चुनावी मौसम है और मोदी सरकार नहीं चाहती कि विपक्ष को एक और मुद्दा मिल जाए. इसलिए सरकार ने केंद्र सरकार की माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनरी एजेंसी (Mudra) योजना के तहत कितने रोजगार पैदा हुए इसकी रिपोर्ट दबा ली है. लेबर ब्यूरो के सर्वे में जो आंकड़े आए हैं अब उसे चुनाव बाद सार्वजनिक किया जाएगा.
मोदी सरकार ने माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनरी एजेंसी (Mudra) योजना के तहत कितने रोजगार पैदा हुए हैं इससे जुड़े लेबर ब्यूरो के सर्वे के आंकड़े सार्वजनिक न करने का फैसला किया है. सरकार ने कहा है कि ये रिपोर्ट दो महीने बाद सार्वजनिक की जाएगी. जनसत्ता में छपी खबर के मुताबिक, सरकार को ये रिपोर्ट इसलिए रोकनी पड़ी क्योंकि रोजगार से जुड़ी लगातार तीसरी रिपोर्ट में सरकार की पोल खोलने वाले आकंड़े थे.
मोदी सरकार में बढ़ी बेरोजगारी
मोदी सरकार नहीं चाहती की चुनावी मौसम में रोजगार से जुड़ी कोई ऐसी रिपोर्ट सार्वजनिक हो जिसे लेकर विपक्ष सरकार को घेर ले. मुद्रा योजना से कितने रोजगार पैदा हुए ये प्रश्न कई बार उठ चुका है क्योंकि पीएम मोदी ने कई बार अपनी सरकार की पीठ इस योजना को लेकर थपथपाई है. बताया जा रहा है कि मुद्रा योजना से कितने रोजगार पैदा हुए इससे जुड़े हुए आंकड़े चुनाव बाद सार्वजनिक किए जाएंगे. एक्सपर्ट कमेटी ने पाया कि निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए ब्यूरो की ओर से इस्तेमाल की गई पद्धति में अनियमितताएं हैं
मुद्रा योजना से जुड़ी रिपोर्ट पर रोक
22 फरवरी को छपी नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) की रिपोर्ट को भी मोदी सरकार खारिज कर चुकी है. ये रिपोर्ट भी रोजगार से जुड़ी हई थी जिसमें कहा गया था कि मोदी सरकार में बेरोजगारी ने चार दशकों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. बताया जा रहा है कि एक मीटिंग में कमेटी ने लेबर ब्यूरो ने रिपोर्ट की ‘कुछ गड़बड़ियों को दुरुस्त’ करने के लिए कहा है और इसके लिए लेबर ब्यूरो ने 2 महीने का वक्त मांगा है. कमिटी की इस विवेचना को फिलहाल केंद्रीय श्रम मंत्री की ओर से अप्रूवल नहीं मिला है. बताया जा रहा है कि आचार संहिता लगने के बाद ये फैसला किया गया कि मुद्रा योजना से जुड़ी हुई रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा.
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रोजगार से मोर्चे पर फेल हुए मोदी
मोदी सरकार ने एनएसएसओ और लेबर ब्यूरो की रोजगार और बेरोजगारी को लेकर आई छठी सालाना रिपोर्ट भी सार्वजनिक नहीं की है. बताया जा रहा है कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि इन रिपोर्ट में मोदी सरकार की रोजगार के मोर्चे पर नाकामी साफ जाहिर हो रही थी. नौकरियों और बेरोजगारी से जुड़ी लेबर ब्यूरो की छठवीं सालाना रिपोर्ट में बताया गया था कि 2016-17 में बेरोजगारी चार साल के सर्वोच्च स्तर 3.9 पर्सेंट पर थी. नीति आयोग ने पिछले महीने लेबर ब्यूरो से कहा था कि वे सर्वे को पूरा करके अपने निष्कर्ष 27 फरवरी को पेश करें ताकि उन्हें आम चुनाव से पहले घोषित किया जा सके. लेकिन आखिरी वक्त पर इस रिपोर्ट को सार्वजनिक होने से रोक दिया गया.