Gambling Apps: द्यूत-क्रीड़ा, जुआ या सट्टा के खेल के बारे में बिना लाग लपेट के कहा जा सकता है कि यह मानवजाति का प्राचीनतम खेल है। इससे अधिक मनोरंजक और रोमांचकारी खेल जो राजा को रंक और रंक को राजा बना दे, जिसके द्वारा चातुर्य, कौशल, सतर्कता, धैर्य और छल से प्रतिपक्षी को परास्त करके उसका सर्वस्व हरण किया जा सके, और कोई दूसरा नहीं है। ऋगवेद में के 10वें मण्डल में ‘जुआड़ी का प्रलाप’ के सूक्त 34 में भी इसका जिक्र मिलता है।
जाहिर है इस काव्यात्मक वर्णन से सैकड़ों साल पहले ही इस खेल का जन्म भारत में हो चुका होगा। भारत दुनिया का अकेला देश है, जहाँ द्यूत-क्रीड़ा को 64 कलाओं में सम्मानजनक स्थान दिया गया और इसका पूरा शास्त्र विकसित किया गया। महाभारत जैसा महाकाव्य इस बात की गवाही देता है। पश्चिमी इतिहासकारों की माने तो मेसोपोटामिया से छह फलक वाला पाँसा प्राप्त हुआ था, जो लगभग 3000 साल प्राचीन है। मिस्र के काहिरा, यूनान और चीन के इतिहास में भी इस तरह के खेल का जिक्र मिलता है, मगर भारत के मुकाबले बाकी दुनिया इस कला या खेल में जूनियर है।
Gambling Apps में बड़ी रकम गंवाने के बाद तमिलनाडु में 40 से ज्यादा लोगों ने लोगों ने की खुदकुशी
अब आते हैं आज के मुद्दे पर, कोयंबटूर, पोल्लाची (तमिलनाडु) के एक होटल में एक 35 वर्षीय एक कार डीलर ने बीते साल कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। इस शख्स ने एक ऑनलाइन रमी ऐप से आईपीएल मैचों पर सट्टेबाजी में 90 लाख रुपये गंवा दिये थे। इससे पहले भी देश के कई अलग-अलग राज्यों से ऐसे आत्महत्या के मामले सामने आ चुके हैं। ‘दि प्रिंट’ को दिये एक इंटरव्यू में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के सांसद टीआर बालू ने मार्च 2023 में चेन्नई के एक शख्स विनोद की आत्महत्या के बाद कहा था कि पिछले तीन सालों में ऑनलाइन सट्टेबाजी की वजह से बड़ी रकम गंवाने के बाद राज्य में 40 से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या कर ली है। वहीं इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक 9 मार्च, 2023 को पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) के अध्यक्ष अंबुमणि रामदास ने कहा कि ऑनलाइन सट्टेबाजी की वजह से अगस्त 2021 से अब तक 47 लोग आत्महत्या कर चुके हैं। भारत की लगभग 41 प्रतिशत आबादी 20 साल से कम उम्र के किशोरों की है और इनको ऑनलाइन गेम की लत ने बुरी तरह जकड़ रखा है। मोबाइल में ऑनलाइन गेम्स इन मासूमों को क्रिमिनल माइंडेड बना रहा है। यूनिवर्सटी आफ न्यू मैक्सिको की रिसर्च के मुताबिक, दुनिया भर में गेम खेलने वाले 15 प्रतिशत लोग इसकी लत का शिकार होकर मानसिक तौर पर बीमार हो जाते हैं।
हाल ही में तमिलनाडु ने ऐसे तमाम ऑनलाइन गेम पर बैन लगाने का फैसला किया है। साथ ही एक कानून भी पास किया गया है। जिसके तहत 3 साल की जेल और 10 लाख जुर्माने का प्रावधान है। इसके अलावा तेलंगाना, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, सिक्किम, नागालैंड, असम, मेघालय और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी ऑनलाइन सट्टेबाजी और गेमिंग को लेकर कड़े नियम बनाये गये हैं।
