अरविंद केजरीवाल UP में कितना कामयाब होंगे… क्या है आप की इलेक्शन प्लानिंग?

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अरविंद केजरीवाल की निगाह अब उत्तर प्रदेश पर है. आगामी विधानसभा चुनाव में वो आम आदमी पार्टी को देश के एक महत्वपूर्ण प्रदेश में जमीन देने की प्लानिंग पर काम कर रहे हैं. लेकिन क्या वह कामयाब होंगे?

आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश में अपने पांव टिकाने की कोशिश में जुटी है. पिछले दिनों पार्टी ने उत्तर प्रदेश के नोएडा और आगरा में ‘तिरंगा संकल्प यात्रा’ निकालकर पार्टी के चुनावी अभियान को तेज़ी दी है. राज्यसभा सांसद संजय सिंह और दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया दोनों शहरों में आयोजित तिरंगा यात्रा में न केवल शामिल हुए बल्कि नोएडा में मनीष सिसोदिया ने यूपी की सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान भी किया. इससे पहले लखनऊ में पार्टी ‘तिरंगा संकल्प यात्रा’ निकाल चुकी है और आगामी 14 सितंबर में इस यात्रा के अयोध्या में भी निकाले जाने की तैयारी हो रही है.

यूपी में सदस्यता अभियान चला रही है आम आदमी पार्टी

आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इन दिनों यूपी के सभी 75 ज़िलों से लोगों को पार्टी का सदस्य बनाने का अभियान चलाया जा रहा हैं. करीब 20 करोड़ की आबादी वाले सुबह में आम आदमी पार्टी औपचारिक रूप से एक करोड़ लोगों को पार्टी का सक्रिय सदस्य बनाने की योजना पर काम कर रही है. लेकिन सबसे अहम सवाल यही है कि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान प्रचंड बहुमत वाली भारतीय जनता पार्टी के अलावा राज्य में तीन बड़ी पार्टियां (समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस) पहले से ही मौजूद हैं. इसके अलावा राज्य के अलग-अलग हिस्सों में तमाम छोटी पार्टियां भी हैं. तो क्या आम आदमी पार्टी अरविंद केजरीवाल की दाल गलेगी?

आप का सदस्यता अभियान कितना कारगर साबित होगा?

आम आदमी पार्टी प्रदेश में लोगों को जोड़ने की कोशिश कर रही है. पार्टी के सदस्यता अभियान में भी दिखा कि पार्टी के कार्यकर्ता लोगों से सदस्यता फॉर्म भरवा रहे हैं. इसमें कोई भी अपना नाम, पिता का नाम, वोटर आईडी, फोन नंबर, इत्यादि की जानकारी देकर सदस्यता ले सकता है. जानकारी सही है या ग़लत, इसकी कोई जांच नहीं हो रही है. पर्चा भर लिया गया तो उसकी एक कॉपी नए सदस्यों को दी जाती है. इसके अलावा पार्टी मिस्ड कॉल के ज़रिए और मोबाइल ऐप के माध्यम से और घर-घर जाकर सदस्य बनाने का दावा भी कर रही है. एक करोड़ सदस्यों के लक्ष्य वाले अभियान का पहला पड़ाव लखनऊ में घनी मुसलमान आबादी वाला अमीनाबाद इलाक़ा था.

यूपी के मुसलमानों को विकल्प देने की तैयारी कर रहे हैं अरविंद केजरीवाल

आगामी चुनाव में उत्तर प्रदेश के 19% मुसलमानों का जिक्र खूब हो रहा है. अभी तक यह वोट बैंक समाजवादी पार्टी के साथ जुड़ा रहा लेकिन अब असदुद्दीन ओवैसी के अलावा आम आदमी पार्टी भी मुसलमानों को हसरत भरी निगाहों से देख रही है. मुसलमान वोट को साधने की राणनीति भाजपा को छोड़ कर सारी विपक्षी पार्टियां खुलेआम करती हैं. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही बनता है की कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाने पर केंद्र का समर्थन करने के फ़ैसले के बाद, एनआरसी और सीएए जैसे मुद्दों पर परहेज करने वाली और 2020 के दिल्ली दंगों में हुई हिंसा के बाद क्या उत्तर प्रदेश का मुसलमान केजरीवाल पर भरोसा करेगा?

पंचायत चुनाव में कामयाबी का दावा कर रही आम आदमी पार्टी

पिछले दिनों ही उत्तर प्रदेश में ज़िला पंचायत सदस्य के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 3,000 से ज़्यादा उम्मीदवार उतारने का एलान किया था. पार्टी ने बाकायदा उम्मीदवारों की सूची जारी की और नेतृत्व ने दावा किया कि 85 से ज़्यादा आम आदमी पार्टी समर्थित प्रत्याशी ज़िला पंचायत सदस्य चुन कर आए हैं और पार्टी के नाम पर कुल 40 लाख वोट मिले हैं. आम आदमी पार्टी का दावा है कि लखीमपुर खीरी में उसके 6 सदस्य जीत कर आए हैं. एक बड़ा सवाल यही है क्या 2022 में अरविंद केजरीवाल उत्तर प्रदेश में विकल्प बन सकते हैं?

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