Rishikesh news: मानसून के दौरान गंगा के उफनने से तटीय इलाके में बाढ़ का पानी घुसने का खतरा रहता है। यही वजह है कि बरसात में यहां आबादी क्षेत्र के लोगों की नींद उड़ जाती है।
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मानसून के समय गंगा किनारे आबादी क्षेत्र चंद्रेश्वरनगर, चंद्रभागा, बंगाली बस्ती, मायाकुंड और त्रिवेणीघाट आबादी क्षेत्र बाढ़ प्रभावित हैं। आबादी में बाढ़ का पानी घुसने का खतरा तब रहता है जब गंगा खतरे के निशान से ऊपर बहने लगती है। गंगा के उफनने से तटीय इलाकों में बाढ़ का पानी घुस जाता है।
इस स्थिति में रेस्क्यू टीम बाढ़ प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करती है। बाढ़ का पानी कम होने पर लोग वापस अपने आशियाने में लौट आते हैं। चंद्रेश्वरनगर निवासी राजेश साह, सोनू, अमित सिंह ने बताया कि बाढ़ की विभिषिका वर्ष 2013 में सबसे बड़ी झेली, जब केदारघाटी में जल प्रलय हुआ था।
उस समय चंद्रेश्वरनगर, श्मशान घाट रोड, चंद्रभागा चार से पांच दिन तक पानी में डूबा रहा। पानी साफ होने के बाद घरों में पांच से छह फिट मलबा जम गया था, जिसे साफ करने में कई दिन लगे। उसके बाढ़ की बड़ी घटना नहीं हुई। लोगों ने बताया कि बरसात शुरू होती है तो डर अभी भी लगा रहता है।
ऋषिकेश में जलभराव से प्रभावित इलाके चंद्रेश्वरनगर में श्मशान घाट रोड, मायाकुंड में चंद्रभागा नदी के किनारे बसी बंगाली बस्ती, रंभा नदी के किनारे सर्वहारानगर है। जहां जलभराव की समस्या रहती है। स्थानीय निवासी बलराम साह, ननकूराम, सीमा देवी ने बताया कि घरों में बारिश का पानी घुसने से राशन और फर्नीचर खराब होता है। सबसे ज्यादा दिक्कत तब होती है जब घर को छोड़कर पूरे परिवार को सुरक्षित जगह पर शिफ्ट किया जाता है। इससे गृहस्थी प्रभावित होती है। सर्वहारानगर में पिछले दो साल से जलभराव की समस्या नहीं है।
ऋषिकेश में गंगा और उसकी सहायक नदियों के किनारे बसी आबादी में बाढ़ का खतरा रहता है। जलभराव से किसी तरह का नुकसान नहीं हो इसके लिए एसडीआरएफ और जल पुलिस के जवान प्रभावित क्षेत्र में 24 घंटे निगरानी रखते हैं। बरसात के पानी की निकासी के लिए दो पंप है हालांकि उनकी जरूरत आज तक नहीं पड़ी। रेस्क्यू के लिए चार मोटर बोट, 12 राफ्टे और आपदा उपकरण हैं।
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