भारत में Gambling Apps उद्योग का अनुमानित आकार 8,20,000 करोड़ रुपये
साल 2016 में 38 बैठकों के बाद तैयार की गई जस्टिस लोढ़ा कमेटी की रिपोर्ट की माने तो भारत का सट्टा बाजार करीब $82 बिलियन यानि करीब 6 लाख करोड़ रुपये का है। वहीं दोहा के इंटरनेशनल सेंटर फॉर स्पोर्ट सिक्योरिटी ने साल 2016 में एक रिपोर्ट के हवाले से बताया था कि अवैध सट्टेबाजी का कारोबार उस समय 150 बिलियन यानी करीब 10 लाख करोड़ रुपये का था। फेडरेशन ऑफ चेम्बर ऑफ कामर्स और इंडस्ट्री (FICCI) ने 2019 में अपनी एक रिपोर्ट में कुल सट्टा बाजार करीब $41 बिलियन यानि लगभग 3 लाख करोड़ रुपये का बताया था। अर्थशास्त्र थिंक-टैंक थिंक चेंज फोरम द्वारा बीते साल अक्टूबर में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में ऑनलाइन सट्टेबाजी उद्योग का अनुमानित आकार 8,20,000 करोड़ रुपये है, जिसमें से 80% -90% क्रिकेट मैचों में जुआ के लिए जिम्मेदार है।
ब्रिटेन में Gambling Apps की लत महामारी साबित हो रही
ब्रिटेन दुनिया का सबसे बड़ा ऑनलाइन गैम्बलिंग यानी जुए का बाजार है। 9.1 बिलियन डॉलर अर्थात 73,910 करोड़ रुपये का यह बाजार उदार नीति-नियामकों की वजह से ब्रिटेन की सबसे बड़ी समस्या बनता जा रहा है। ब्रिटेन के उच्च सदन हाउस ऑफ लार्ड्स की साल भर पहले की रिपोर्ट्स के मुताबिक वहां ऑनलाइन सट्टेबाजी की लत महामारी साबित हो रही है। ब्रिटेन के 1.38 लाख लोग पक्के जुआरी बन चुके हैं। 400 से अधिक लोगों ने खुदकुशी कर ली है। हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि बच्चे मां-बाप तक के पैसे चुरा रहे हैं।
जुआ या सट्टेबाजी भारत में अवैध है। जाहिर है इनसे जुड़े विज्ञापन भी गैरकानूनी माने जाने चाहिए। फेंटेसी ऐप्स का बिजनेस कितना बड़ा है, ये इसी बात से साबित हो जाता है कि इन ऐप्स के विज्ञापन में बॉलीवुड से लेकर खेल जगत के वो सितारे शामिल हैं, जिनकी फीस करोड़ों में होती है। ऑनलाइन सट्टेबाजी के कारण रातों-रात करोड़पति बनने का सपना दिखाने वाली ये ऑनलाइन बेटिंग ऐप्स खुद करोड़ों कमा रही हैं, जबकि इनके चंगुल में फंसकर अपना धन डुबोकर कई लोग आत्महत्या करने को विवश हो चुके हैं। भारत में लगभग 40 से ज्यादा सट्टेबाजी साइटें लोगों के बीच लोकप्रिय हैं।
भारत में कानूनी तौर पर ऑनलाइन गेमिंग और Gambling में फर्क है
Gambling Apps को लेकर देश के कानून में कई तरह के विरोधाभास नजर आते हैं। जिनका फायदा उठाकर ये ऑनलाइन गेमिंग और फेंटेसी ऐप चल रहे हैं। पब्लिक गैंबलिंग एक्ट 1867 के मुताबिक सट्टेबाजी एक अपराध माना गया है। भारत में कानूनी तौर पर ऑनलाइन गेमिंग और गैम्बलिंग में फर्क है। इस अधिनियम की धारा (सेक्शन) 12 में कहा गया है कि ये दंड “मात्र कौशल के लिए कहीं भी खेले गए किसी भी खेल” पर लागू नहीं होंगे। इसलिए, कम से कम कानून के तहत मुख्य अंतर यह है कि जिस गेमिंग में स्किल शामिल है, उसे कानून के नजरिए से अनुमति दी गई है और गैम्बलिंग पूरी तरह से मौके पर निर्भर है। केंद्र सरकार की तरफ से साल 2022 में संसद में ऑनलाइन गेमिंग रेगुलेशन बिल पेश किया गया था, जिसमें ऑनलाइन गेम को रेगुलेट करने की बात कही गई थी। इसी के तहत केंद्र सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग को लेकर पिछले एक एडवाइजरी भी जारी की थी। जिसमें सेल्फ रेगुलेटरी ऑर्गेनाइजेशन (SRO) की तरफ से हर ऑनलाइन गेम की जांच की जाएगी। जांच के बाद जो भी ऑनलाइन गेम नियमों का पालन करेगा, उसी को जारी रखा जाएगा। वैसे कुल मिलाकर कहें तो ऑनलाइन सट्टेबाजी को लेकर कोई भी स्पष्ट कानून नहीं है। लीगल एक्सपर्ट विराग गुप्ता ने मीडिया को बताया था कि इस मामले में सरकार को कारगर कदम उठाने होंगे। पिछले एक साल में सरकार की तरफ से ये तीसरी एडवाइजरी आई है। जब तक कोई एक्शन नहीं होगा, तब तक ऐसी एडवाइजरी का कोई फायदा नहीं है। कांग्रेस का कहना है कि ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप को केंद्र से कानूनी मान्यता दे रखी है। यही वजह है कि इन ऐप से 28 प्रतिशत जीएसटी लिया जाता है। दूसरी तरफ बीते साल भारत सरकार ने महादेव सहित 22 अवैध सट्टेबाजी ऐप्स को ब्लॉक करने के निर्देश जारी किए थे।
सियासी अखाड़े में भी महादेव सट्टेबाजी ऐप पर दाव चले जा रहे
महादेव सट्टेबाजी ऐप घोटाला एक हालिया घोटाला है, जो काफी सुर्खियां बटोर रहा है। बल्कि हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान इस पर जमकर सियासत भी हुई। ED वर्तमान में मामले की जांच कर रही है। महादेव ऑनलाइन बुक बेटिंग ऐप एक व्यापक सिंडिकेट है, जो कथित तौर पर अवैध सट्टेबाजी वेबसाइटों की मदद करता है। ऐप का इस्तेमाल नए यूजर्स को नामांकित करने, यूजर्स आईडी बनाने और बेनामी बैंक खातों के नेटवर्क के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग करने के लिए किया गया था। इस ऐप का हेड ऑफिस UAE में है। महादेव सट्टेबाजी ऐप की शुरुआत छत्तीसगढ़ के भिलाई के मूल निवासी सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल ने की। ऐप पर अवैध सट्टेबाजी वेबसाइटों को मदद करने और बेनामी बैंक खातों के जरिए धन शोधन करने का आरोप है। ऐप के प्रमोटरों ने कथित तौर पर फरवरी 2023 में एक शादी समारोह पर लगभग 200 करोड़ रुपये नकद खर्च किए। ईडी महादेव ऑनलाइन सट्टेबाजी मामले में शामिल होने के लिए बॉलीवुड अभिनेताओं और गायकों की भी जांच कर रही है। ईडी की ओर से जारी प्रेस रिलीज में दावा किया गया है कि एप प्रमोटर्स ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लगभग 508 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। ईडी ने कहा कि 5.39 करोड़ रुपये के साथ गिरफ्तार किए गए असीम दास ने पूछताछ में मुख्यमंत्री को पैसा दिए जाने की बात कही है। जाहिर है सियासी अखाड़े में भी महादेव सट्टेबाजी ऐप पर दाव चले जा रहे हैं।
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