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Monetization: कंपनियां ही नहीं अब 3500 एकड़ सरकारी जमीन भी बेचेगी मोदी सरकार, गुपचुप तरीके से ऐसे होगा यह काम

Monetization: सरकारी कंपनियों को बेचने या उससे जुड़े ऐसैट्स में प्राइवेट प्लेयर्स को हिस्सेदारी देने के मामले में मोदी सरकार एक और कदम आगे जा रही है. खबर है कि अब सरकार करीब 35 सौ एकड़ जमीन भी बेच देगी.

Monetization: केंद्र सरकार पैसे जुटाने के लिए आक्रामक तरीके से विनिवेश (Disinvestment) पर जोर दे रही है। इसके लिए कई सरकारी कंपनियों (CPSE) में हिस्सेदारी बेची जा रही है। कुछ सरकारी कंपनियों का पूरी तरह प्राइवेटाइजेशन (Privatization) किया जा रहा है। अब सरकार कुछ कंपनियों की जमीनें व अन्य संपत्तियां बेचकर पैसे जुटाने की जुगत में है। इसकी प्रक्रिया को तेज करने के लिए एक विशेष कंपनी गठित करने का जल्द ही ऐलान संभव है।

एक नई कंपनी बनाकर भेजी जाएगी सरकारी जमीन

सूत्रों के अनुसार, सरकार केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों की जमीनें व नॉन-कोर संपत्तियां बेचने की प्रक्रिया में तेजी लाने के उद्देश्य से विशेष कंपनी बना सकती है। यह कंपनी नेशनल लैंड मनीटाइजेशन कॉरपोरेशन (NLMC) के नाम से बनेगी और सार्वजनिक उपक्रम विभाग के मातहत काम करेगी।

यह कंपनी पूरी तरह से सरकारी स्वामित्व वाली होगी। इसका इनिशियल ऑथोराइज्ड शेयर कैपिटल 5000 करोड़ रुपये होगा। इसके साथ ही कंपनी के पास 150 करोड़ रुपये का सब्सक्राइब्ड शेयर कैपिटल भी होगा। कंपनी का संचालन करने के लिए एक बोर्ड का गठन होगा, जिसमें संबंधित मंत्रालयों के सचिव और रियल एस्टेट सेक्टर व इंवेस्टमेंट बैंकर के प्रतिनिधि शामिल होंगे। बोर्ड की अगुवाई के लिए एक सीईओ की नियुक्त की जाएगी।

CPSE की 3,500 एकड़ जमीनें बेची जाएंगी

अभी तक उपलब्ध जानकारी के अनुसार, बेचने के लिए केंद्र सरकार की कंपनियों की करीब 3,500 एकड़ जमीनों की पहचान की जा चुकी है। ये जमीनें और सरकारी कंपनियों की कुछ अन्य संपत्तियां प्रस्तावित कॉरपोरेशन को ट्रांसफर की जाएगी। बाद में कॉरपोरेशन के द्वारा इन संपत्तियों को बेचा जाएगा। एनएलएमसी इन संपत्तियों को लीज या किराये पर भी दे सकती है। इसके अलावा एनएलएमसी के पास यह अधिकार भी रहेगा कि वह इन संपत्तियों पर आवासीय या व्यावसायिक परिसर बनाकर पैसा कमाए।

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