तालिबानी आतंकियों ने अफगानिस्तान के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है. तालिबान ने लोगार की राजधानी पुल-ए-आलम पर क़ब्ज़ा कर लिया है. लोगार काबुल प्रांत से सटा है और वहाँ से एक सीधी सड़क काबुल तक जाती है. ऐसे में एक खबर यह भी आ रही है कि ‘हेरात का शेर’ अब तालिबान के साथ है.
अफगानिस्तान की की अगर बात करें तो तालिबान ने वहाँ पुलिस मुख्यालय पर नियंत्रण कर लिया है और वहाँ भारी लड़ाई हो रही है.
इस बीच कंधार और काबुल के बीच उरोज़्गान प्रांत के बारे में भी रिपोर्टें आ रही हैं कि तालिबान वहाँ भी क़ब्ज़ा कर चुके हैं. लेकिन ऐसे में सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है एक बुजुर्ग शख्स की.
हेरात का शेर के नाम से जाने जाने वाले मोहम्मद इस्माइल ख़ान की गिनती अफ़ग़ानिस्तान के बड़े मिलिशिया नेताओ में होती है.
सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो में तालिबान के लोग उन्हें ले जाते हुए दिखाई देते हैं.
तालिबान ने दावा किया है कि उनका गुट अब तालिबान के साथ ‘मिल’ गया है और ‘हमने उनको भरोसा दिया है कि वो अपनी ज़िंदगी आराम और इज़्ज़त के साथ जी सकते हैं’.
तालिबान ने उनका एक इंटरव्यू भी जारी किया है हालाँकि ये पता नहीं है कि ये उन्होंने अपनी मर्ज़ी से दिया है या दबाव में.
इसमें उनसे पूछा जा रहा है कि तालिबान ने उनके साथ बुरा बर्ताव तो नहीं किया जिसके जवाब में वो कहते हैं कि उन्होंने अब तक उनके साथ भाई जैसा सुलूक किया है.
उनसे फिर पूछा जाता है कि उन्हें कैसा महसूस हो रहा है. इसके जवाब में वो कहते हैं कि ये घटना अप्रत्याशित है.
तालिबान ने एक दिन पहले हेरात पर क़ब्ज़ा कर लिया था. इस्माइल ख़ान कई हफ़्तों से तालिबान के ख़िलाफ़ सरकार समर्थक मिलिशिया की अगुआई कर रहे थे.
तालिबान ने अपने पिछले शासन में भी उन्हें गिरफ़्तार कर कंदहार की जेल में बंद कर दिया था, मगर बाद में रिहा कर दिया.
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