लोकसभा चुनाव 2019: आगरा डिविजन में बीजेपी उम्मीदवारों को भितरघात का खतरा
लोकसभा चुनाव का शंखनाद होने के बाद राजनीतिक दल अपने-अपने उम्मीदवारों का एलान कर रहे हैं. ऐसे में जिन्हें टिकट मिल रहा है वो तो खुश हैं लेकिन जिन्हें टिकट नहीं मिल रहा या जितना टिकट बदला जा रहा है वो नाखुश हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए यूपी की तीन महत्वपूर्ण सीटों पर भितरघात की समस्या खड़ी हो गई है.
लोकसभा चुनाव 2019: आगामी चुनाव में बीजेपी के लिए भितरघात से निपटना एक बड़ी चुनौती बन गई है. बीजेपी ने कुछ सांसदों की सीटों में तब्दीली की गई है और कुछ को टिकट नहीं मिला है. ऐसी सीटों में मथुरा, आगरा और फतेहपुर सीकरी जैसी सीटें हैं. मथुरा से बीजेपी मोजूदा सांसद हेमा मालिनी को टिकट दिया है, आगरा से एसपी सिंह बघेल को टिकट दिया है और फतेहपुर सीकरी से राजकुमार चाहर को टिकट दिया है. आगरा डिविजन की इन तीनों ही सीटों पर बीजेपी उम्मीदवारों को भितरघार का डर सता रहा है.
मथुरा
मथुरा की बात करें तो यहां से बीजेपी ने मौजूदा सांसद हेमा मालिनी को उम्मीदवार बनाया है. हेमामालिनी के नाम को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में नाराजगी साफ देखी जा रही है. ये नाराजगी उस वक्त भी देखने को मिली जब पर्चा दाखिल करने के बाद हेमामालिनी ने सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ एक जनसभा को संबोधित किया. इस सभा सीएम योगी की मौजूदगी के बावजूद जनसभा की काफी कुर्सियां खाली थी. यहां पर हेमा मालिनी को सपा-बसपा और रालोद के गठबंधन से मुकाबला करना है. ऐसे में बीजेपी के लिए कार्यकर्ताओं की नाराजगी मुसीबत बन सकती है.
आगरा
मथुरा जैसा हाल आगरा में भी है. बीजेपी ने यहां से यूपी सरकार में मंत्री एसपी सिंह बघेल को टिकट दिया है. यहां से मौजूदा सांसद और पार्टी के दलित चेहरे राम शंकर कठेरिया का टिकट काटकर उन्हें इटावा से मैदान में उतारा गया है. एसपी सिंह बघेल का मुकाबला बीएसपी के मनोज सोनी और कांग्रेस की प्रीता हरित के साथ होगा. पार्टी के इस फैसले के बाद राम शंकर कठेरिया ने कहा है कि
‘पार्टी के इस फैसले से दलित समुदाय को ठेस पहुंची है।’
राम शंकर कठेरिया आरएसएस से जुड़े रहे हैं और पार्टी के बड़े नेताओं में शुमार किए जाते हैं. इस वक्त वो एससी/एसटी आयोग के अध्यक्ष भी हैं उनका टिकट कटने से ऐसी संभावना बन रही है कि पार्टी को आगरा में भी भितरघात को शिकार होना पड़ सकता है.
फतेहपुर सीकरी
फतेहपुर सीकरी की बात करें तो यहां भाजपा ने राजकुमार चाहर को टिकट दिया है. राजकुमार चाहर फतेहपुर सीकरी से 3 बार अलग-अलग पार्टियों से चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन एक बार भी उन्हें जीत नसीब नहीं हुई है. साल 2002 में चाहर ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा. वहीं साल 2007 में भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों ही दफा राजकुमार चाहर को हार का सामना करना पड़ा. साल 2012 में भाजपा ने चाहर को फतेहपुर सीकरी विधानसभा से टिकट नहीं दिया तो वह निर्दलीय चुनाव लड़े और एक बार फिर हार गए. चाहर को यहां पर कांग्रेस के राजबब्बर से मुकाबला करना है और बीजेपी को यहां भी पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी झेलनी पड़ रही है.