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पीयूष जैन मामले में नया मोड़, मोदी,योगी और शाह तीनों की हुई फजीहत

पीयूष जैन मामले में अब नया मोड़ आ गया है. बीजेपी जिस इत्र कारोबारी को पहले समाजवादी पार्टी से जोड़ रही थी अब उसका कनेक्शन भारतीय जनता पार्टी से ही निकल आया है.

पीयूष जैन को मुद्दा बनाने के चक्कर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अमित शाह तक ने समाजवादी पार्टी के ऊपर खूब निशाना साधा. लेकिन अब उनको एहसास हो रहा है कि बहुत बड़ी गलती कर बैठी है भारतीय जनता पार्टी… मीडिया ने भी समाजवादी इत्र की तस्वीरें लगाकर पीयूष जैन के मुद्दे पर अखिलेश यादव को घेरा. लेकिन अब इस मामले में नया मोड़ आ गया है.

कानपुर स्थित व्यवसायी पीयूष जैन के ठिकानों पर पड़े छापों में ढाई सौ करोड़ रुपये से ज़्यादा के नोट और सोना, चांदी मिले हैं. टैक्स चोरी के आरोप में पीयूष जैन को गिरफ़्तार कर लिया गया है. मगर पीयूष जैन के पास से जो रकम बरामद हुई है, उसके तार क्या राजनीति से जुड़े हैं? और जुड़े हैं तो किस राजनीतिक दल से? इस सवाल का स्पष्ट जवाब मिलना फ़िलहाल तो मुश्किल लगता है, क्योंकि सत्ता पक्ष और विपक्ष – दोनों विरोधाभासी दावे कर रहे हैं.

पहले आपको बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने मुंह की कैसे खाई… दरअसल पीयूष जैन के मामले में बीजेपी के सभी बड़े नेता समाजवादी पार्टी को घेर रहे थे लेकिन अब अखिलेश यादव ने जब खुलासा किया तो सब हैरान रह गए. अखिलेश यादव ने मंगलवार को सीधे-सीधे योगी आदित्यनाथ पर झूठ बोलने का आरोप लगाया. अखिलेश यादव ने कहा,”इस व्यक्ति का समाजवादी इत्र बनाने वाले से जो रिश्ता जोड़ा जा रहा है वो सरासर झूठ है. इससे बड़ा झूठ कोई मुख्यमंत्री बोल नहीं सकते जो बोल रहे हैं. आख़िर ज़िम्मेदारी किसकी थी. ये जो पैसा निकला है, ये क्या हवाई जहाज़ से आया होगा – तो वो भारत सरकार है. क्या ट्रेन से आया होगा – तो इनकी सरकार है. सड़क से आया होगा – तो इनकी सरकार है. पानी के जहाज़ से आया होगा – तो इनकी सरकार है. आख़िरकार ज़िम्मेदार कौन है?”

सपा के डिजिटल मीडिया कोऑर्डिनेटर मनीष जगन अग्रवाल लगातार इस मामले पर अपनी बातें रख रहे हैं. पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव भी उनके ट्वीट को शेयर कर रहे हैं. मनीष जगन अग्रवाल ने लिखा,” भाजपा ने चंदा मांगा था और व्यापारी ने नहीं दिया तो छापा डलवा दिया,  अब बरामद नकदी को टर्नओवर मान लिया गया,  अब काली रकम को सफे़द करने का रास्ता दे दिया गया,  अब भाजपा ने व्यापारी के साथ सेटिंग कर ली,  ये व्यापारी भाजपाई है ,सपा शुरू से कहती आ रही,  मामला ज्यादा चंदा वसूली का था!”

मनीष अग्रवाल ने इससे पहले पिछले सप्ताह 24 दिसंबर को भी ट्वीट कर स्पष्ट किया था कि पीयूष जैन से उनकी पार्टी का कोई संबंध नहीं है. अग्रवाल ने लिखा था- “कानपुर में शिखर पान मसाला ग्रुप और इत्र कारोबारी पीयूष जैन के घर पड़े छापों और बरामद नकदी नोटबंदी की विफलता की कहानी बयां कर रही है ,  भाजपा व मीडिया पीयूष जैन और शिखर पान मसाले को सपा से जबरन जोड़कर सपा को बदनाम कर रही,  सपा एमएलसी पम्पी जैन से पीयूष जैन का कोई मतलब नहीं है.

“छापे की जद में आये ये दोनों कारोबारी भाजपा से जुड़े हुए हैं व भाजपा को चंदा देते थे ,भाजपा ने इस बार इनसे ज़्यादा चुनावी चंदा मांगा ,इन्होंने ज़्यादा  चुनावी चंदा देने से मना कर दिया तो भाजपा सरकार ने इन पर रेड डालकर पैसा पकड़कर सपा से जोड़कर सपा को बदनाम करने की साजिश रची.” सपा का दावा है कि कुछ दिनों पहले उनकी पार्टी से जुड़े कुछ लोगों के यहाँ छापे पड़े थे मगर वहाँ से कुछ बरामद नहीं हुआ जिसके बाद ‘बौखलाई भाजपा ने तुरंत यहां छापेमारी करके कैश बरामद करके इसे सपा से जोड़कर जनता को अपने दुष्प्रचार से भ्रमित करने की साजिश की है!’

पीयूष जैन और पम्पी जैन

समाजवादी पार्टी का कहना है कि उनके समाजवादी इत्र से जुड़े व्यक्ति का नाम पुष्पराज जैन उर्फ़ पम्पी जैन है. वो पार्टी के एमएलसी हैं और उनका ताल्लुक़ कन्नौज से हैं. सपा नेता पीयूष जैन के फ़ोन कॉल रिकॉर्ड्स को सार्वजनिक किए जाने की माँग कर रहे हैं, ताकि उनके मुताबिक बीजेपी से उनके संबंधों को उजागर किया जा सके.

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