राम मंदिर मामले की सुनवाई टलने का कल्याण सिंह ‘कनेक्शन’

0

राम मंदिर मामले की सुनवाई एक बार फिर टल गई है. अगली तारीख 29 जनवरी है. दरअसल पांच जजों की जिस संवैधानिक बेंच को ये सुनवाई करनी थी उसमें से एक जज जस्टिस यू यू ललित बेंच से हटने का फैसला किया लिहाजा कोर्ट को अगली तारीख देनी पड़ी. जस्टिस यू यू ललित ने बेंच से हटने का फैसला इसलिए किया है क्योंकि वो इस मामले की कल्याण सिंह की तरफ से पैरवी कर चुके हैं. तो पहले तो आपको जस्टिस यू यू ललित के बारे में बता देते हैं फिर कल्याण सिंह के कनेक्शन के बारे में बताएंगे.

कौन हैं जस्टिस यू यू ललित ?

  • 1957 में जन्म हुआ पूरा नाम उदय उमेश ललित है
  • यू यू ललित का जन्म यू आर ललित के परिवार में हुआ
  • उनके पिता दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व एडिशनल जज थे
  • सुप्रीम कोर्ट का जस्टिस बनने से वरिष्ठ वकील थे
  • यू यू ललित जून 1983 में बार में शामिल हुए थे
  • दिसंबर 1985 तक बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की
  • 13 अगस्त 2014 में कोलेजियम ऑफ़ जज ने नामित हुए
  • तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हाथों से नियुक्त हुए
  • 1986 से 1992 तक अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी के साथ काम किया
  • 29 अप्रैल, 2004 को सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील बने
  • 2011 में 2जी स्पेक्ट्रम मामलों में CBI जांच के लिए स्पेशल पब्लिक प्रोसीक्यूटर नियुक्त हुए.
  • सलमान खान के ब्लैक बक शिकार मामले भी पेश हो चुके हैं
  • अमरिंदर सिंह, सोहराबुद्दीन, अमित शाह और वी के सिंह के जन्मतिथि के मामले देखे

तो ये रही जस्टिस यू यू ललित के करियर की जनकारी, अब आपको बताते हैं कि सुनवाई टलने का कल्याण सिंह कनेक्शन क्या है. हुआ यूं कि जैसे ही राम मंदिर मामले की सुनवाई दस जनवरी को शुरू हुई मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन ने इस कनेक्शन का जिक्र किया. घटना 20 साल पुरानी है. ये मामला राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले में कोर्ट की अवमानना से जुड़ा है. याचिका हाशिम अंसारी ने दाखिल की थी. हालाँकि अवमानना के एक और मामले में कल्याण सिंह को एक दिन की जेल और 20 हज़ार रुपये जुर्माना हुआ था. सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में इस मामले को सुनवाई के लिए स्वीकार किया था.

ये अवमानना याचिका पीवी नरसिंह राव, एसबी चव्हाण, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, विजयराजे सिंधिया और अशोक सिंघल के खिलाफ़ थी, जिसमें कहा गया था कि इन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेशों की अवमानना करते हुए बाबरी मस्जिद को गिराया. नरसिंह राव उस समय प्रधानमंत्री थे, चव्हाण गृह मंत्री और कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. इनके अलावा केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को भी अवमानना का अभियुक्त बनाया गया था.

अंसारी की याचिका पर जस्टिस जीएन रे और जस्टिस एसपी भरूचा की खंडपीठ ने 26 मार्च 1997 को आखिरी सुनवाई की थी. इसी केस में कल्याण सिंह की तरफ से यूयू ललित पेश हुए थे. धवन ने इस मामले का जिक्र किया और कहा कि उन्होंने पर बेंच का ध्यान दिलाया है. लेकिन जस्टिस यू यू ललित ने इसके बाद खुद को बेंच से अलग कर लिया.

About Post Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *