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यूपी का जाट वोटर 2022 में किसे समर्थन करेगा, बदल गया है चुनावी समीकरण

यूपी का जाट वोटर जिसपर इसबार सभी की नजर है. वो किसे वोट देगा और क्या मोदी और योगी प्रदेश के बिगड़े समीकरण से परेशान हैं. आइए ये समझने की कोशिश करते हैं.

यूपी का जात वोटर पिछले तीन इलेक्शन से बीजेपी को सपोर्ट कर रहा है. लेकिन इस बार उसके तेवर बदल चुके हैं और सवाल ये है की क्या बीजेपी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटों की नाराज़गी के बावजूद आने वाले विधानसभा चुनाव में साल 2014, 2017 और 2019 जैसा प्रदर्शन कर पाएगी? ये एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब तलाशना बीजेपी के लिए दिनों-दिन मुश्किल होता जा रहा है.

पाँच सितंबर को मुजफ़्फ़रनगर में ‘किसान महापंचायत’ के आयोजन के बाद से परिस्थितियाँ तेज़ी से बदल रही हैं. इस महापंचायत में किसान नेताओं ने खुलकर बीजेपी की आलोचना की थी. इसके बाद से बीजेपी चुनाव के दौरान जाट बहुल इलाक़ों में होने वाले संभावित नुक़सान की भरपाई करने का रास्ता तलाश रही है. इसी सिलसिले में योगी आदित्यनाथ बुधवार से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बिजनौर, शामली और दादरी का दौरा कर सकते हैं.

ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी जाटों की नाराज़गी से पैदा हुई चुनौती का सामना गुर्जर समुदाय के सहारे करने की कोशिश कर रही है. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें, तो पाँच सितंबर की ‘किसान महापंचायत’ ने बीजेपी नेताओं को चिंता में डाल दिया है. क्योंकि ये महापंचायत उस क्षेत्र में हुई थी, जिसके दम पर बीजेपी ने पिछले तीन चुनावों में बेहतरीन प्रदर्शन किया है.

यूपी का जाट वोटर कितना अहम है?

साल 2012 के चुनाव में बीजेपी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कुल 38 सीटों पर जीत हासिल की थी. लेकिन दंगों के बाद बदले राजनीतिक माहौल की वजह से साल 2014 के आम चुनाव में बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया था. इसके बाद साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने 88 सीटों पर जीत हासिल की है. 2019 में भी इस क्षेत्र में बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया.

दंगों से पहले सपा सरकार की पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रति बेरुख़ी और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का सबसे ज़्यादा फ़ायदा बीजेपी को मिला. 2014 के चुनावों में बीजेपी ने इस क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन किया. इसके बाद साल 2017 और 2019 के चुनाव में बीजेपी को जाट समुदाय का समर्थन मिला. लेकिन इस बार जाट समुदाय बीजेपी से नाराज़ नज़र आ रहा है.

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