‘मुरलीधर’ के सहारे मारेंगे मैदान, अखिलेश के नए रूप से CM योगी हैरान… 22 के लिए बड़ा दांव

सपा प्रमुख अखिलेश यादव आंख-कान खुले रखकर 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाने में लगे हुए हैं. लिहाजा उन्होंने सीएम योगी को घेरने के लिए उन्हीं के लहजे में प्रचार करने की तैयारी की है.
किसी भी मुद्दे को धर्म से जोड़ देना और फिर लोगों की भावनाओं की नाव पर बैठकर चुनावी वैतरणी पार कर लेना भारतीय जनता पार्टी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पुरानी टेक्निक रही है. 2022 का विधानसभा चुनाव भी इसी तरीके से जीतने की योजना बना रहे हैं लेकिन सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बदली हुई परिस्थितियों से बहुत कुछ सीखा है लिहाजा सपा भी अब सॉफ्ट हिंदुत्व के सहारे 2022 का मैदान मारने की तैयारी में लगी है.
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मुरलीधर और महादेव दिलाएंगे चुनावी मैदान में फतेह
पिछले साल अयोध्या में श्रीराम मंदिर की नींव रखी गई थी, उस वक्त सपा प्रमुख ने ट्वीट कर लिखा था, ‘जय महादेव जय सिया-राम , जय राधे-कृष्ण जय हनुमान। भगवान शिव के कल्याण, श्रीराम के अभयत्व व श्रीकृष्ण के उन्मुक्त भाव से सब परिपूर्ण रहें!’ हाल में पार्टी के तैयार थीम सांग में अखिलेश आ रहे हैं, मुरलीधर कृष्ण बदलकर भेष आ रहे हैं को भी प्रचारित किया जा रहा है.
यूं तो अखिलेश यादव ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान ही सॉफ्ट हिंदुत्व का सहारा लिया था लेकिन उस वक्त बीजेपी के उग्र हिंदुत्व के सामने वह टिक नहीं पाए. लेकिन इस बार उन्होंने पुख्ता तैयारी की है. अखिलेश यादव एक ओर खुद को असली केशव (श्रीकृष्ण) के वंशज बता रहे हैं, तो वह उन बातों से परहेज भी कर रहे हैं जिससे उन पर मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगाने का मौका भाजपा को मिले.
सपा के प्रचार गीतों में अखिलेश यादव को कृष्ण बता कर विरोधियों का परास्त करने की उपमा दी जा रही है. खुद कई मौकों पर अखिलेश यादव अपने को भगवान विष्णु का भक्त बताते हैं और इटावा के बीहड़ में भगवान विष्णु का मंदिर बनवाने की बात भी कह चुके हैं. अयोध्या व मथुरा के तमाम संत व साधुओं का वह आशीर्वाद ले रहे हैं. इस साल उन्होंने जगदगुरु शंकरचार्य स्वामी स्वरूपानंद से हरिद्वार जाकर आशीर्वाद लिया.
सपा प्रमुख समझ गए हैं यूपी का यह समीकरण
असल में सपा मुस्लिम वोटों की चाहत तो रखती है, साथ में हिन्दु आस्था व विश्वास को भी सर माथे पर रख रही है. एक तरह से यह संतुलन साधने की कोशिश है. पार्टी जानती है कि केवल मुस्लिम यादव व अन्य पिछड़ी जातियों वोट के भरोसे विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत मिलना मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में दूर की कौड़ी है. सपा अपने इस वोट बैंक के जरिए 2002 व 2007 के विधानसभा चुनाव में 25 प्रतिशत से ज्यादा वोट प्राप्त कर लिए.
समाजवादी पार्टी का विधानसभा चुनावों में प्रदर्शन
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चुनाव वर्ष सीट लड़ी प्राप्त सीटें वोट प्रतिशत
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2017 311 47 21.82
2012 401 224 29.13
2007 393 97 25.43
2002 390 143 25.37
1996 281 110 21.80
1993 256 109 17.94
ध्रुवीकरण की गैरमौजदूगी में सपा अपने मुस्लिम, यादव व अन्य पिछड़ी जातियों के बड़े हिस्से के साथ सवर्ण जातियों को भी लाने में कामयाब रही. खास तौर पर उससे ब्राह्मण भी जुड़े और जाति से अलग युवा भी साथ आ गए तो सपा ने 2012 में सरकार बना ली. लेकिन उसके बाद के तीन चुनावों में सपा का ग्राफ लगातार नीचे जा रहा है. अब कृष्ण के सहारे चुनावी नैया पार कराने की तैयारी है.
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