क्या आपने किसी मंदिर में लोगों को जानवरों को पूजा करते हुए देखा है, तो यकीनन आपका जवाब ना होगा. लेकिन, आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां लोग बंदर की पूजा करते हैं. इतना ही नहीं शनिवार को मंदिर में भजन-कीर्तन और राम नाम का जप भी किया जाता है.
तो आइए, जानते हैं क्या है पूरा मामला?
राजस्थान के जोधपुर में भोपालगढ़ स्थित एक मंदिर में दूर-दूर से लोग बंदर की पूजा करने के लिए पहुंचते हैं. बंदर के अलावा यहां बालाजी की मूर्ति भी स्थापित है और लोग इसे करंट बालाजी के नाम से जानते हैं. बताया जाता है कि तकरीबन 23 साल पहले करंट लगने से यहां एक बंदर की मौत हो गई थी. बंदर की मौत से वहां काम करने वाले लोग काफी दुखी हुए और उसकी समाधि बनाने का फैसला किया.
23 साल पहले हुई थी बंदर की मौत
रिपोर्ट के अनुसार, साल 1998 में बिजली के स्टाफ 132 GSS पर काम कर रहे थे. उसी दौरान उछलकूद करते हुए बंदर बिजली तारों में उलझ गया. करंट लगने से बंदर की मौत हो गई. जिससे लोग काफी उदास हुए. बाद में बंदर को वहीं दफनाया गया और चंदा इकट्ठा करके मंदिर का निर्माण कराया गया. बताया जाता है कि हर साल मंदिर का स्थापना दिवस मनाया जाता है, जिसमें बालाजी के साथ-साथ बंदर की पूजा होती है. पूरे इलाके में इस मंदिर की चर्चा है और दूर-दराज से लोग यहां पहुंचते हैं.
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