Site icon Rajniti.Online

रघुवीर सहाय की ये नयी दास्तान जरूर पढ़नी चाहिए

New story of Ramdas Wald Raghuveer

रघुवीर सहाय की कविता के रामदास को तो आप सभी जानते ही होंगे। मारखेज की कहानी ‘Chronicle of a Death Foretold’ का नायक भी कुछ-कुछ रामदास जैसा ही था। इस किस्से का नायक 2014 के बाद के भारत का रामदास है। इस किस्से को एक बार फिर पढ़िए।

रामदास बहुत परेशान थे I समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें क्या न करें !

कुछ देर पहले ही आकर मोहल्ले का कुख्यात गुण्डा उन्हें धमका गया था कि मक़बूल मियाँ को जल्दी से जल्दी वह अपने घर से निकाल बाहर करें ! उस गुण्डे को लोग ‘गुरूजी’ कहकर बुलाते थे ! चार मर्डर कर चुका था और सुबूतों-गवाहों के अभाव में बेदाग़ बरी हो गया था ! कहने को प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करता था, पर असली काम ज़मीनों पर कब्ज़ा करने और बेचने का था I सुपारी लेकर घर खाली कराने और हत्याएँ करने का भी काम करता था I इनदिनों भगवा गमछा कंधे पर रखे रहता था और ‘जय श्रीराम’ का कड़कती- डरावनी आवाज़ में उद्घोष करते हुए लोगों का अभिवादन करता था I तीन दिनों पहले उसने यह घोषणा कर दी थी कि पूरे मोहल्ले से ‘कटुओं’ को भगा देना है I

तीन मुसलमान परिवारों ने तो पहले ही अपना बोरिया-बिस्तर बाँध लिया था I

चौथा मक़बूल मियाँ का परिवार था जो रामदास का बीस वर्षों से किरायेदार था I मक़बूल रामदास के लंँगोटिया यार थे और दोनों परिवार एक परिवार जैसे थे I

मक़बूल ने खुद ही घर छोड़ देने का प्रस्ताव रखा ताकि रामदास पर कोई विपत्ति न आये I पर रामदास इसके लिए कत्तई तैयार नहीं हुए I

गुरूजी को इस अदना से आदमी की यह हिमाक़त चुनौती जैसी लगी I उसने रामदास को घर आकर बता दिया कि कल का दिन उनका आख़िरी दिन होगा I

पर सीधे-सादे रामदास के सिर पर भी न जाने कैसी ज़िद सवार हो गयी थी !

आखिर अगला दिन भी आया I मोहल्ले के सभी लोगों को पता था कि आज रामदास की हत्या होने वाली है I सभी दरवाज़े बंद किये हुए, अपनी खिड़कियों से झाँकते हुए उस गली के नुक्कड़ की ओर निगाहें टिकाये हुए थे जिस ओर रामदास का घर था !

ठीक ग्यारह बजे रामदास हाथ में छाता लिए हुए घर से निकले I नुक्कड़ पर पहुँचते ही हत्यारा राह रोककर उनके सामने खड़ा हो गया I उसने कोई देर नहीं की ! फेंटे से लंबा चमचमाता रमपुरिया चाकू निकाला और रामदास के पेट में घोंप दिया I रामदास के उछलकर पीछे हटने से चाकू का घाव गहरा नहीं लगा I पेट से छूटती लहू की धार को रामदास ने ज़ोर से दबाया और हत्यारे को पीछे धकेलकर बगटुट पास की पुलिस चौकी की ओर भागे I दौड़ते-दौड़ते उन्होंने जख्म पर ज़ोर से गमछा बाँध लिया I

पुलिस चौकी में घुसते ही उन्होंने देखा कि दारोगा की कुर्सी पर वर्दी-टोपी पहने हुए वही हत्यारा बैठा हुआ है I रामदास उलटे पाँव वहाँ से भागे और एस.पी. ऑफिस की ओर दौड़ने लगे I एस.पी. साहब अभी आये नहीं थे I रामदास बाहर बरामदे में इंतज़ार करने लगे I

थोड़ी देर बाद एस.पी. की गाड़ी जब पोर्टिको में आकर रुकी तो उनको अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हुआ I गाड़ी से वही हत्यारा एस.पी. की वर्दी डाटे उतर रहा था I

रामदास वहाँ से भी चेहरा छिपाते हुए निकले और सड़क पर दौड़ने लगे I उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था I सामने कचहरी थी I

रामदास दौड़ते हुए गेट पर बैठे चपरासी को धकियाकर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के ऑफिस में घुस गए I सामने देखा तो माथा घूम गया I डी.एम. की कुर्सी पर वही हत्यारा अधलेटा आँखें बंद किये उबासियाँ ले रहा था I

रामदास फ़ौरन मुड़े और कचहरी की सड़क पर भागने लगे I

भागते हुए ही उन्होंने सामने की अदालत की ओर निगाह डाली तो उन्हें जज की कुर्सी पर भी वही हत्यारा बैठा नज़र आया I

पास ही विधायकजी का निवास था I रामदास अभी उसके गेट पर पहुँचे ही थे कि बंगले से लाव-लश्कर के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री की गाड़ी निकली I गाड़ी की पिछली सीट पर गेरुआ कपड़े पहने एक आदमी पसरा हुआ था I गाड़ी जब बगल से गुज़री तो रामदास ने देखा कि यह तो वही हत्यारा था !

हताश रामदास ने अब सबकुछ जैसे किस्मत पर छोड़ दिया I चलने की ताक़त भी अब जवाब देती जा रही थी I थके-हारे कदमों से वह घर की ओर चल पड़े I रामदास को देखते ही मोहल्ले के लोग फिर घरों में घुस गए और खिड़कियों से झाँकने लगे I

घर पहुँचकर रामदास ने देखा कि मक़बूल मियाँ की कोठरी धुएँ और राख से भरी हुई है, दरवाज़े टूटे हुए हैं और उनके परिवार का कुछ अता-पता नहीं है I चिन्ता से भरे हुए वह अपने घर के दरवाज़े पर जा खड़े हुए I दरवाज़ा बंद था I उन्होंने कुंडी खड़काई I दरवाज़ा खुला तो सामने वही हत्यारा खड़ा था I

हत्यारा रामदास को देखकर मुस्कुराया और बोला,”आओ रामदास! चाय पियोगे?”

किंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. https://rajniti.online/ पर विस्तार से पढ़ें देश की ताजा-तरीन खबरें

Exit mobile version