Unemployment in India: बेरोजगार या Unemployed का विलोम शब्द क्या है – जाहिर है आपका जवाब होगा बारोजगार अर्थात Employed….. मगर इन दोनों के बीच जमीन आसमान का फासला होता है…..
जनकवि सुदामा पांडेय धूमिल ने गांव की माटी से कविता और भाषा सीखी थी…. इसीलिए तो उन्होंने सत्ता के हुक्मरानों द्वारा पीड़ितो को दी जा रही यातनाओं को बहुत करीब से देखा था…. धूमिल कहते हैं – ‘लोहे का स्वाद लोहार से मत पूछो, उस घोड़े से पूछो जिसके मुंह में लगाम है…’
धूमिल की बात और स्पष्ट समझनी हो तो एक और नजीर पेश ए खिदमत है…. पटना में हाथ में तिरंगा लिए बेरोजगार निकला था नौकरी मांगने…. लेकिन ADM ने सड़क पर लिटा कर उस पर जमकर डंडे बरसाए….. एडीएम साहब ने राष्ट्रध्वज का भी अपमान करने गुरेज नहीं किया….. पूरे देश में इसकी चर्चा है…. अब इस कथा में दो पात्र आमने सामने हैं…. बारोजगार ADM और बेरोजगार युवक…. अतः बेरोजगारी का दर्द अगर समझना हो तो उस शिक्षक अभ्यर्थी युवक से पूछिए, जिसके साथ एडीएम ने बर्बरता की…. हद देखिए अंधेरगर्दी की कि ADM केके सिंह ने पहला डंडा तो तिरंगे पर ही चलाया…. यानि खुलेआम राष्ट्रध्वज का अपमान…. अरे, कम से कम राष्ट्रध्वज को तो लड़के के हाथ से ले लेना चाहिए था… लेकिन ADM को ये सब कहां दिख रहा था… वो तो छात्र को तिरंगे समेत जमीन पर लिटाकर डंडे बरसाए जा रहे थे… यही है बेरोजगार और बारोजगार के बीच का फर्क….
Reality of Unemployment in India
जमीनी कवि धूमिल की ही एक कविता…
एक आदमी
रोटी बेलता है
एक आदमी रोटी खाता है
एक तीसरा आदमी भी है
जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है
वह सिर्फ़ रोटी से खेलता है
मैं पूछता हूँ–
‘यह तीसरा आदमी कौन है ?’
मेरे देश की संसद मौन है
धूमिल के इस अनुत्तरित प्रश्न का उत्तर आज तक नहीं मिल पाया है…. बहरहाल, आप बोर तो नहीं हो रहे? चलिए थोड़ी चर्चा पूजा पाठ की भी कर लेते हैं…. अगस्त का महीना है…. घर घर तिरंगा फहरा कर अब लोग अमृत महोत्सव सेलिब्रेट कर सुस्ता रहे हैं…. 15 अगस्त 1975 को एक फिल्म रिलीज हुई जय संतोषी मां…. इस फिल्म की कहानी भी कम फिल्मी नहीं थी…. श्रद्धालु भक्तगण चप्पल उतार कर थिएटर में जाते थे इस फिल्म को देखने…. बाद में कम से कम उत्तर भारत के तो कई घरों संतोषी माता का महिलाएं व्रत करने लगीं… इस व्रत की कथा कुछ यूं हैं….. एक बुढ़िया के सात बेटे थे…. छः बेटे बारोजगार थे और सातवां बेटा नहीं कमाता था… बूढ़ी माँ कमाने वाले बेटों के लिए भोजन बनाकर उन्हें खिलाती और बची हुई झूठन सातवें बेटे को दे दिया करती थी…. बेटे को यह पता नहीं था… एक दिन उसकी पत्नी ने उसे यह बात बताई…. उसे विश्वास नहीं हुआ…. छुपकर देखा तो उसे पता चला कि यह सच था…. उसे बड़ा दुःख हुआ…. माँ के खाना खाने बुलाने पर वह बोला – मैं यह खाना नहीं खाऊंगा… परदेस जाकर कमाई करूँगा…. उसके कमाने जाने के बाद उसकी पत्नी संग भी बहुत ज्यादती होती है…. बहरहाल इस प्रसंग को यहां छेड़ने का एक मात्र उद्देश्य है कि आप बेरोजगारी के दंश को करीब से समझ सकें…. मां-बेटे का रिश्ता बेहद खास होता है… कहते हैं बेटे-बेटी तो मां के जिगर का टुकड़ा होते हैं….. मगर बेरोजगारी उन्हें भी नहीं बख्शती…. बाकी रिश्तों की तो बात ही मत कीजिए…
