भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव से चीन को फायदा या नुकसान ?
चीन चाहता है कि भारत-पाकिस्तान के बीच हालात सामान्य हों. दोनों देशों की सीमाएं सुलग रही हैं. ऐसे में भारत के एक और पड़ोसी की भूमिका को लेकर सवाल उठ रहे हैं. चीन की भूमिका पहले भी संदिग्ध रही है. इस बार भी चीन ने भारत और पाकिस्तान से आग्रह किया है कि दोनों देश आपसी तनाव को कम करें और संयम बरतें. इसके माएने क्या हैं ?
भारत, चीन और पाकिस्तान तीनों पड़ोसी हैं और तीनों के एक दूसरे के साथ हित हैं. हाल के दिनों में जो हालात बने हैं उसपर चीन पैनी निगाह रखे हुए है. चीन ने भारत और पाकिस्तान से कहा है कि दोनों देश तनाव करें और संयम बरतें. इसके मायने क्या है ये समझने की जरूरत है. दरअसल हमें ये समझना होगा कि चीन की पाकिस्तान में अरबों डॉलर की परियोजनाएं चल रही हैं. जिस इलाके में भारत ने बमबारी की वहां पर भी चीन काम कर रहा है और ऐसे में वो ये कतई नहीं चाहता है कि तनाव की वजह से उसको नुकसान हो.
CPEC परियोजना चालू
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के तहत अरबों डॉलर की बुनियादी ढांचा परियोजनाएं पाकिस्तान के किबर-पख्तूनख्वा (KPK) प्रांत में चल रही हैं. आपको बता दें कि काराकोरम राजमार्ग का एक हिस्सा KPK से होकर गुजरता है. ये राजमार्ग चीन के शिनजियांग प्रांत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. 1.3 बिलियन डॉलर की 11 किलोमीटर लंबी थकोट-हवेलियन सड़क परियोजना पर अभी काम चल रहा है और ये उसी मानसेहरा से होकर जाती है जहां पर भारत ने हवाई हमले किए. आपको बता दें कि इस राजमार्ग में एक सुरंग बनाई जा रही है और ये बालाकोट से सिर्फ 40 किलोमीटर की दूरी पर है. इसे मंगलवार को बम से उड़ा दिया गया था.
थकोट-हवेलियन राजमार्ग का काम 2016 में शुरु हुआ था और इसे 2020 में पूरा होना है. इस परियोजना में करीब 1800 चीनी और 7 हजार पाकिस्तानी मजदूरों लगे हैं. इस राजमार्ग के पूरे होने के बाद हवेलियन-एबटाबाद-मानसेहरा-थाकोट के बीच यात्रा के समय को चार घंटे से लेकर डेढ़ घंटे तक घटाएगा जा सकेगा. चुंकि इस परियोजना में चीनी कंपनी शामिल है लिहाजा चीन नहीं चाहता है कि तनाव की वजह से उसकी ये परियोजना प्रभावित हो. यही कारण है कि चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्त लू कांग ने कहा है,
“हमें उम्मीद है कि भारत और पाकिस्तान दोनों संयम बरत सकते हैं और ऐसी कार्रवाइयों को अपना सकते हैं जो इस क्षेत्र की स्थिति को स्थिर करने और संबंधों को बेहतर बनाने में मदद करें।”
चीन का केपीके में कई डॉलर का निवेश
इतना ही नहीं चीनी कंपनी जियोझावा ग्रुप भी कागन घाटी में बालाकोट से सिर्फ 48 किलोमीटर दूर 1.7 बिलियन डॉलर की सूकी किनारी हाइड्रोपॉवर स्टेशन बना रही है. 870 मेगावाट का ये बिजली संयंत्र कुन्हार नदी पर बनाया जा रहा है, इसका काम 2022 तक पूरा होना है. और ये एक उच्च प्राथमिकता वाली हार्वेस्ट परियोजना है. ये पनबिजली KPK को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. इससे यहां करीब 3 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा
इसके अलावा एक और बड़ी परियोजना है कि CPEC फाइबर ऑप्टिक परियोजना. इसकी लागत करीब 37 मिलियन डॉलर है. ये परियोजना पाकिस्तान के दूरसंचार और आईसीटी उद्योग को बेहतर बनाने के लिए है. इससे माध्यम से पाकिस्तानी उत्तरी क्षेत्रों में 3G/4G सेवाओं के लिए आईसीटी इन्फ्रास्ट्रक्चर भी देगा. इसमें भी चीन का करीब 62 बिलियन का निवेश है. ऐसे जिस क्षेत्र में इन दिनों तनाव है वहां चीन कतई नहीं चाहता कि ऐसा हो क्योंकि इस इलाकों में उसका बड़ा निवेश हो रहा है.