गांववाले तय करेंगे 2019 में कौन होगा प्रधानमंत्री ?
पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और इन चुनावों को पीएम मोदी के लिए एक झटके के तरह पर देखा जा रहा है. हिन्दी हार्टलैंड के तीन बड़े राज्य जहां बीजेपी की सरकार थी वहां कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब हो गई. ये वो राज्य हैं जहां पर बीजेपी की मजबूत पकड़ मानी जाती थी. जानकार इन चुनावों का तरह-तरह से विश्लेषण कर रहे हैं और बता रहे हैं कि इन चुनावों को 2019 के लोकसभा चुनाव पर क्या असर पड़ेगा.
बीजेपी को सबसे ज्यादा झटका गांववालों ने दिया
एक कृषि प्रधान देश में किसानों का ख्याल जो सरकार नहीं रखेगी उसे इसका परिणाम तो भुगतना ही पड़ेगा. मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी की हार का सबसे अहम फैक्टर किसान माने जा रहे हैं. ऐसे में जब लोकसभा चुनाव को कुछ महीने बाकी है ये बहुत अहम हो जाता है कि किसानों को रुख क्या रहेगा. गांववालों को अपने पाले में जो पार्टी रखने में कामयाब होगी वही जीतेगी. 2014 में जो गांववाले मोदी के साथ गए थे वो अब उनसे दूर हो रहे हैं. और ये बात मोदी के लिए खतरे की घंटी बजाने वाले हैं.
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में ग्रामीण मतदाताओं के बीच कांग्रेस की अच्छी खासी बढ़त बनाई है और ये बढ़त 3 से 10 फीसदी तक है. गुजरात विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने ग्रामीण इलाकों में 90 में से 56 सीटें जीती थीं. बीजेपी यहां सिर्फ 29 सीटें ही जीत पाई थी. बीजेपी की पकड़ शहरी इलाकों में ज्यादा है. लेकिन हिन्दी पट्टी के राज्यों में ग्रामीण मतदातों की तादाद 75 फीसदी के करीब है.
सरकार से क्यों नाखुश हैं गांववाले ?
नेशनल सैंपल सर्वे संगठन के आंकड़ों के मुताबिक 2004-05 से 2011-12 तक 3.5 करोड़ से ज्यादा लोग गैर-कृषि रोजगार के क्षेत्र में शामिल हुए. 2004 के बाद के 8 वर्षों में कृषि रोजगार में 3.5 करोड़ की कमी आई. 2012-13 से लेबर मार्केट में 15 से 29 आयुवर्ग वाले 2 करोड़ से ज्यादा लोग वापस कृषि क्षेत्र में शामिल हो गए.
इन आंकड़ों से कोई अच्छे संकेत नहीं मिलते हैं. रिवर्स माइग्रेशन ग्रामीणों की आमदनी कम करता है. इसका कारण ये है कि शहरों में निर्माण क्षेत्र में रोजगार की कमी आई है. और ऐसा नोटबंदी के कारण हुआ है. सरकार ने इस संकट को खत्म करने के लिए उज्ज्वला गैस योजना, ग्रामीण आवास, कृषि बीमा, मुद्रा बैंक ऋण जैसी योजनाओं शुरू कीं की गति बढ़ाने और किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाने का काम किया है. लेकिन ग्रामीणों की नाराजगी खत्म नहीं हुई. सरकार ने बहुत कोशिश की वो ग्रामीण मतदातों को फायदा पहुंचाने के लिए काम करे लेकिन वो कामयाब शायद नहीं हो पाई है और इसलिए ग्रामीण मतदाताओं की नाराजगी मोदी सरकार को उठानी पड़ रही है.