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क्या सिद्धारमैया, खड़गे, शिवकुमार और राहुल गांधी कर्नाटक को “द्रविड़ियन-बहुजन” मॉडल का राज्य बना पायेंगे?

द्रविड़न मॉडल-
तमिलानाडु

आर्य-ब्राह्मण-हिंदू मॉडल-
गुजरात, उसी ओर बढ़ता उत्तर प्रदेश

द्रविड़िन मॉडल-बहुजन विचारधार, बहुजन एजेंडा और बहुजनों की अगुवाई.

आर्य-ब्राह्मण-हिंदू मॉडल- आर्य-वैदिक विचारधारा, एजेंडा और बहुजन या अपरकाॉस्ट कोई भी अगुवाई कर सकता है.

*आज कर्नाटक मंत्रिमडल ने शपथ लिया.

मुख्यमंत्री, उपमुख्य मंत्री और आज शपथ लेने वाले सभी मंत्री या तो पिछड़ी जाति के हैं या दलित हैं या आदिवासी हैं.

मुख्य मंत्री सिद्धारमैया पशुचारक कुरूबी जाति के हैं.

उपमुख्यमंत्री डी. शिवकुमार खेतीहर पिछड़ी जाति वोक्कलिंगा के हैं.

आठ मंत्रियों में तीन दलित, एक आदिवासी, एक अन्य पिछड़ा वर्ग, एक लिंगायत और एक मुस्लिम और एक क्रिश्चियन समुदाय से हैं.

इस यदि सामाजिक पृष्ठभूमि पर के आधार पर देखें तो मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और सभी मंत्री बहुजन समाज के हैं, जिन्हें हिंदू धर्मशास्त्रों ने शूद्र-अतिशूद्र ठहराता है.

आरएसएस-भाजपा जिन मुस्लिमों-ईसाईयों को म्लेच्छ कहती है, वे इस मंत्रिंडल में हैं.

कर्नाटक में 90 प्रतिशत आबादी हिंदू पिछड़े, दलितों और आदिवासियों की है.

कर्नाटक में कांग्रेस को इस सबसे अधिक वोट मुसलमानों, दलितों, कुरूबा और आदिवासियों और पिछड़ों का मिला.

कर्नाटक में मुस्लिम 12.7 प्रतिशत हैं.

कांग्रेस को इस बार 70 प्रतिशत मुसलमानों का वोट मिला.

दलित मतदाताओं के 63 प्रतिशत हिस्से ने कांग्रेस को वोट दिया.

कर्नाटक में दलित करीब 18 प्रतिशत हैं.

तीसरे नंबर पर सबसे अधिक कुरूबा लोगों का वोट कांग्रेस को मिला. कुरूबा वोटों का 56 प्रतिशत कांग्रेस को मिला.

कर्नाटक में करीब 8 प्रतिशत कुरूबा समुदाय के लोग हैं.

कर्नाटक में अपरकॉस्ट करीब 10 प्रतिशत है. कर्नाटक भाजपा को सबसे अधिक वोट अपरकॉस्ट का मिला. 60 प्रतिशत अपरकॉस्ट ने भाजपा को वोट दिया.

कर्नाटक के वोटों के पैर्टन का विश्लेषण यह भी बताता है कि बहुलांश गरीब, निम्न मध्यवर्ग और महिलाओं ने कांग्रेस को वोट दिया.

बेरोजगारी और गरीबी कर्नाटक चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा रही.

इस चुनाव में कांग्रेस ने सोशल बेलफेयर के 5 बड़े वादों को साथ के आरक्षण की सीमा बढ़ाने और आबादी के अनुपात में आरक्षण देने की बात भी की थी.

उनसे आरएसएस के आनुषांगिक संगठन बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की बात की अपने घोषणा-पत्र में की थी.

कर्नाटक में दो मॉडलों का संघर्ष चल रहा है. एक मॉडल भाजपा का है, जिसे आर्य-ब्राह्मवादी हिंदू राष्ट्र का मॉडल कह सकते हैं.

भाजपा इसी मॉडल पर कर्नाटक को ढ़ाल रही थी और ढॉलना चाहती है.

