क्या मोदी के इस ‘ब्रह्मास्त्र’ की काट विपक्ष के पास है ?

0

आमतौर पर मोदी कैबिनेट की बैठक साउथ ब्लॉक में होती है लेकिन सोमवार को ये बैठक संसद परिसर में हुई. आधे घंटे से भी कम समय तक चली इस बैठक में मोदी ने अपनी शैली के अनुरूप एक गेमचेंजर फैसला लिया. मोदी ने गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया है.

मोदी का ये फैसला ब्रह्मास्त्र माना जा रहा है. क्योंकि विपक्ष के तमाम नेता पहले ही आर्थिक तौर पर पिछड़े सवर्णो को आरक्षण देने की मांग करते रहे हैं. अब विपक्ष की मुश्किल ये है कि वो इसका विरोध करे भी तो कैसे? मोदी ने ये फैसला ऐसे वक्त में लिया है जब बीजेपी अपने कोर वोटबैंक की नाराजगी झेल रही थी और राम मंदिर का मुद्दा उसे गले की फांस बन गया था. मोदी सरकार के इस ब्रह्मास्त्र से राम मंदिर का मुद्दा भले ही खत्म न हो लेकिन उसकी का तीखापन कम होगा. मोदी ये जान चुके थे पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में सवर्णों ने बीजेपी का बहुत नुकसान किया है. और लोकसभा चुनाव में इस वर्ग की नाराजगी का बड़ा खामियाजा चुकाना पड़ेगा लिहाजा उन्होंगे अपने तरकश से सबसे ताकतवर हथियार इस्तेमाल किया है. राम मंदिर के मामले में भी बीजेपी को बैकफुट पर नहीं रहना पड़ेगा और सवर्णों की नाराजगी भी कम होगी. क्योंकि राममंदिर की मांग करने वाला एक बड़ा तबका इस वर्ग से आता है.

आरक्षण के लिए हो रहे आंदोलनों पर असर

मोदी सरकार का ये फैसला उन आंदोलनों की आंच भी कम करेगा जो पिछले कुछ वक्त अलग अलग राज्यों में हुए हैं. कई अगड़ी जातियों ने आरक्षण व्यवस्था को लेकर असंतोष जाहिर किया है. लिहाजा सरकार के इस कदम से उन जातियों का गुस्सा कम होगा और इसका सीधा असर लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा. कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि ये एक नए तरह की सोशल इंजीनीयरिंग है, ये एक ऐसा दांव है जिससे कोई वर्ग नाराज नहीं हो रहा है. मोदी सरकार ने आरक्षण की सीमा पचास के पार ले जाकर सवर्णों को आरक्षण देने का फैसला किया है लिहाजा किसी दूसरे वर्ग को इससे कोई परेशानी नहीं होगी. मोदी सरकार के इस फैसले से संसद में जो राजनीतिक गोलबंदी देखने को मिलेगी वो कहीं न कहीं लोस चुनाव में भी असर दिखाएगी.

मोदी के लिए मुश्किल कहां है ?

ये बात ठीक है कि मोदी ने ब्रह्मास्त्र चला है और इसकी काट विपक्ष के पास नहीं है. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि विपक्ष के पास इसके बचने के तरीके नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी आर्थिक आधार पर आरक्षण देने के फैसले को नकारा है लिहाजा सुप्रीम कोर्ट की इस फैसले पर प्रतिक्रिया देखे वाली बात होगी. संसद के दोनों सदनों से दो तिहाई बहुमत से पास कराने की चुनौती तो सरकार के पास है ही. मोदी के लिए अच्छी बात ये है कि ज्यादातर पार्टियां इसका विरोध नहीं करेंगे लेकिन वो ये कर सकती हैं कि इसे टाल दिया जाए. और लोकसभा चुनाव में बीजेपी को इसका फायदा न मिले. विपक्ष प्रस्ताव को प्रवर समिति (सेलेक्ट कमेटी) में भेजने की बात कर सकती हैं. अगर यहां से मोदी सरकार प्रस्ताव को पास करा लेती है तो फिर सुप्रीम कोर्ट में इसको टिकना पड़ेगा. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही कहा है कि बराबरी के अधिकार की रक्षा के लिए आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकती. खैर जो भी हो इस प्रस्ताव का लेकिन इतना तो तय है कि आने वाले चुनाव में बीजेपी इस प्रस्ताव को पास कराकर भी फायदा ले सकती है और पास नहीं हुआ तो ये कहकर फायदा ले सकती है कि देखा विपक्ष चाहता ही नहीं था कि गरीब सवर्णों का भला हो.

About Post Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *