बेंगलुरु की अदिति अशोक पिछले कुछ सालों से गोल्फ़ में बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं. हालांकि क्रिकेट और दूसरे खेलों के मुकाबले भारत में गोल्फ़ की मीडिया में उतनी चर्चा नहीं होती.
टोक्यो ओलंपिक में अदिति अशोक के प्रदर्शन ने भारत में लोगों को गोल्फ के बारे में जानने और इस खेल को देखने पर मजबूर कर दिया है. मीडिया की चकाचौंध और सुर्खियों से दूर अदिति ने ओलंपिक में अपने प्रदर्शन से सभी को हैरान कर दिया. टोक्यो ओलंपिक शुरू होने से पहले जिन खेलों और खिलाड़ियों से पदक की उम्मीद की जा रही थी उसमें गोल्फ़ और अदिति अशोक का नाम शायद ही किसी ने लिया हो.
लेकिन अब जब ओलंपिक ख़त्म होने की कगार पर था तो भारत की 23 साल की गोल्फ़ खिलाड़ी अदिति ने पदक की उम्मीद जगा दी थी. टोक्यो ओलंपिक में चौथे पायदान पर पहुंचकर उन्होंने इतिहास रच दिया है. साल 2016 में गोल्फ़ को समर ओलंपिक में जगह दी गई जबकि यह इससे पहले 1900 और 1904 में भी ओलंपिक खेलों में शामिल रहा था. भारत की गोल्फ़ में इसे बड़ी छलांग माना जाना चाहिए.
शानदार गोल्फ खेलती हैं अदिति अशोक
मेडल न मिलने के बावजूद दुनिया में 179वीं रैंकिंग की खिलाड़ी अदिति के ओलंपिक में इस शानदार प्रदर्शन की ख़ूब चर्चा हो रही है. अदिति अकेली भारतीय हैं जिन्होंने 2016 में लेडीज़ यूरोपीय टूर में दो टाइटल जीते हैं. इसके अलावा अदिति पहली भारतीय महिला गोल्फ़र हैं, जिन्होंने एशियन यूथ गेम्स (2013), यूथ ओलंपिक गेम्स (2014), एशियन गेम्स (2014) में हिस्सा लिया. वो लल्ला आइचा टूर स्कूल का टाइटल जीतने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय हैं.
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