द्रविड़ भाषा-भाषायी कन्नड़ समाज अपनी सामाजिक बुनावट, अपनी वैचारिक-सांस्कृतिक विरासत, अपने साहित्य-संस्कृति और भाषा और आर्थिक समृद्धि के आधार पर द्रविड़ मॉडल के करीब है

भाजपा के आर्य-ब्राह्मण हिंदूवादी मॉडल की निम्न विशेषताएं हैं-

1- द्रविड़ों पर आर्य श्रेष्ठता
2- बहुजनों पर द्विजों की श्रेष्ठता की
3- महिलाओं पर पुरूषों की श्रेष्ठता
4-संस्कृति और हिंदी के वर्चस्व को द्रविड़ भाषाओं (तमिल, तेलगु, कन्नड, मलयालम) पर स्थापित करने की कोशिश
5- धार्मिक अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाने की कोशिश
6-शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, और आवास और अन्य सामाजिक सुरक्षा को व्यक्ति की निजि जिम्मेदारी मानना.

सोशल बेलफेयर कार्यक्रमों को दया और भीख में तब्दील कर देना. रेवड़ी कहकर गाली देना.

द्रविड़ मॉडल की निम्न विशेताएं-

1- बहुजन-श्रमण परंपरा से नाता स्थापित करते हुए, आर्य-वैदिक परंपरा को खारिज करना

2- बुद्ध से नाता जोड़ते हुए, पेरियार और आंबेडकर को अपने नायक के रूप में स्वीकार करना।

कर्नाटक में विशेष तौर पर वासवन्ना के वारिसों, कुलबर्गी और गौरी लंकेश को नायक के रूप में स्वीकार करना.

3- जीवन के सभी क्षेत्रों में महिला और पुरूषों को समान मानना. कर्नाटक में गौरी लंकेश इसकी मूर्त रूप थीं.

4- द्रविड़ भाषाओं और संस्कृति को समता, न्याय और बंधुता की भाषा और संस्कृति के रूप में स्वीकार करते हुए इस पर गर्व करना.

5- धार्मिक अल्पसंख्यकों को अपना भाई-बंधु स्वीकार करते हुए उनके बराबरी के अधिकार को स्वीकार करना.

6- शिक्षा-स्वास्थ्य, आवास, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा को राज्य की जिम्मेदारी मानना. सोशल वेलफेयर कार्यक्रमों को राज्य की जिम्मेदारी मानना.

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और कर्नाटक से ही आने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे निजि तौर पर बहुजन-श्रमण वैचारिकी-संस्कृति के अनुयायी हैं.

हिंदू देवी-देवताओं में विश्वास नहीं रखते हैं। खड़गे बुद्ध के अनुयायी हैं।

मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस के अध्यक्ष होने, सिद्धारमैया के मुख्यमंत्री होने और आज कल राहुल गांधी द्वारा जाति जनगणना, आबादी के अनुपात में आरक्षण की बढ़ाने, न्यायपालिका में आरक्षण की बात करने और आरएसएस की वैचारिकी को चुनौती देने के चलते इस बात की संभावना बनती है कि कर्नाटक को द्रविड़ियन मॉडल का राज्य बनाया जाए.

भारत में द्रविड़ियन मॉडल पर आधारित मॉडल राज्य तमिलनाडु है.

आर्य-ब्राह्मण हिंदू राष्ट्र का मॉडल राज्य गुजरात है.

उत्तर प्रदेश को भी आर्य-ब्राह्मण-हिंदू राष्ट्र का मॉडल बनाने की कोशिश हो रही है.

यदि कर्नाटक द्रविड़ियन मॉडल पर आधारित राज्य बन जाता है, तो आरएसएस-भाजपा को वहां से हमेशा-हमेशा के लिए खदेड़ा जा सकता है और द्रविड़िन मनोभाव को हिंदू मनोभाव वाले राज्य में तब्दील करने की कोशिश को पूरी तरह रोका जा सकता है.

कर्नाटक की जनता का मैनडेट द्रविड़ियन राज्य के लिए है. नेतृत्व भी उसके अनुकूल है.

कांग्रेस का चुनाव के दौरान प्रचार, वादे और घोषणा-पत्र, जनता का वोट, मुख्यमंत्री के रूप में सिद्धारमैया का चुनाव और आज मंत्रिमंडल का स्वरूप द्रविड़िन मॉडल के अनुकूल है.

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