गाय माता है लेकिन सड़क पर क्यों है ?
बीजेपी की सरकार बनने के बाद गोवंश सरकार की प्राथमिकता में हैं. तमाम योजनाएं बनाने का दावा किया गया. गोशाला, गोबर और गाय की बातें खूब हो रही हैं. आलम ये है कि बिजली, पानी, सड़क के बाद अब गाय एक मुद्दा है जिसपर विपक्ष सरकार को घेरता है. ये भारतीय राजनीति में नई बात है. कि गो प्रेम अपने चरम पर पहुंच गया है. लोग गाय के नाम पर मरने मारने पर आमादा है. इन्हीं हालातों के बीच दो खबरें देखते हैं.
पहली खबर, हरदोई में रहने वाले राजकुमार का एक बीघा का खेत शहर के करीब है. इस बार राजकुमार गाजर मूली उगाई थी. फसल अच्छी तैयार हुई लेकिन एक सुबह जब वो खेत में पहुंचे तो उनकी आंखे फटी की फटी रह गई. एक दर्जन से ज्यादा गोवंश खेत में चर रहे थे और सबकुछ उजाड़ दिया था. अब राजकुमार के सामने ये संकट है कि वो रोजाना गाजर मूली मंडी में बेचकर जो रूपया कमाते थे वो कहां से कमाएंगे.
अगली खबर है बहराइच से हैं जहां सोनू बिस्तर पर लेटे हैं क्योंकि उनकी दोनों पैर फ्रैक्चर हो गए हैं. दरअसल वो अपनी मोटरसाइकिल से बाजार से वापस लौट रहे थे तभी एक गाय ने उन्हें टक्कर मार दी और गिर पड़े. जिससे की उनका एक हाथ और दोनों पैर फ्रैक्चर हो गए.
ये तो सच्चाई है अब हवा हवाई क्या है ये पढ़ लीजिए. उप्र में गायों के संरक्षण और गोवंश प्रबंधन के लिए अभी तक कोई नीति नहीं बनाई गई है. आपको सड़क पर खेतों में आवारा गोवंश विचरण करते हुए मिल जाएंगे. ऊपर हमने जो खबरें आपको बताईं वो कई जगहों की हकीकत है. हालात ये है कि सरकार जो गाय गाय करती है उसकी आंखे खोलने के लिए उच्च न्यायालय ने गोवंश को लेकर बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि प्रति हजार आबादी पर एक गोशाला खोली जाए.
हाईकोर्ट ने सरकार से क्या कहा है ?
- प्रत्येक हजार की आबादी पर बनाएं एक गौशाला
- प्रत्येक परिवार एक गाय गोद ले गोद
- समर्थन मूल्य पर बैल खरीदे सरकार
- अनुपयोगी मवेशियों के लिए भी मूल्य निर्धारित करे
- गाय का महत्व उसके दूध की वजह से हैं जो मां के दूध के बाद सबसे उपयोगी है
- गाय का गोबर उर्वरक है और गाय से ही जन्मे बैलों पर खेती सदियों से निर्भर है
ये काम सरकार को बहुत पहले कर देते चाहिए थे लेकिन हाईकोर्ट को ये कहना पड़ रहा है. ऐसा नहीं है कि सराकर ने कुछ किया नहीं है. सरकार किया ये है कि अगर कोई गोवंश से क्रूरता करे तो उसे जेल में डाल दो. अवैध बूचडख़ानों को बंद कर दिया. गौ-तस्करी पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया. गौचर भूमि को चिह्नित करने के लिए भू माफिया रोधी कार्यदल गठित किया. ये सब किया है.
गोसेवा में जुटी है सरकार
- हर जिले में एक हजार गौ सेवकों को तैयार करने का लक्ष्य
- प्रदेश में 75000 गौ रक्षकों की फौज तैयार करने की योजना
- हर जिसे में एक बड़ी गौशाला गौ-सदन का निर्माण करने का फैसला
- गो-सदनों के संचालन के लिए सरकार लोगों की आर्थिक मदद करेगी
- इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ाकर केयरटेकर के रूप में कर्मचारियों की नियुक्तियां करेगी
- पंजीकृत गौशाला में पशुओं की भरण पोषण राशि बढ़ाई गई
- बड़े जानवर पर 50 रुपये प्रतिदिन जो पहले 30 रुपये दिए जा रहे हैं
- गौशाला के गोबर के लिए एंटीलैंड ग्रैबिंग सेल की योजना बनाई है
- गौ सेवा करने वालों के लिए टैक्स में छूट देने का प्रस्ताव
तो ये आलम है गाय का उत्तरप्रदेश में. अब मौजूदा मुख्यमंत्री गौवंश को लेकर योजना बनाने रहे हैं नए नए एलान कर रहे हैं वहीं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ट्वीट करके शिकायत कर रेह हैं कि योगी से गाय संभालिए ये सड़क पर टहल रही हैं
सूबे की आबादी 23 करोड़ है और गोवंश की संख्या सिर्फ 4 करोड़ है. यानी मोटा मोटी आकंड़ा ये है कि साढ़े 5 लोगों पर एक गोवंश है. मौजूदा सरकार की कोशिश ये है कि ये आंकड़ा बढ़ाया जाए.