आपके होश उड़ जाएंगे जब आप शिक्षा के बजट की सच्चाई जानेंगे !
पीएम मोदी ने 29 जनवरी को छात्र-छात्राओं से मुखातिब होकर उन्हें परीक्षा के तनाव को कम करने के लिए गुर बताए थे. इससे लगता है कि वो पढ़ाई-लिखाई करने वाले को लेकर कितना गंभीर हैं. मगर 1 फरवरी को जब उनका बजट आया तो लगा कि ये गंभीरता सिर्फ बातों तक ही सीमित तो नहीं है. क्योंकि पिछले साल के बजट में उन्होंने 83,626 करोड़ रुपये का आवंटित किए थे. लेकिन उसमें से भी 3,411 करोड़ रुपये खर्च नहीं हो सके.
इस बार शिक्षा के लिए 93,848 करोड़ रुपये का आवंटित किए गए हैं यानी पिछले बजट से 10000 करोड़ रूपये ज्यादा हैं. लेकिन ये कुल बजट एक्सपेंडिचर का 3.3 फीसदी ही है. अब सवाल ये है कि सरकार ने 10 हजार करोड़ रूपया बढ़ाकर ही क्या कर लिया है जब पिछले बजट का ही 3,411 करोड़ रुपये खर्च नहीं हो सका. हायर एजुकेशन पर जोर देने वाली सरकार ने हायर एजुकेशन फाइनांसिंग एजेंसी (HEFA) के बजट में 650 करोड़ रुपये की कटौती कर दी है.
HEFA पिछले बार 2750 करोड़ रुपये आवंटित किए थे इस साल घटाकर 2100 करोड़ रुपये कर दिए गए. इससे भी बड़ी हैरत की बात यह है कि बड़े जोर-शोर से स्थापित की गई इस एजेंसी ने पिछले साल मात्र 250 करोड़ रुपये ही खर्च किए अब आप अंदाजा लगा सकते है कि सरकार शिक्षा को लेकर कितना गंभीर है. बजट में राष्ट्रीय शिक्षा मिशन के लिए 38,572 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, पिछली बार 32,334 करोड़ रुपये दिए गए थे.
समेकित बाल विकास परियोजनाओं (ICDS) के लिए सरकार ने करीब 4 हजार करोड़ रुपये ज्यादा दिए हैं. इस बार ये रकम 27,584 करोड़ है जबकि पिछली बार ये 23,357 करोड़ थी. पिछले साल सरकार ने आदिवासी बहुल इलाकों के लिए नवोदय विद्यालय की तर्ज पर आवासीय एकलव्य विद्यालय के स्थापना की घोषणा की थी लेकिन सालभर बाद भी उस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका है.
सिर्फ इतना ही नहीं 2014 में सरकार ने मध्य प्रदेश में जय प्रकाश नारायण नेशनल सेंटर फॉर एक्सिलेंस इन ह्यूमनिटीज की स्थापना का एलान किया था इसका कुछ नहीं हुआ. मुंबई में नेशनल सेंटर फॉर एक्सिलेंस इन गेमिंग एंड स्पेशल इफेक्ट्स की स्थापना नहीं हो पाई. इसके लिए तो जमीन भी आवंटित कर दी गई है. 2017 के बजट में वित्त मंत्री ने देशभर में 62 नए नवोदय विद्यालयों की स्थापना का एलान किया था अभी एक कदम भी सरकार आगे नहीं बढ़ी.