लोकसभा चुनाव में राजनीतिक पार्टियां सेना का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए कर रही हैं. इस बात से नाराज होकर 8 पूर्व सैन्य प्रमुखों ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर सेना के राजनीतिक इस्तेमाल को रोकने का आग्रह किया है.
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देश के 8 पूर्व सैन्य प्रमुखों ने सेना के राजनीतिक इस्तेमाल को लेकर अपनी पीड़ा जाहिर की है. इन पूर्व सैन्य प्रमुखों ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर अपनी बात उनके सामने रखी है. इन्होंने राष्ट्रपति जो तीनों सेनाओं का प्रमुख होता है उनसे आग्रह किया है कि वो सेना के राजनीतिक इस्तेमाल को रोकें. द टेलिग्राफ के मुताबिक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लिखे पत्र में कहा गया है,
“महोदय, राजनेता सीमा पार कार्रवाइयों जैसे मिलिट्री ऑपरेशंस का क्रेडिट ले रहे हैं और इससे भी दो कदम आगे जाते हुए देश की सेना को ‘मोदी जी की सेना’ करार दे रहे हैं, यह बिल्कुल ही असामान्य और अस्वीकार्य है।”
जिन पूर्व सेना प्रमुखों ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी है उनमें जनरल एसएफ रॉड्रिग्ज, जनरल शंकर रॉय चौधरी, जनरल दीपक कपूर, एडमिरल लक्ष्मीनारायण रामदास, एडमिरल विष्णु भागवत, एडमिरल अरुण प्रकाश, एडमिरल सुरेश मेहता और चीफ मार्शल एनसी सूरी जैसे मिलिट्री वेटरन शामिल हैं
सेना के इस्तेमाल पर आपत्ति
पूर्व सेना प्रमुखों की इस चिट्ठी में किसी राजनीतिक दल या नेता का नाम नहीं लिखा है. इस इस बात को लेकर अपनी चिंता जरूर जाहिर की गई है कि सेना को जिक्र राजनीतिक मंचों पर होने ठीक नहीं है. लोकसभा चुनाव 2019 में कई मौकों पर सेना के शौर्य और ऑपरेशन का जिक्र किया गया है. हालात यहां तक खराब हो गए कि ईसी को दखल देना पड़ा.
ईसी ने सेना से जुड़े पोस्टरों तथा बैनरों के इस्तेमाल पर रोक लगाई है. लेकिन फिर भी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 अप्रैल को पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं से बालाकोट एयर-स्ट्राइक और पुलावामा के शहीदों को समर्पित करने का आह्वान किया तो विपक्ष ने सवाल खड़े किए. यूपी के सीएम भी सेना को मोदी की सेना बता चुके हैं.