This is the real picture of Unemployment in India
साल 2018- 2020 के बीच देशभर में लगभग 25 हजार लोगों ने बेरोजगारी और कर्ज के बोझ के चलते आत्महत्या की हैं…. व्यापार में नुकसान और नौकरी न मिलने की वजह से देश में परिवार की जिम्मेदारी का बोझ लादी हुई भारत की जनता मानसिक रूप से इन दिनों बहुत परेशान है…. इस बात की पु्ष्टि सरकार ने ही किसी सांसद के पूछने पर राज्यसभा में की थी…. एक लिखित उत्तर के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए राज्यसभा को यह जानकारी दी थी….
इस घटना के कुछ दिन पहले ही राहुल गांधी ने दो हिंदुस्तान की बात कही थी…. सियासी गलियारे में बवाल मच गया था…. बवाल इसलिए क्योंकि गरीबी और बेरोजगारी हमारे देश में कभी मुद्दा ही नहीं रही…. तब निकली रेलवे भर्ती में कुल पदों की संख्या 1 लाख 40 हजार थी…. लेकिन उसके लिए ढ़ाई करोड़ लोगों ने आवेदन किया था…. देश में बढ़ती बेरोजगारी का यह एक और ताजा उदाहरण है…
एक शोध में यह दावा किया गया है कि साल 2021 की शुरुआत से अब तक 2.5 करोड़ से अधिक लोग अपनी नौकरी गंवा चुके हैं…. 7.5 करोड़ लोग ग़रीबी रेखा पर पहुंच चुके हैं…. जिनमें 10 करोड़ निम्न मध्यम वर्ग का एक तिहाई शामिल है…. आज हर साल देश की अर्थव्यवस्था को 2 करोड़ नौकरियां चाहिए…. लेकिन भारत में बीते दशक में हर साल केवल 43 लाख नौकरियां ही पैदा हुईं हैं….
Unemployment in India: चुनाव चाहे लोकसभा का हो या फिर विधानसभा का…. हर पार्टी के घोषणा पत्र या संकल्प पत्र में नौकरियों की सुनामी आ जाती है…. मगर चुनाव के बाद ये वादे ठंडे बस्ते में डाल दिए जाते हैं…. इस महीने देशभर में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से अपील की कि वह हर घर तिरंगा अभियान में हिस्सा लें…. इसी दौरान पूर्व बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने एक बार फिर पीएम नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर निशाना साधा… स्वामी ने ट्वीट के जरिए पूछा कि पीएम मोदी 2 करोड़ रोजगार और सबको पक्का घर कब देंगे? स्वामी ने ट्वीट कर लिखा, “2017 में अपने आईडी भाषण में पीएम मोदी ने 2022 के 15 अगस्त तक हासिल करने के लिए निम्नलिखित वादे किए थे, जिसमें 2 करोड़ नई नौकरियां हर साल, सभी के लिए आवास, किसानों की आय दोगुनी करना और बुलेट ट्रेन…. हुआ है? वह इस साल 15 अगस्त के भाषण में क्या वादा करने जा रहे हैं?”
