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Uttrakhand tourist place: वो जगह जहां दुनियाभर के जीनियस आने के लिए तरसते थे?

Uttrakhand tourist place for spiritual power: यूँ तो उत्तराखंड में सौंदर्य और सुकून की कमी नहीं है लेकिन यहाँ कुमाऊँ इलाक़े (kumaun region) में एक जगह ऐसी भी है जिससे दुनियाभर के जीनियस लोगों को ख़ास लगाव रहा है. जीहाँ ये जगह ऐसी है जिसका अपना ही महत्व है और सदियों से यहाँ आने वाले लोगों का दुनिया लोहा मानती रही है.

उत्तराखंड पर्यटन (Uttrakhand tourism) के लिहाज़ से दुनियाभर के लोगों में मशहूर है और लोग यहाँ साल भर आते हैं. यहाँ पर्यटन के लिए पहाड़ और अध्यात्म का अनूठा संगम है. इसलिए इस राज्य का महत्व बहुत है. और यहीं है कसारदेवी. यहाँ गुरुदत्त (gurudutt), पंडित रविशंकर, ज़ोहरा सहगल और उनकी फ्रेंच डांसर मित्र सिम्की, नोबेल जीतने वाले गायक-कवि बॉब डिलन जैसे दिग्गज लोग अपने जीवन में कई बार कसारदेवी आए हैं. कसारदेवी (kasardevi) की सड़कों-पगडंडियों पर यूं ही टहलते मुझे कई दफ़ा यह इलहाम होता है कि सामने दिखाई दे रहे नंदादेवी, त्रिशूल और पंचचूली के धवल शिखरों को घंटों ताकते हुए बॉब डिलन के मन में कितने सारे गीतों की कितनी सारी पंक्तियाँ उभरी होंगी.

उत्तराखंड का ये ऐसा इलाक़ा जिसमें कोई तो बात है जिसकी वजह से यहाँ आने वाले लोगों दुनियाभर के जीनियस शामिल हैं. कसारदेवी और उसके आस-पास के चार-छह किलोमीटर के दायरे में पिछले अस्सी-नब्बे सालों से लगातार दुनिया भर के जीनियसों की आवाजाही लगी हुई है. इनमें से अनेक की तो यहाँ आकर जीवन-दिशा ही बदल गई. जब आप यहाँ जाएँगे तो यहाँ एक तरफ़ आपको तकरीबन सीधी रिज पर बसा हुआ कसारदेवी अपनी अनोखी भौगोलिक स्थिति लिए दिखाई देगा और दूसरी तरफ़ अल्मोड़ा नगर दिखाई देगा. और उसके आगे एक-दूसरे पर पसरी हरे-नीले-सलेटी पहाड़ों की अनगिनत लड़ियाँ हैं.

आप यहाँ जाएँ और साफ़ दिन हो तो गढ़वाल की चौखम्भा-केदार चोटियों से लेकर सुदूर नेपाल की आपी-नाम्पा तक फैला हुआ नगाधिराज का विशाल साम्राज्य दिखाई देता है. यहाँ रहने वाले पुराने लोग बताते हैं कि 1930 के दशक के आख़िरी वर्षों में नृत्य-सम्राट कहे जाने वाले उदयशंकर ने जब कसारदेवी से सटे सिमतोला में अपनी डांस एकेडमी बनाई, उस समय यह छोटा-सा हिस्सा देशी-विदेशी प्रतिभाओं से अटा पड़ा था. कसारदेवी जब आप आएँगे तो यहाँ आपको मिलेगा आर्य मैत्रेय मंडल. इसकी स्थापना जर्मन विद्वान अर्न्स्ट लोथार होफ़मान ने की थी. होफमान की कहानी भी बहुत दिलचस्प है.

कहते हैं उन्होंने बाकायदा बौद्ध धर्म अपना लिया था और लामा की पदवी हासिल कर लामा अंगरिका गोविंदा के नाम से जाने जाने लगे थे. उन्होंने बम्बई में रहने वाली रैटी पैटी नाम की एक पारसी फोटोग्राफर महिला से शादी की और उन्हें ली गौतमी नाम दिया. इन दोनों ने मिलकर 1940 की दहाई के आख़िरी सालों में कसारदेवी में आर्य मैत्रेय मंडल की स्थापना की. उन दिनों तिब्बत में चीन की घुसपैठ शुरू हो चुकी थी. गौतमी और गोविंदा ने तिब्बती शरणार्थियों के लिए एक आश्रम की स्थापना भी की. उन्होंने अपनी रसोई में एक तिब्बती रसोइये को नियुक्त किया जिसकी सन्ततियां आज उनके घर में रहती हैं.

