कानपुर में बीजेपी मुख्यालय में काठ यानी लकड़ी की कुर्सी रखी हुई है. शीशे के डिब्बे में रखी ये कुर्सी नरेंद्र मोदी के लिए लकी मानी जाती है. 2014 में ये कुर्सी नरेंद्र मोदी के लिए लकी साबित हुई है. कहते हैं अब ये कुर्सी पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणादायक बन गई है.
कुर्सी के बारे में समझने के लिए आपको थोड़ा पीछे चलना होगा. 2014 लोकसभा चुनाव से पहले गोवा में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मोदी को बीजेपी की ओर से पीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया गया था. इसके बाद उन्होंने कानपुर विजय शंखनाद रैली करके अपने चुनावी अभियान की शुरुआत की थी. 19 अक्टूबर 2013 को जब नरेंद्र मोदी कानपुर में रैली करने आए थे वो जिस काठ की कुर्सी पर बैठे थे वो बीजेपी कार्यकर्ताओं के लिए खास बन गई.
कार्यकर्ताओं की प्रेरणा है कुर्सी
कानपुर के इंदिरा नगर मैदान में उन्होंने ये रैली की थी. जब तक नरेंद्र मोदी पीएम नहीं बने थे तब तक काठ की कुर्सी आम थी. लेकिन जब वो पीएम बन गए तो ये कुर्सी खास हो गई. बीजेपी के कानपुर जिले के प्रमुख सुरेंद्र मैथानी के लिए और पार्टी के युवाओं के लिए ये एक प्रेरणा है. कहा जाता है कि कानपुर कार्यालय में रखी इस कुर्सी की इलाहाबाद में एक बार बोली लगने वाली थी लेकिन बाद में इसकी नीलामी नहीं हुई.
कानपुर बीजेपी की इकाई ने इस कुर्सी धरोहर के तौर सहेजकर रखा है. क्योंकि इसका इस्तेमाल नरेंद्र मोदी ने किया था. बीजेपी कार्यकर्ताओं का मानना है कि इस कुर्सी से पीएम नरेंद्र मोदी का लक जुड़ा है. उन्होंने इसे पॉलिश कराकर एक शीशे के डिब्बे में बंद करके नवीन बाजार में पार्टी के जिला कार्यालय में रखा है. कानपुर ने बीजेपी कार्यकर्ता मानते हैं कि काठ की ये कुर्सी पार्टी के लिए ही नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी के लिए भी लकी है.