजीपुर से मैदान में हैं यहां गठबंधन ने अफजाल अंसारी को टिकट दिया है. इस सीट से कांग्रेस ने अतीत प्रताप कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है. वहीं अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं, जहां से गठबंधन सपा के टिकट पर राजेंद्र एस. बिंद चुनाव मैदान में हैं. कांग्रेस ने ललितेश पति त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाया है.

वाराणसी में पर लगी हैं सबकी निगाहें

आखिरी चरण में यूपी की दो सीटों पर सबकी नजर है. पहली सीट है वाराणसी और दूसरी सीट है गोरखपुर से. वाराणसी सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुकाबले कोई ऐसा दमदार प्रत्याशी नहीं है, जो उनसे टक्कर लेता दिख रहा हो. विपक्षी एकजुटता का न होना मोदी के लिए वाकओवर माना जा रहा है. यहां से पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के लड़ने की चर्चा थी लेकिन बाद में काग्रेस ने अपने पुराने प्रत्याशी अजय राय को टिकट दे दिया.

वाराणसी में गठबंधन ने कुछ रंग दिखाने की कोशिश की थी. सपा ने यहां पर गठबंधन (सपा) ने बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन उनका पर्चा रद्द होने के बाद शालिनी यादव को प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. वाराणसी में प्रधानमंत्री के चुनाव मैदान में होने से आस-पास की सीटों पर लाभ मिलने की भाजपा को उम्मीद है.

गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ क्या करेंगे?

इसी तरह गोरखपुर लोकसभा सीट भी अहम है क्योंकि यहां पर योगी आदित्यनाथ की साख दांव पर लगी है. गोरखपुर लोकसभा सीट को भाजपा का गढ़ कहा जाता है. 29 साल से ये सीट बीजेपी के पास थी लेकिन 2018 में हुए उपचुनाव में समाजवादी और बहुजन समाज पार्टी गठबंधन के प्रत्याशी प्रवीण निषाद ने इस सीट पर जीत दर्ज कराई थी. इस बार यहां पर बीजेपी ने भोजपुरी अभिनेता रविकिशन को मैदान में उतारा है.

गठबंधन ने यहां से रामभुआल निषाद को मैदान में उतारा हैं. रामभुआल प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री और दो बार विधायक रहे हैं. पिछड़ों के बीच मजबूत पकड़ वाले नेता रामभुआल भाजपा को कांटे की टक्कर दे रहे हैं. कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे मधुसूदन त्रिपाठी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं. भाजपा मोदी के नाम, योगी के काम और गोरखपुर की दो साल में हुई तरक्की की बुनियाद पर चुनाव लड़ रही है.

चंदौली में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मैदान में

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे चंदौली से चुनाव लड़ रहे हैं. 2014 में भी वो यहां से जीते थे लेकिन इस बार उनको चुनौती मिल रही है. बनारस जिले की दो विधानसभा सीटों को शामिल कर बने इस संसदीय क्षेत्र से सपा ने संजय चौहान को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस ने पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा की पत्नी शिवकन्या कुशवाहा को मैदान में उतारा है. पांडेय को सपा-बसपा गठबन्धन से चुनौती मिल रही है.

कांग्रेस के लिए भी ये चरण महत्वपूर्ण है क्योंकि पूर्वी यूपी की प्रभारी बनाए जाने के बाद यहां प्रियंका गांधी ने सक्रियता दिखाई है. कुशीनगर से पूर्व पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह की किस्मत का भी फैसला होना है. यहां से भाजपा ने विजय दुबे को टिकट दिया है, जबकि गठबंधन की तरफ से सपा के नथुनी प्रसाद कुशवाहा चुनाव मैदान में हैं. आखिरी चरण में महराजगंज, गोरखपुर, बांसगांव, घोसी, कुशीनगर, देवरिया, सलेमपुर, वाराणसी, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, राबर्ट्सगंज और मीर्जापुर शामिल हैं.

आखिरी चरण में 13 संसदीय सीटों पर 2 करोड़ 32 लाख मतदाता 167 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे. सातवें चरण में कुल 13979 मतदान केंद्र और 25874 मतदान बूथ बनाए गए हैं.

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