कसारदेवी के बारे में अहम बात

कसारदेवी का नाम दरअसल दूसरी शताब्दी में बनाए गए कसारदेवी मैय्या के एक मंदिर के कारण पड़ा है. कश्यप पर्वत पर बने इस पुराने मंदिर को लेकर एक अनुमान यह भी है कि ईसा से नौ सौ वर्ष पूर्व पश्चिमी एशिया से आये प्राचीन कासाइट सम्प्रदाय के अनुयायियों ने इस मंदिर की स्थापना की थी. इसी समुदाय के नाम पर कसारदेवी का नाम पड़ा बताया जाता है. बताते हैं इसी मंदिर में साधना करते हुए स्वामी विवेकानंद को ज्ञान की रोशनी हासिल हुई.


इसी मंदिर के परिसर में विचार करते हुए हार्वर्ड और कैलिफोर्निया जैसे विश्वविद्यालयों में मनोविज्ञान पढ़ाने वाले बागी प्रोफेसर टिमोथी लियरी को मानवीय चेतना का आठ सर्किटों वाला मॉडल सूझा जिसके प्रसार-प्रचार के लिए उन्होंने साइकेडैलिक ड्रग्स के इस्तेमाल की पैरवी की.

उनकी इस विचारधारा पर अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन ने यहाँ तक कहा कि टिमोथी लियरी अपने समय में अमेरिका का सबसे खतरनाक इंसान था. टिमोथी लियरी को मानव चेतना का अन्तरिक्ष यात्री बताने वाले बीटनिक कवियों एलेन गिन्सबर्ग और गैरी स्नाइडर ने कितनी ही दफा कसारदेवी का रुख किया. मनोविज्ञान के ही क्षेत्र से दो बहुत बड़े नाम–राल्फ़ मैट्सनर और आरडी लैंग–भी कसारदेवी से लगातार जुड़े रहे.

हॉलीवुड के सितारों में क्रेज़

डैनी-के से लेकर नील डायमंड जैसे सितारों के जीवन में कसारदेवी मौजूद रहा है. डैनी-के की लड़की डीना ने तो कसारदेवी के ऐन बगल में स्थित डीनापानी में एक हस्पताल तक बनवाया. इस दौर की सुपरस्टार उमा थर्मन के शुरुआती बचपन का हिस्सा कसारदेवी में बीता है जहाँ उनके पिता रॉबर्ट थर्मन लामा अंगरिका गोविंदा के साथ ध्यान करते आते थे. शुरुआत से ही स्थानीय लोगों की निगाह में कसारदेवी आने वाले गोरी चमड़ी वाले ज्यादातर लोग सैलानी थे जिन्होंने यहाँ आसानी से उपलब्ध हो जाने वाले चरस और गांजे के आकर्षण में आना शुरू किया.

कसारदेवी और उससे सटे माट, मटेना, गदोली, पपरसैली और डीनापानी जैसे कितने ही गाँवों की आबादी के लिए स्थानीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ का काम किया. हिप्पी आन्दोलन के चलते कसारदेवी को एक ज़माने में हिप्पी हिल का नाम मिला, फिर उसे क्रैंक्स रिज कहा जाने लगा. 1970 से लेकर 2000 तक यह एक ऐसा अड्डा बना रहा जिसमें दुनिया भर के कलाकार, लेखक, कवि, संगीतकार, दार्शनिक और पत्रकार लम्बे अंतराल गुज़ारते थे. इनकी नागरिकता स्वीडन से लेकर अल्जीरिया और ऑस्ट्रिया से लेकर जापान तक कहीं की भी हो सकती थी. तमाम अड्डों पर चलने वाले उनके बहस-मुबाहिसों का स्तर किसी बड़े विश्वविद्यालय के वातावरण का अहसास दिलाता होगा.

अफ़वाहें पर ध्यान न दें

पिछले कुछ वर्षों में कसारदेवी को लेकर एक अलग तरह की बात इंटरनेट पर प्रचारित की जाने लगी है. कई बार इस बात को नासा के हवाले से बताया जाता है कि कसारदेवी पृथ्वी के एक विशाल चुम्बकीय क्षेत्र के ऊपर बसा हुआ है जिसे धरती की ‘वान एलेन बेल्ट’ कहा जाता है. ये भी कहा जाता है कि इस वजह से इस समूचे इलाके में एक अद्वितीय कॉस्मिक ऊर्जा का संचार होता है जिसकी मिसाल दुनिया में सिर्फ दो और जगहों पर मिलती है – इंग्लैंड के स्टोनहेंज में और पेरू के माचूपिच्चू में. वैसे सच ये है कि इस बाबत न तो नासा की वेबसाइट में कोई ज़िक्र मिलता है, न ही ये पता चलता है कि यह अफ़वाह सबसे पहले किसने उड़ाई.

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