लोकसभा चुनाव 2019 : 23 मई के बाद क्या होगा?
हर कोई सोच रहा है कि 23 मई
को लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद क्या होगा. क्या मोदी एक बार फिर से
प्रधानमंत्री बनेंगे. क्या मायावती बीजेपी को समर्थन दे देंगी. क्या राहुल गांधी
यूपीए की सरकार बनाने में सफल होंगे. क्या क्षेत्रीय दलों राष्ट्रीय दलों पर हावी
रहेंगे. ऐसे बहुत से सवाल हैं जो लोगों के जेहन में उठ रहे हैं.
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अगर फिर बनती है मोदी सरकार
23 मई के बाद क्या होगा ये जानने से पहले आपको ये समझ लेना चाहिए कि दो स्थितियां बन सकती है. पहली स्थिति तो ये मोदी पीएम बनेंगे. बनेंगे तो ये मानकर चलिए कि विपक्ष ये बात तेजी से उठाएगा कि ईवीएम में कुछ गड़बड़ है, चुनाव के दौरान भी कई राष्ट्रीय दलों ईवीएम को लेकर चुनाव आयोग से शिकायत की है. मोदी पीएम बने तो देश का एक तबका आंदोलन के लिए मजबूर होगा. मोदी पीएम बने तो संवैधानिक संस्थाओं पर जो संकट की बात की जा रही है उसको लेकर एक नई बहस शुरु हो जाएगी. मोदी पीएम बनें जो वर्ग अपनी बात को और पुख्ता तरीके से उठाएगा जो अभी मोदी का समर्थन कर रहा है. मोदी पीएम बने तो देश में अल्पसंख्य समुदाय को देश के लोकतंत्र में अपनी भागीदार बनाए रखने के लिए नए सिरे से सोचना होगा. मोदी पीएम बने तो ये बात पूरी तरह से स्पष्ट हो जाएगी की देश में जो पार्टियां सेकुलर होने का दम भरती हैं उनकी जमीन उनके पैरों के नीचे से खिसक चुकी है.
सरकार एनडीए की हो और मोदी पीएम न हों
ये स्थिति थोड़ी अगर है. पहले तो मौजूदा वक्त में ऐसी कल्पना करना मुश्किल हो गया क्योंकि बीजेपी मतलब मोदी और एनडीए का मतलब भी मोदी कर दिया गया है. बीजेपी का 2019 लोकसभा चुनाव का पूरा कैंपेन मोदी के चारों तरफ ही गढ़ा गया जिसनें बाकी किसी का कई हिस्सा नहीं है. अगर बीजेपी को सीटें कम आती हैं और एनडीए के बाकी दल मोदी के नाम पर अपनी सहमति नहीं देते तो क्या होगा. शिवसेना, अकाली, जेडीयू के रुख से इस बात का अंदाजा हो जाता है कि मोदी को लेकर बात में इन दिलों का दिल बदल सकता है. अगर 23 मई के बाद राजनाथ, नितिन गडकरी, सुषमा स्वराज जैसे नेता पीएम की रेस में आ जाते हैं तो क्या होगा. क्योंकि ऐसी भी स्थिति बन सकती है इससे इंकार नहीं किया जा सकता. आपको याद होगा की एक बार अटल जी ने कहा है कि ‘वाजपेयी तो अच्छा है लेकिन बीजेपी ठीक नहीं है’ अगर चुनाव बात एनडीए के बाकी दल ये कह दें की बीजेपी तो अच्छी है लेकिन मोदी ठीक नहीं है तो फिर मोदी और अमित शाह के लिए क्या संभावनाएं बनेगी. एक स्थिति ये भी बन सकती है.
यूपीए की सरकार बनी तो क्या होगा?
एक तीसरी स्थिति ये है कि अगर यूपीए सरकार बनाने की स्थिति में आती है तो क्या राहुल गांधी बाकी दलों का समर्थन जुटाए पाएंगे. क्योंकि यूपीए की सरकार बन तभी सकती है जब सपा, बसपा और टीएमसी जैसे दल यूपीए में आएं. लेकिन इन क्षत्रपों को साथ लेकिन क्या राहुल गांधी एक स्थाई सरकार दे पाएंगे और क्या इन दलों के नेता राहुल का नेतृत्व स्वीकार करेंगे. तमाम सर्वे ये बता रहे हैं कि यूपी में सपा-बसपा गठबंधन को बढ़त है और दिल्ली की सरकार बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिक अदा कर सकते हैं. पश्चिम बंगाल में भी ममता एक बार फिर मजबूती से उभरती हुई दिखाई दे रही हैं. लेकिन यहां समस्या ये है कि दोनों पार्टियों के मुखिया खुद को पीएम पद की रेस में देखती है. तो क्या ये राहुल का नेतृत्व स्वीकार करेंगी. अगर यूपीए की सरकार बनती है तो उसके लिए देश में रोजगार, कृषि संकट से जूझना होगा क्योंकि नई सरकार को जो अर्थव्यवस्था मिलेगी उससे वादे पूरा करना आसान नहीं होगा.