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लोकसभा चुनाव : सत्ता के लिए माथापच्ची, अपनी-अपनी जुगत में लगे क्षत्रप

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लोकसभा चुनाव के नतीजों से पहले सरकार बनाने के लिए विपक्षी दलों में हलचल तेज हो गई है. आंध्र प्रदेश के मुख्‍यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने 19 मई को अंतिम चरण के मतदान और 23 मई को चुनाव परिणाम आने से पहले दिल्‍ली में विपक्षी दलों की बैठक का प्रस्‍ताव रखा है. इस क्रम में उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, ममता सहित करीब डेढ़ दर्जन क्षेत्रीय दलों के नेताओं से संपर्क साधा है.

लोकसभा चुनाव : चुनाव परिणाम से पहले बैठक के नायडू के इस प्रस्‍ताव को पश्चिमी बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी के बाद अब बीएसपी सुप्रीमो मायावती और समाजवादी पार्टी के अध्‍यक्ष अखिलेश यादव से झटका लग सकता है. माना जा रहा है कि एसपी और बीएसपी दोनों ही दल विपक्ष की इस बैठक से दूर रह सकते हैं. नेताओं की उपलब्‍धता होने पर बैठक के लिए अभी 21 मई का दिन निर्धारित किया गया है. नायडू ने इस संबंध में ममता बनर्जी से बात की है. माना जाता है कि नायडू ने बैठक को लेकर कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी से भी चर्चा की है. हांलाकि ममता ने लोकसभा चुनाव परिणाम आने से पहले ऐसी किसी बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है.

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सूत्रों के मुताबिक मायावती और अखिलेश यादव ने भी चुनाव परिणाम से पहले इस बैठक में शामिल होने को अपनी स्‍वीकृति नहीं दी है. समाजवादी पार्टी का मानना है कि विपक्षी दलों की यह बैठक तभी रचानात्‍मक होगी जब यह तस्‍वीर साफ हो जाएगी कि टेबल पर कौन क्‍या लेकर आ रहा है. बहुजन समाज पार्टी का भी मानना है कि विपक्षी दलों की इस तरह की बैठक तब तक सार्थक नहीं होगी जब तक कि यह साफ नहीं हो जाता है कि लोकसभा चुनाव में हरेक पार्टी कितनी सीटें लेकर आती है. एक तरफ जहां नायडू कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों को साथ लाना चाहते हैं वहीं तेलंगाना राष्‍ट्र समिति के अध्‍यक्ष के चंद्रशेखर राव ने केरल के सीएम पिनराई विजयन और डीएमके चीफ एमके स्‍टालिन के साथ बातचीत शुरू कर दी है ताकि क्षेत्रीय दलों के सहयोग से एक गैर- कांग्रेसी और गैर-बीजेपी संघीय मोर्चा बनाया जा सके.

क्या दक्षिण से निकलेगा सत्ता का रास्ता ?

केसीआर ने इस संबंध में सोमवार को डीएमके चीफ एमके स्‍टालिन के साथ मुलाकात की है. सूत्रों के मुताबिक मुलाकात के दौरान केसीआर ने केंद्र में अगली सरकार के गठन में स्‍टालिन का सहयोग मांगा. सूत्रों के मुताबिक स्‍टालिन ने केसीआर से कहा कि कांग्रेस के बिना इस तरह का मोर्चा बनाना व्‍यर्थ होगा. विपक्ष का मानना है कि इस बार किसी भी दल तो दूर किसी गठबंधन को बहुमत हासिल नहीं होगा. ऐसी स्थिति में सत्तारूढ़ एनडीए का नेतृत्व करने वाली भाजपा दूसरे दलों के नेताओं को साथ लाने की पहल करेगी. विपक्षी दल चाहते हैं कि नतीजे आने से पहले ही एनडीए को सत्ता में दोबारा आने से रोकने की रणनीति बना ली जाए, ताकि विपक्षी एकता में सेंध न लग पाए.

मायावती की मोदी पर हमलों का मतलब

दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत के दावे कर रहीं बहुजन समाज पार्टी  की प्रमुख मायावती का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला लगातार जारी है. मंगलवार सुबह मायावती ने ट्वीट कर पीएम नरेंद्र मोदी के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भी आड़े हाथों ले लिया. मायावती ने लिखा कि इस बार चुनाव में RSS के स्वयंसेवक झोला उठाते हुए नजर नहीं आ रहे हैं, इसी वजह से नरेंद्र मोदी के पसीने छूट रहे हैं. वहीं पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की रैली की अनुमति रद्द किए जाने के बाद अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  की चुनावी सभा की अनुमति को भी रद्द कर दिया गया है. आदित्यनाथ की आगामी 15 मई को दक्षिण पश्चिम कोलकाता में बेहाला इलाके में जेम्स लॉग सारानी में जनसभा करने की अनुमति को स्थानीय प्रशासन द्वारा वापस ले लिया गया. आदित्यनाथ को इसी दिन उत्तर 24 परगना जिले के हावड़ा में एक तथा उत्तर कोलकाता के फूलबागान में एक रैली को संबोधित करना था.

ममता, माया, अखिलेश जैसे नेता गैर कांग्रेस-गैर भाजपा सरकार के पक्ष में हैं. ऐसे में ये नेता नतीजा आने से पहले कांग्रेस की अगुवाई में होने वाली बैठक से दूर रहना चाहते हैं. ये नेता चाहते हैं कि पहले नतीजा आ जाए, उसके बाद संख्याबल के हिसाब से रणनीति बनाई जाए. दरअसल किसी को बहुमत न मिलने की स्थिति में ममता, माया, अखिलेश, के चंद्रशेखर राव, जगनमोहन रेड्डी, नवीन पटनायक जैसे नेताओं का रुख महत्वपूर्ण हो जाएगा.

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