अलवर के में 300 साल पुराने एक मंदिर को जमींदोज कर दिया गया। जिसके बाद से सियासी गलियारों में गहलोह सरकार के विरोध की लहर आ गयी है। लोगों में गहलोत सरकार को लेकर नाराजगी है. लेकिन वसुंधरा राजे भी दूध की धुली नहीं है.
सोशल मीडिया के माध्यम से पुरे भारत से राजस्थान कांग्रेस विरोध किया जा है। भाजपा इस मुद्दे पर सियासत का मौका तलाश रही है। हालाँकि ये पहली बार नहीं है जब राजस्थान में मंदिरों को तोडा गया है। इससे पहले वसुंधरा राजे सरकार में भी कई धार्मिक स्थलों को अवैध स्थान पर बना बता कर गिराया गया या उन्हें स्थानांतरित किया गया है।
कब कब तोड़े गए मंदिर?
ये पहली बार नहीं है जब राजस्थान में मंदिर परिसर को तोड़ा गया है। इससे पहले भी कई बार मंदिरों को तोड़ा जा चुका है। राजे सरकार में 2015 में जयपुर में मेट्रो ट्रैक बढ़ाने और रोड ट्रैफिक को बेहतर बनाने के लिए, शहर के करीब 100 धार्मिक स्थलों को ध्वस्त कर दिया गया था। या फिर उन्हें दूसरे स्थान पर शिफ्ट कर दिया गया था।
- वसुंधरा राजे की सरकार में ही 2017 में जयपुर में मेट्रो के एक्सपेंसन ड्राइव के दौरान दो मंदिरो को तोड़ दिया गया था।
- 2017 में ही राजसमंद में अतिक्रमित भूमि पर स्थित एक मंदिर को हटाया गया था।
- 18 अप्रैल से पहले गहलोत सरकार में फरवरी 2022 में भी चित्तौड़गढ़ में प्राचीन शिव मंदिर को अतिक्रमण का हवाला देकर गिराया गया था।
- 2018 में जयपुर के टोंक रोड पर भी अतिक्रमण बताकर प्रशासन ने मंदिर तोडा था।
ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. https://rajniti.online/ पर विस्तार से पढ़ें देश की ताजा-तरीन खबरें