यूक्रेन और रूस के बीच भले ही सुलह का रास्ता निकलता दिखाई दे रहा हो लेकिन एक बात जो परेशान करने वाली है वो ये है कि यूक्रेन के परमाणू हथियार रूस के पास हैं. 1993 तक अमेरिका और रूस के बाद सबसे ज्यादा परमाणु हथियार यूक्रेन के पास थे. लेकिन बेहतर रिश्तों की चाह में यूक्रेन ने एटमी हथियार का सारा जखीरा रूस को दे दिया.
इतिहास गवाह है कि एक दौर में यूक्रेन दुनिया में सबसे ज्यादा एटम बम रखने वाला देश था. उस जमाने में यूक्रेन सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करता था. जानकार कहते हैं कि उन दौर में यूक्रेन के पास पांच हजार एटमी हथियारों का जखीरा था. 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद पश्चिम और रूस के संबंध सुधरने लगे. सोवियत संघ के सदस्य रहे देश आर्थिक रूप से बेहद कमजोर हो चुके थे. उन्हें पश्चिम के आर्थिक व कारोबारी सहयोग की दरकार थी और बदले में शांति व लोकतंत्र का रास्ता चुनना था. रूस समेत ज्यादातर देश इस राह पर निकल पड़े. उसी दौर में यूक्रेन ने परमाणु हथियारों को खत्म करने की तैयारी शुरू कर दी. कीव और मॉस्को दोनों को उम्मीद थी कि इस फैसले से आपसी रिश्ते अच्छे बने रहेंगे.
क्या है बुडापेस्ट मेमोरंडम?
5 दिसंबर 1994 को हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में यूक्रेन, बेलारूस और कजाखस्तान, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका के नेता मिले. इन नेताओं ने बुडापेस्ट मेमोरंडम ऑन सिक्योरिटी अश्योरेंस पर हस्ताक्षर किए. छह पैराग्राफ के इस मेमोरंडम में बहुत स्पष्ट तौर पर लिखा गया था कि यूक्रेन, बेलारूस और कजाखस्तान की स्वतंत्रता, संप्रभुता और मौजूदा सीमाओं का सम्मान किया जाएगा. विदेशी शक्तियां इन देशों की क्षेत्रीय संप्रुभता या राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए कभी खतरा नहीं बनेंगी.
मेमोरंडम के चौथे प्वाइंट में यह जिक्र था कि अगर परमाणु हथियारों वाला कोई देश यूक्रेन, बेलारूस और कजाखस्तान के लिए खतरा बनेगा तो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इन देशों की मदद करेगी. लेकिन यह सिर्फ मेमोरंडम था, इसे कानूनी रूप से बाध्य संधि में नहीं बदला गया. यूक्रेन को बस यह दिलासा दिया गया कि वह चिंता बिल्कुल न करे. मई 1996 आते आते सारे परमाणु हथियार रूस भेज दिए.
मेमोरंडम के 20 साल बाद
2013-2014 आते आते मेमोरंडम का यही कागज यूक्रेन और उसे भरोसा दिलाने वालों को चिढ़ाने लगा. यूक्रेनी राजधानी कीव में देश को यूरोपीय संघ में शामिल कराने की मांग कर रहे नागरिकों के विरोध में रूस समर्थक यूक्रेनियों ने भी प्रदर्शन शुरू कर दिया. रूस समर्थक देश के पूर्वी इलाके में ये प्रदर्शन करने लगे, जहां रूसी मूल के लोगों का बहुमत रहता है.
कुछ ही हफ्तों के भीतर प्रदर्शन हिंसक होने लगे. रूस पर आरोप लगने लगे कि वह प्रदर्शनकारियों को हथियार दे रहा है. संघर्ष के बीच मार्च 2014 में रूस ने क्रीमिया को अपने कब्जे में ले लिया. तब से लेकर अब तक यूक्रेन और रूस का विवाद आए दिन नए जोखिम छू रहा है. अब जब पुतिन यूक्रेन को लेकर अड़े हुए हैं तो दुनिया इस बात को लेकर चिंतित है कि रूस परमाणू हथियारों का क्या करेगा.
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