कला और कलाकार सरहद के गुलाम नहीं होते. इनका मकाम सरहद के परे भी होता है. और यह बात तब और पुख्ता हो जाती है जब हम ऐसे कार्यक्रम देखते हैं जहां दो संस्कृतियों का मिलन होता है.
जॉर्जियाई थिएटर सैंड्रो अखमेटेली स्टेट ड्रामा थिएटर ने आईसीसीआर की मदद से भारत आकर देव संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार, हिंदू कॉलेज और गलगोटिया विश्वविद्यालय में प्रस्तुति दी। इस सांस्कृतिक संगम को जिसने भी देखा उसने न सिर्फ इसे सराहा बल्कि वह खुद भावविभोर भी हो गया.
सैकड़ों छात्र-छात्राओं और शिक्षकों ने देखी प्रस्तुति
भारतीयों के आतिथ्य आवभगत देख थियेटर ग्रुप के लोग काफी खुश नजर आए। जॉर्जिया के इस थिएटर ग्रुप में 800 छात्रों और दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति के सामने भी प्रस्तुति दी। इस कार्यक्रम के लेखक प्रसिद्ध जॉर्जियाई अभिनेता, टीवी होस्ट और एंकर निकोलोज़ त्सुलुकिद्ज़े थे।
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इस थियेटर ग्रुप के कार्यक्रम को कराने की पहल जॉर्जिया में रहने वाले भारतीय मूल के दर्पण प्रशर द्वारा की गई थी, जो जॉर्जिया में एक एनजीओ भी चलाते हैं, एक साल पहले ही इन्हें भारत और जॉर्जिया के बीच सांस्कृतिक एकीकरण के लिए भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है । दर्पण प्रशर के मुताबिक यह कार्यक्रम दो राष्ट्रों और संस्कृतियों के बीच सांस्कृतिक एकजुटता का सही तरीका है।
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