मोदी का ये फैसला गठबंधन की मुश्किल बन सकता है !

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सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला करने के बाद अब मोदी सरकार गठबंधन के काट के तौर पर ओबीसी वर्ग को साधने में जुट गई है. ओबीसी को खुश करने के मोदी जो फैसला कर सकते हैं वो गठबंधन की मुश्किल बन सकता है.  

 ख़बर ये है कि मोदी सरकार ओबीसी कमीशन की सिफारिश के आधार पर ओबीसी जातियों की उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति के आधार पर हिस्सेदार तय करेने का फैसला कर सकती है. कोशिश ये है कि इससे छोटी-छोटी ओबीसी जातियों को भी बराबर का प्रतिनिधित्व दिया जाए. जैसे यूपी में ओबीसी कोटा को योगी सरकार तीन हिस्सों में बांटने का फैसला किया है उसी तरह मोदी सरकार ओबीसी कोटे में नए सिरे से जातियों की हिस्सेदारी तय करने प्लानिंग कर रही है.

नवभारत टाइम्स की ख़बर की माने तो चुनाव से पहले ओबीसी कमिशन की रिपोर्ट को तैयार करने के साथ ही इसे पेश करने की तैयारी है.  सभी मंत्रालयों से उनके यहां काम करने वाले ओबीसी कर्मचारियों की संख्या और उनकी जाति के आंकड़े मांगे गए हैं. 31 जनवरी से 13 फरवरी तक चलने वाले बजट सत्र में सरकार कमिशन की सिफारिश के आधार पर ओबीसी जातियों के उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति के आधार पर हिस्सेदार तय कर सकती है.

वैसे ओबीसी कमीशन की रिपोर्ट के लिए 31 मार्च तक का समय था लेकिन सरकार इसमें देर नहीं करना चाहती और ओबीसी का नए सिरे से वर्गीकरण सवर्णों को दिए गए आरक्षण का काउंटर है. आपको बता दें कि जो केंद्र सरकार करने जा रही है उसकी मांग ओमप्रकाश राजभर जैसे नेता करते रहे हैं. उन्होंने केंद्र सरकार को 100 दिन का अल्टीमेटम भी दिया था. मोदी सरकार कोशिश कर रही है कि सामान्य वर्ग को आरक्षण का फायदा देने के बाद ओबीसी को भी खुश किया जाए.  

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