यूपी चुनाव पर सभी की नजर है. पहले चरण के मतदान से पहले पार्टी अपनी-अपनी तैयारियां पूरी कर चुकी हैं. 10 फरवरी को वोट डाले जाएंगे लेकिन सभी की नजर है इस बात पर कि पश्चिमी यूपी में कौन किस पर भारी है. सपा गठबंधन और बीजेपी के बीच मुकाबला है लेकिन बाजी बीएसपी भी साइलेंट किलर हो सकती है.
10 फरवरी को जिन 58 सीटों पर वोट डाले जाएंगे वहां 2017 में बीजेपी की लहर थी लेकिन इस बार समीकरण बदल गए हैं. इन 58 सीटों में से अभी बीजेपी के पास 53 सीटें हैं. क्या इस बार सपा, बसपा और राष्ट्रीय लोकदल बीजेपी को चित कर पाएंगे.
क्या तस्वीर उभर रही है? आइए इसे आंकड़ों के ज़रिए समझते हैं.
- जिन 58 विधानसभा सीटों पर पहले चरण में चुनाव हैं, वहां 2017 में बीजेपी ने मुक़ाबले को एकतरफ़ा बना दिया था.
- बीजेपी ने तब 58 में से 53 सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार जीते हुए 19 उम्मीदवारों के टिकट काट दिए हैं.
- बीजेपी ने 3 ऐसे उम्मीदवारों को भी टिकट दिया है जिन्होंने पिछला विधानसभा चुनाव बीएसपी के टिकट पर लड़ा था. इनमें खैरागढ़ से भगवान सिंह कुशवाहा, बरौली से ठाकुर जयवीर सिंह और एत्मादपुर से डॉक्टर धर्मपाल सिंह शामिल हैं.
- इस चुनाव में सपा-आरएलडी गठबंधन में हैं. पहले चरण की 58 में से 29 सीटों पर रालोद, 28 पर सपा और एक सीट पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी चुनाव लड़ रही हैं.
- सपा-रालोद ने 58 में से 43 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार बदले हैं.
- इन 43 उम्मीदवारों ने 2017 का विधानसभा चुनाव न तो सपा के टिकट पर लड़ा था और न ही राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर.
- अनूपशहर विधानसभा सीट एनसीपी को दी गई है, जहां से केके शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं.
- मायावती ने 2017 में जीतने वाले दो उम्मीदवारों को छोड़कर बाक़ी की 56 सीटों पर उम्मीदवारों को बदल दिया है.
- इन दो उम्मीदवारों में मांट विधानसभा से श्याम सुंदर शर्मा और गोवर्धन सीट से राजकुमार रावत शामिल हैं.
- 30 सीटें ऐसी हैं, जहां बसपा के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर थे, लेकिन इनमें से सिर्फ़ एक उम्मीदवार को इस बार टिकट दिया गया है.
कांग्रेस के लिए पहले चरण बहुत कुछ नहीं है. पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था. 2017 में पहले चरण की 58 सीटों में से सिर्फ़ 23 सीटों पर कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार खड़े किए थे. गठबंधन के बावजूद कई ऐसी सीटें थीं जहां एक साथ सपा और कांग्रेस के प्रत्याशी आमने सामने थे. इस चुनाव में कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस ने सभी 58 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. इन 58 उम्मीदवारों में से पांच उम्मीदवार ऐसे हैं जो पिछली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन हार गए थे.
- पुरकाजी विधानसभा सीट से दीपक कुमार
- कोइल से विवेक बंसल
- मथुरा से प्रदीप माथुर
- बलदेव से विनेश कुमार
- आगरा ग्रामीण विधानसभा सीट से उपेंद्र सिंह
पहले चरण में सपा-रालोद गठबंधन और बहुजन समाज पार्टी ने जो उम्मीदवार बदले हैं, उसकी दूसरी वजह है. ये बदलाव जातीय समीकरण और उम्मीदवारों की छवि को ध्यान में रखकर हुआ है. आंकड़े बताते हैं कि 2017 के मुक़ाबले इस बार पहले चरण की 58 सीटों पर महिला उम्मीदवारों की संख्या बढ़ी है. सबसे ज़्यादा कांग्रेस ने महिलाओं को टिकट दिया है. 2017 में कांग्रेस 58 सीटों में 23 पर चुनाव लड़ी थी, जिसमें सिर्फ़ एक महिला उम्मीदवार थीं. ज़ाहिर है कि इस बार कांग्रेस ने महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारकर बड़ा दांव खेला है.
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