आइए जानते हैं कैसे भारत में 2014 के बाद हर साल नौकरियां घटती जा रही हैं…. वर्ष 2014 से 2022 के दौरान केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में नियुक्ति के लिये 22.05 करोड़ आवेदन प्राप्त हुए…. भर्ती एजेंसियों द्वारा मात्र 7.22 लाख अभ्यर्थियों की भर्ती की अनुशंसा की गई….. लोकसभा में ए रेवंत रेड्डी के प्रश्न के लिखित उत्तर में कार्मिक राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने यह जानकारी दी थी….. ए रेवंत रेड्डी ने वर्ष 2014 से अब तक केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में स्थायी नौकरी पाने वाले लोगों का ब्यौरा मांगा था, जिसके जवाब में केंद्र सरकार ने ये जानकारी दी.
Fact and figure about Unemployment in India
कार्मिक राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह द्वारा सदन में पेश किये गए आंकड़ों के मुताबिक
• साल 2021-22 में 1,86,71,121 आवेदन मिले, 38,850 अभ्यर्थियों की भर्ती की अनुशंसा की गई.
• साल 2020-21 में 1,80,01,469 आवेदन मिले, 78,555 अभ्यर्थियों की भर्ती की अनुशंसा की गई.
• साल 2019-20 में 1,78,39,752 आवेदन मिले, 1,47,096 अभ्यर्थियों की भर्ती की अनुशंसा की गई.
• साल 2018-19 में 5,09,36,479 आवेदन मिले, 38,100 अभ्यर्थियों की भर्ती की अनुशंसा की गई.
• साल 2017-18 में 3,94,76,878 आवेदन मिले, 76,147 अभ्यर्थियों की भर्ती की अनुशंसा की गई.
• साल 2016-17 में 2,28,99,612 अवदेन मिले, 1,01,333 अभ्यर्थियों की भर्ती की अनुशंसा की गई.
• साल 2015-16 में 2,95,51,844 आवेदन मिले, 1,11,807 अभ्यर्थियों की भर्ती की अनुशंसा की गई.
• और, साल 2014-15 में 2,32,22,083 आवेदन प्राप्त हुए, 1,30,423 अभ्यर्थियों की भर्ती की अनुशंसा की गई.
ये आंकड़े हालात के भयावहता को बयान करने के लिए बेशक काफी है…. साल दर साल नौकरियां घटती जा रही हैं…. और बेरोजगार बढ़ते जा रहे हैं…. सेंटर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी CMIE के मुताबिक़, दिसंबर 2021 में भारत में बेरोज़गारी दर 7.9 प्रतिशत थी….. 2005 में 18 से 23 साल के क़रीब 15 प्रतिशत छात्र हायर एजुकेशन यानी कॉलेज में जा रहे थे….. जो आज बढ़कर क़रीब 25 प्रतिशत हो गए हैं….. दूसरी तरफ़ सरकारी नौकरियों में पिछले दो दशकों में लगातार कमी आई है.
अंतिम आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2017-18 में बेरोज़गारी बीते 45 सालों में सबसे अधिक यानी 6.1% पर थी.
• रेलवे में 15,07694 स्वीकृत पद हैं, जबकि भरे गए पदों की संख्या 12,70,399 हैं
• डाक तार विभाग में करीब 90 हजार पद खाली हैं
• रेवेन्यू विभाग में करीब 75 हजार पद खाली हैं
• रक्षा (सिविल) में करीब ढाई लाख पद खाली हैं
• इसी तरह होम मिनिस्ट्री में करीब एक लाख 30 हजार पद खाली पड़े हैं
Unemployment in India and government reality
14 जून 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर अगले डेढ़ साल में 10 लाख नौकरियां देने का ऐलान किया था और पीएम ने ट्वीट कर सभी विभागों और मंत्रालयों में अगले डेढ़ साल के दौरान 10 लाख लोगों की भर्ती करने का निर्देश दिए थे….
पीएम की इस घोषणा पर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा था कि हर साल दो करोड़ नौकरी देने का वादा करने के बाद अब सरकार ने वर्ष 2024 तक सिर्फ 10 लाख नौकरी देने की बात की है.
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