‘‘उत्साह बता रहा है कि 2022 में बदलाव होगा। इस बार पश्चिम में भाजपा का सूरज नहीं उगेगा। यहां के किसानों और युवाओं ने मिलकर भाजपा को भगाने का फैसला लिया कर लिया है।’’
सपा मुखिया जब यह शब्द कह रहे थे तो उनके चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे. क्योंकि मेरठ में हुई जनसभा है उनके मन में इस बात का यकीन भर दिया था कि 2022 के विधानसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल को भरपूर समर्थन देगा.
मेरठ में हुई रैली कामयाब इसलिए कहीं जाएगी केस में रालोद प्रमुख जयंत चौधरी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव की उम्मीद से कहीं ज्यादा भीड़ उमड़ी थी. इस रैली में भाषण देते हुए अखिलेश यादव ने कहा- वो चाहते हैं कि किसानों को उनका हक मिले और एमएसपी पर ठोस फैसला हो। लेकिन भाजपा किसानों के हक में फैसला नहीं करना चाहती है।
अखिलेश यादव ने 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए अपनी रणनीति में एक बड़ा बदलाव किया है. पिछले चुनाव में अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था, लेकिन परिणाम सही नहीं रहा और उन्हें सत्ता से बेदखल होना पड़ा था।
शायद इसीलिए इस बार अखिलेश बड़े दलों को छोड़ छोटे-छोटे दलों के साथ गठबंधन कर रहे हैं। इसमें सुभसपा, महान दल और अब रालोद समेत कई पार्टियों के नाम शामिल हैं। अखिलेश यादव आज रात शायद खुशी की वजह से सो नहीं पाएंगे क्योंकि उन्हें उस इलाके में भी भरपूर समर्थन मिला है जिस इलाके ने 2017 और 2019 के चुनावों में उन्हें नकार दिया था.
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