वैज्ञानिकों ने बताया ऐसे हैक की जा सकती है ईवीएम !
अमेरिका के एक हैकर ने जब दावा किया कि 2014 के चुनाव में ईवीएम को हैक किया गया था. तब भारत में ये मामला फिर गर्मा गया. उसके बाद ये भी है कि ईवीएम को लेकर देश की अलग-अलग अदालतों में करीब 7 मामले चल रहे हैं. लेकिन इलेक्शन कमीशन लगातार कहता रहा है कि इन्हें हैक नहीं किया जा सकता.
देश में आगामी चुनाव में करीब 16 लाख ईवीएम मशीनें इस्तेमाल होंगी और हर मशीन में करीब 2 हजार वोट जाले जाएंगे. एक मतदान केंद्र पर पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 1500, उम्मीदवारों की संख्या भी 64 हो सकती है और ये मशीनें बैटरी से चलती हैं. मशीनों के सॉफ़्टवेयर को एक सरकारी कंपनी ने बनाया हैं.
मतदान से जुड़े रिकॉर्ड्स रखने वाली मशीन पर मोम की परत चढ़ी होती है. इसके साथ ही इसमें चुनाव आयोग की तरफ़ से आने वाली एक चिप और सीरियल नंबर होता है. ईवीएम को इस्तेमाल करीब 113 विधानसभा चुनावों में हो चुका है. लेकिन सवाल वही है कि क्या ईवीएम में हैकिंग करके चुनाव को प्रभावित किया जा सकता है. क्योंकि इलेक्शन कमीशन इस बात से इंकार करता है वहीं कुछ लोग इसपर सवाल उठाते हैं,
एेसे हैक हो सकती है EVM!
- कुछ सालों पहले अमेरिका कि मिशिगन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक डिवाइस को मशीन से जोड़कर दिखाया था कि मोबाइल से संदेश भेजकर मशीन के नतीजों को बदला जा सकता है.
- मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी का कहना है हैकिंग के लिए एक बहुत ही छोटे रिसिवर सर्किट और एक एंटीना को मशीन के साथ जोड़ने की ज़रूरत होगी जोकि ‘इंसानी आंख से दिखाई नहीं देगा.
इलेक्शन कमीशन कहता है कि ईवीएम में ऐसा कोई सर्किट ऐलीमेंट नहीं हैं. खैर दुनिया में इसको लेकर अलग अलग मत हैं. करीब 33 देश ईवीएम का इस्तेमाल करते हैं. और इनकी प्रमाणिकता सवालों के घेरे में रहती है. सुप्रीम कोर्ट ने करीब पांच साल पहले कहा था कि वोटिंग मशीनों में वीवीपैट मशीनें लगाई जाएं. इन मशीनों के लगे होने पर जब एक मतदाता अपना मत डालता है तो मत दर्ज होते ही प्रिंटिंग मशीन से एक रसीद निकलती है जिसमें एक सीरियल नंबर, उम्मीदवार का नाम और चुनाव चिह्न दर्ज होता है. 2015 से सभी विधानसभा चुनावों में वीवीपैट मशीनों का प्रयोग हो रहा है.